आदिवासी और गैर आदिवासी बच्चों का बनेगा जाति प्रमाण पत्र : मुख्यमंत्री

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रांची, 21 दिसम्बर (हि.स.)। झारखंड विधानसभा में शीतकालीन सत्र के चौथे दिन मंगलवार को जमकर हंगामा हुआ। भाजपा विधायक जेपीएससी पीटी परीक्षा को रद्द करने और जेपीएससी अध्यक्ष अमिताभ चौधरी को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे। इस मांग पर भाजपा विधायक वेल में आकर हंगामा करने लगे। इस दौरान स्पीकर रविंद्रनाथ महतो भाजपा विधायकों से बार-बार आग्रह करते रहे कि वह आसन पर बैठे लेकिन भाजपा विधायक नहीं माने और हंगामा करते रहे।

दूसरी ओर सत्र के दौरान भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा के प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 29 दिसंबर के बाद से राज्य के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूल में स्पेशल ड्राइव चलाकर आदिवासी और गैर आदिवासी बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनाया जाएगा। सिर्फ आठवीं और नौवीं के ही नहीं, बल्कि सभी कक्षा के बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनेगा।

नीलकंठ सिंह मुंडा ने विधानसभा में कहा था कि झारखंड में आदिवासी मूलवासियों की दशा खराब है। आठवीं और नौवीं कक्षा के आदिवासी बच्चों का खतियान देखकर जाति प्रमाण पत्र बनाया जाता है, जबकि बांग्लादेश से आकर लोग एफिडेविट देकर जाति प्रमाण पत्र बना रहे हैं। झारखंड के लोगों के साथ ऐसा होगा तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हम लोग यहां बांग्लादेशियों का काम करने के लिए नहीं बैठे हैं। हमारा उद्देश्य झारखंड के दलित आदिवासी कमजोर वर्ग के बच्चों का विकास करना है। भाजपा केवल हिंदू मुस्लिम की राजनीति कर धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने का काम कर रही है।

उन्होंने भाजपा नेताओं से पूछा कि आखिर झारखंड के लोगों का महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार में क्यों सिर फोड़ा जाता है। इसमें केवल कमजोर वर्ग ही नहीं बल्कि, सामान्य वर्ग के बच्चे भी शामिल हैं। इसके पूर्व सदन की कार्यवाही 12:07 बजे से दोबारा शुरू हुई तो जेपीएसी के मुद्दे पर फिर से भाजपा विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। विधायक वेल के फर्श पर धरना पर बैठ गये हैं। साथ ही जेपीएससी पीटी परीक्षा रद्द करने का नारा लगाने लगे। उनका कहना था कि जेपीएससी में धांधलीबाजी नहीं चलेगी।

इस दौरान सदन में विधायक प्रदीप यादव के प्रश्न का जवाब देते हुए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि झारखंड के रुग्ण उद्योगों की सूची तैयार होगी और फिर उन्हें नई पॉलिसी के तहत फिर से पुनर्जीवित किया जाएगा। यादव के अनुसूचित सवाल पर मंत्री ने जवाब दिया। उन्होंने बताया कि कोविड काल में राज्य में 1600 उद्योग रुग्ण घोषित हुए हैं। इसके अलावा भी कई उद्योग रुग्ण हैं। कॉरपोरेशन उनकी सूची बनाएगी और उन्हें फिर से पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव सरकार को उपलब्ध कराएगी।

यादव ने कहा कि राज्य में कई बार उद्योग नीति बने हैं और उनका हश्र हमें पता है। उद्योग नीति में बड़े व्यवसायिक घरानों को सपोर्ट करने की योजना होती है लेकिन छोटे उद्योगों के लिए कुछ खास नहीं होता पिछली सरकार के तर्ज पर यह सरकार दिल्ली, मुंबई में सिर्फ ग्लोबल मीट ना करे, बल्कि सही कार्य योजना बनाए और उस पर काम करें। इसी क्रम में विधायक सरयू राय और विभागीय स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के बीच हुई बातचीत चर्चा का विषय बना।

सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री से फरवरी 2020 से जुलाई 2020 के बीच राज्य के उन सूचीबद्ध अस्पतालों के संबंध में जानकारी मांगी थी, जिन्हें मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इसमें ब्रह्मानंद नारायण अस्पताल तामोलिया भी शामिल है। मंत्री ने अपने जवाब में ब्रह्मानंद अस्पताल को उक्त योजना के तहत सूचीबद्ध बताया, जबकि राय ने उक्त अस्पताल के फरवरी 2020 से जुलाई 2020 के बीच सूचीबद्ध होने की जानकारी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि उक्त अवधि में ब्रह्मानंद अस्पताल उक्त योजना के तहत सूचीबद्ध नहीं था लेकिन उसे सरकार ने योजना का लाभ प्रदान कर दिया। ऐसे में राय स्वास्थ्य मंत्री के सवाल से संतुष्ट नहीं थे।

इसपर विधानसभा स्पीकर ने स्वास्थ्य मंत्री को 21 दिसंबर को पुनः जवाब देने का निर्देश दिया था। मंगलवार को जब सरयू राय ने दोबारा सवाल उठाया तो स्पीकर ने स्वास्थ्य मंत्री से पूछा। जिसपर मंत्री ने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने जो जवाब दिया था, वह भ्रामक था। इस पर स्पीकर ने बन्ना गुप्ता को नसीहत दे डाली कि वह पहले अपने विभागीय मंत्री अधिकारियों से बैठ कर बात करें, उसके बाद ही सही उत्तर सदन में दें। राय ने भी स्वास्थ्य मंत्री को कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विभागीय मंत्री को देखना चाहिए कि सदन में जो उत्तर दे रहे हैं, वह सही है कि नहीं।


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