आध्यात्मिकता ही वास्तव में भारत की विशेषता है – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
हैदराबाद, 07 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि संघ संपूर्ण समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा है। संघ के स्वयंसेवक समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में एक राष्ट्र का विचार लेकर स्थानीय समाज को जागरूक करने और संगठित करने के उद्देश्य से काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि विविध क्षेत्रों में संघ के स्वयंसेवक काम करते हैं। आज विभिन्न क्षेत्रों में 36 संगठनों के माध्यम से स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। ये सभी संगठन स्वायत्त-स्वतंत्र हैं। इन संगठनों के निर्णय, अपने-अपने स्तर पर तय होते हैं। इनमें काम करने वाले स्वयंसेवकों का समाज के अनेक वर्गों से संवाद होता है, मिलना होता है। अखिल भारतीय समन्वय बैठक कुछ नए प्रयोग और अपने अनुभव साझा करने का मंच प्रदान करती है।
सह सरकार्यवाह तीन दिवसीय समन्वय बैठक के अंतिम दिन प्रेस वार्ता में बैठक की जानकारी दे रहे थे। बैठक में 36 संगठनों के 216 कार्यकर्ता अपेक्षित थे। इनमें विविध संगठनों में कार्य कर रही 24 बहनें भी शामिल हैं। बैठक में लगभग 91 प्रतिशत उपस्थिति रही। यह बैठक किसी निर्णय तक पहुंचने के लिए नहीं होती है।
वैद्य ने बताया कि आरोग्य क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठनों ने मिलकर कुपोषण की समस्या को दूर करने को लेकर लोगों के प्रबोधन के साथ ही न्यूट्रिशियस फूड पहुंचाने का कार्य किया है। आर्थिक क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठनों ने रोजगार सृजन के अनेक प्रयोग किए हैं। उनके बारे में बैठक में जानकारी दी गई। शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठनों ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर शिक्षाविदों के बीच कार्य शुरू किया है।
मनमोहन वैद्य ने कहा कि स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के निमित्त वैचारिक संगठन कार्य कर रहे हैं। स्वतंत्रता केवल कुछ लोगों के कारण नहीं मिली। समाज के प्रत्येक वर्ग के सैकड़ों, हजारों लोगों का सहभाग रहा है। स्वाधीनता के प्रमुख 250 गुमनाम नायकों की कहानी समाज के समक्ष लाने का प्रयास हुआ है। संस्कार भारती द्वारा 75 नाटकों (ड्रामा) द्वारा स्वतंत्रता का इतिहास समाज के समक्ष पहुंचाने का प्रयत्न किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सेवा कार्य करने वाले संगठनों ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर के दृष्टिगोचर देशभर में विकास खंड स्तर तक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण प्रदान किया था। लगभग 10 लाख कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि कोरोना की पहली लहर के बाद शाखाएं बंद हुई थीं। अब पुन: शाखाएं शुरू हुई हैं। अक्टूबर 2019 के मुकाबले देखा जाए तो अक्टूबर 2021 तक 93 प्रतिशत स्थानों पर संघ कार्य प्रारंभ हो चुका है। 95 प्रतिशत दैनिक शाखाएं दोबारा शुरू हो चुकी हैं। इसी प्रकार 98 प्रतिशत साप्ताहिक मिलन। संघ कार्य निरंतर बढ़ रहा है, युवा भी काफी संख्या में आ रहे हैं। सीधे शाखा में तो युवा जुड़ ही रहे हैं। इसके अलावा 2017 से 2021 तक ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से प्रतिवर्ष 1 से 1.25 लाख युवा संघ से जुड़ रहे हैं। देशभर में अभी 55,000 शाखाएं रोज लग रही हैं। इनमें 60 प्रतिशत छात्रों अथवा युवाओं की तथा 40 प्रतिशत प्रौढ़ अथवा व्यवसायी शाखाएं हैं।
उन्होंने कहा कि भारत केंद्रित शिक्षा को लेकर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता ही वास्तव में भारत की विशेषता है। भारत के इतिहास को ठीक से बताना चाहिए, जो नहीं बताया गया।