आतंकवाद पर विपक्ष बेनकाब

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आतंकवाद पर देश का विपक्ष बेनकाब हो गया है। पुलवामा की दुखद घटना और जवाब में भारत की ओर से की गयी एयर स्ट्राइक को एक माह हो रहा है। लोकसभा चुनावों की गतिविधियां तेज हो गयी हैं। उम्मीद की जानी चाहिए थी कि देशभर के नेता व बयान बहादुर गण्यमान्य लोग सेना के पराक्रम के साथ खड़े होते। उस समय कुछ लोगों में पाकिस्तानी पोस्टर बॉय बनने की होड़ लग जाय तो आश्चर्य होना स्वभाविक है। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव जिनका पारिवारिक कलह से राजनीतिक सितारा अब उतार पर है, सेना के शौर्य पर सवाल उठा रहे हैं। उधर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सलाहकार सैम पित्रोदा एयर स्ट्राइक के सबूत मांग रहे हैं। ऐसा करके दोनों दलों के नेता अपनी ही पार्टी की नैया डुबाने की जमीन तैयार कर रहे हैं। इन सभी बयानों से यह साफ हो गया है कि नामधारी समाजवादियों और कांग्रेस का आतंकवाद के प्रति क्या रूख है।
अगर कांग्रेस नेता अपना मुंह बंद रखते तो संभवतः लोकसभा चुनावों में भाजपा को कुछ सीमा तक रोका जा सकता था लेकिन अब यह संभव नहीं लगता। कांग्रेस पार्टी अब भी अपनी गलतियों को सुधार नहीं रही है। वह गलती पर गलती करते जा रही है। उसने पुलवामा हमले को दुर्घटना करार देने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भोपाल से टिकट दे दिया है। कर्नाटक के नेता वीके हरिप्रसाद जिन्होंने पुलवामा व एयर स्ट्राइक को मैच फिक्सिंग करार दिया था को भी चुनाव मैदान में उतार दिया है। ऐसा करके कांग्रेस ने अपना बेहद खतरनाक चेहरा जनता के सामने उजागर कर दिया है। लोकसभा चुनावों में आतंकवाद के नाम पर कांग्रेस व पूरा विपक्ष लगातार बेनकाब होता जा रहा है।
दूसरी तरफ बारामूला -कुपवाड़ा संसदीय सीट से नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार अकबर लोन ने अपनी रैली में पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगवाये ओैर ये भी कहा कि अगर कोई पाकिस्तान को एक गाली देगा उसे हम दस गाली देंगे। यह बहुत ही शर्मनाक स्थिति बनती जा रही है कि वोट के लिए अब पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगवाया जा रहा है। विदेशों में जितने भारत के शत्रु नहीं हैं अब उससे कहीं अधिक खतरनाक शत्रु तो भारत में राजनीतिक दलों में ही दिखाई पड़ रहे हैं।
कहना न होगा कि भारत के विरोधी दलों के नेता पूरी तरह से चीन व पाकिस्तान की गोद में बैठ गये हैं। यह भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही है कि चुनावों में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं। भारतीय सेना के शौर्य पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि देश की जनता आसन्न चुनावों में अपने मताधिकार से इसका जवाब देगी।
प्रधानमंत्री ने आम जनता से अपील की है कि वे विपक्षी नेताओं से उनके बयानों को लेकर सवाल पूछें। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने ठीक ही तो कहा कि भाजपा और विपक्ष में अंतर स्पष्ट है। हम सेना पर गर्व करते हैं और वे सेना पर संदेह करते हैं। उनका दिल आतंकियों के लिए धड़कता है और हमारा तिरंगे के लिए। कांग्रेस पार्टी ने सेना के शहीदों व पराक्रम का घोर अपमान किया है। अतः कांग्रेस को देश की सेना व देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। शिवसेना ने भी सामना के माध्यम से सैम पित्रोदा को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए लिखा है कि सैम को विदेशी समाचार पत्र नहीं स्वदेशी समाचार पत्र पढ़ना चाहिए। सामना में लिखा गया है कि पाकिस्तान अब देश नहीं रहा अपितु वैश्विक आतंकवादियों का अड्डा बन गया है। इस अड्डे को ध्वस्त कर हिन्दुस्तान को सुरक्षित रखना ही हमारी सेना का कर्तव्य है। बालाकोट में वायुसेना के दल ने हमला किया और बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए। यह हमला जरूरी था। जरूरत पड़ी तो सेना को इससे भी बड़े हमले के लिए तैयार रहना चाहिए।
जहां तक चुनाव की बात है, चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप होते रहते हैं। लेकिन देश का हित इससे बड़ा है। चुनाव जीतने के लिए विपक्ष को चाहिए कि वह देश को अपना रोडमैप बताए कि वह क्या करना चाहता है। जनहित के मुद्दों को उठाये। केंद्र सरकार की नाकामियों को उजागर करे। महंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, नोटबंदी के नुकसान, जीएसटी, भ्रष्टाचार के विषय पर बोले न कि सेना के शौर्य पर सवाल उठाये। चुनाव तो आते-जाते रहते हैं। लेकिन देश की अखंडता बनी रहनी चाहिए। सेना के शौर्य पर सवाल उठाकर विपक्ष अपने ही चेहरे को बदरंग कर रहा है।


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