गुवाहाटी, 20 नवम्बर (हि.स.)। एक तरफ बुधवार को संसद में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की बात कही तो दूसरी तरफ आज ही असम सरकार ने एनआरसी की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे न सिर्फ सिरे से खारिज कर दिया बल्कि इसको स्वीकार करने से इनकार कर दिया। चालू वर्ष के 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित हुई थी। उसके बाद से ही भाजपानीत सरकार इस मामले में अपनी चुप्पी साधे हुए थी। हिमंत विश्व शर्मा शुरुआत से ही एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट में खामियां बताते हुए विरोध करते रहे हैं।
एनआरसी के अद्यतन को लेकर लंबी जद्दोजहद के बाद सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में असम में अद्यतन की प्रक्रिया आरंभ हुई थी। सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने विपक्ष में रहते समय एनआरसी को चुनाव के समय बड़ा मुद्दा बनाया था। 2016 में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने एनआरसी कार्यालय पहुंचकर अद्यतन प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया था। चालू वर्ष के 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित हुई थी। उसके बाद से ही भाजपानीत सरकार इस मामले में अपनी चुप्पी साधे हुए थी। इस दौरान भाजपा नीत सरकार इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताती रही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी एनआरसी को लेकर समय-समय पर अपना नजरिया साफ़ करते रहे हैं। बुधवार को अचानक राज्य सरकार ने एनआरसी की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे न सिर्फ सिरे से खारिज कर दिया बल्कि इसको स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
असम सरकार के वित्त, स्वास्थ्य, पीडब्ल्यूडी आदि विभाग के प्रभावशाली मंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एनआरसी को लेकर ऐसा बयान दिया कि जिससे राजनीतिक हलकों में सनसनी मच गई। उन्होंने कहा कि एनआरसी के सर्वे की पूरी कार्यवाही राज्य सरकार को अलग रखते हुए की गई है। उन्होंने कहा कि अद्यतन की प्रक्रिया के दौरान ढेरों गड़बड़ियां सामने आई हैं। इसलिए इस एनआरसी को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रकाशित एनआरसी को लेकर विवाद है। ऐसे में इस तरह की एनआरसी स्वीकार्य योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देशभर में एनआरसी की प्रक्रिया नए सिरे से शुरू करने जा रही है। इसके तहत देशभर के लिए एनआरसी की बाबत जो आधार वर्ष तय होगा, उसे असम सरकार भी स्वीकार करेगी। उन्होंने कहा कि असम की प्रकाशित एनआरसी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अस्वीकार कर दिया है। इसलिए उन्होंने केंद्र से राज्य की वर्तमान एनआरसी को रद्द करने की मांग करते हुए असम को राष्ट्रीय एनआरसी का हिस्सा बनाने का अनुरोध किया।
दरअसल देश भर में आधार वर्ष 1951 था लेकिन असम में असम समझौते के तहत एनआरसी का आधार वर्ष 1971 को माना गया। डॉ. हेमंत बिस्वा शर्मा असम में भी आधार वर्ष 1951 के आधार पर ही एनआरसी लागू कराना चाहते हैं। अगर ऐसा हुआ तो एक बड़ी संख्या एनआरसी के दायरे से बाहर हो जाएगी। इसका कारण है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) से शरण लेने के लिए लोग असम में आए थे, जो वापस नहीं गए।
डॉ. शर्मा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जाति, वर्ण, धर्म सबको किनारे रखकर सभी लोगों को साथ लेकर एनआरसी अद्यतन की प्रक्रिया का काम शुरू किया जाएगा। ऐसे में एनआरसी को लेकर किसी को भी डरने की आवश्यकता नहीं है। इसका आश्वासन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज ही सदन में दिया है। दरअसल संसद में आज ही केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने पूरे देश में एनआरसी अद्यतन की प्रक्रिया आरंभ करने की बात कही है।
असम सरकार के इस बयान से यह साफ हो गया है कि एनआरसी अद्यतन की प्रक्रिया में काफी गड़बड़ी हुई है। यही कारण है कि अंतिम सूची के प्रकाशन के बाद राज्य सरकार ने इसको लागू करने को लेकर कोई भी बयान देने से बचती रही है।