अवैध आव्रजन मामले में ट्रम्प प्रशासन को अपीलीय अदालत से बड़ी राहत, कस्टम बॉर्डर पुलिस के मिले अधिकार

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लॉस एंजेल्स, 13 अप्रैल (हि.स.)। अमेरिका की फ़ेडरल कोर्ट आफ अपील ने शुक्रवार को जारी निषेधाज्ञा आदेश में अवैध आव्रजन मामले में ट्रम्प प्रशासन को बड़ी राहत दी है। इस निषेधाज्ञा आदेश के अनुसार मेक्सिको से देश की दक्षिण पश्चिमी सीमा से अमेरिकी सीमा में घुसने का प्रयास करने वाले अवैध आव्रजकों को रोकने के लिए कस्टम बार्डर पुलिस को अधिकार मिल गया है।
इस निषेधाज्ञा के अनुसार अब होंडूरस, ग्वाटेमाला और अल सल्वाडोर से ट्रकों और लारियों में भर कर मेक्सिको सीमा से घुसने वाले अवैध आव्रजकों को अगले आदेश तक मेक्सिको में ही रुकना पड़ेगा। यह आदेश फ़िलहाल चार दिन के लिए दिया गया है। तत्पश्चात अपीलीय अदालत यह तय करेगी की क्या ट्रम्प प्रशासन को उसकी आव्रजन संरक्षण नीति के आधार पर दीर्घावधि के लिए निषेधाज्ञा जारी की जा सकती है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार की रात ट्वीट कर निषेधाज्ञा पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा है कि ‘क्या लाजवाब आदेश आया है।’
ट्रम्प प्रशासन ने गत दिसंबर में आव्रजन संरक्षण नीति के तहत प्रोटोकोल बनाया था। इस निषेधाज्ञा आदेश से चार दिन पूर्व सैनफ़्रांसिस्को स्थित डिस्ट्रिक्ट नाइन के जज रिचर्ड सीबर्ग ने अपने आदेश में कहा था कि संघीय सरकार के पास अवैध आव्रजन के मामले में कोई विशेष अधिकार नहीं है। इसके लिए संघीय सरकार के प्रोटोकोल के अंतर्गत अमेरिकी सीमा में घुसने वाले अवैध आव्रजकों के भविष्य का फ़ैसला आव्रजन अदालत कर सकती है। ट्रम्प प्रशासन ने अवैध आव्रजकों को अमेरिकी सीमा में घुसने से रोकने के लिए भरसक प्रयास किए। इन में बड़े-बड़े राहत शिविर बनाए गए, परिवार से बच्चों को पृथक शिविरों में ठहराया गया। इन शिविरों में दो बच्चों की मृत्यु हो गई थी, जिस पर मीडिया में प्रशासन की ख़ासी छिछालेदार हुई थी। इसके बावजूद दक्षिण पश्चिम सीमा से प्रति माह क़रीब एक लाख अवैध आव्रजकों के आने से राहत शिविरों में अमानवीय स्थितियां पैदा हो गईं।
रिचर्ड सीबर्ग के आदेश के ख़िलाफ़ ट्रम्प प्रशासन के न्यायिक विभाग ने तीन सदस्यीय अपीलीय कोर्ट के सम्मुख याचिका दायर की थी कि मेक्सिको सीमा पर प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में अवैध आव्रजक आ रहे हैं। इन आव्रजकों के स्वास्थ्य परीक्षण के साथ-साथ उन्हें तत्काल सुविधाएं जुटाना और आव्रजन अदालतों के ज़रिए मामले निपटाना नाकाफी साबित हो रहा है। इस से बार्डर पर मानवीय संकट की स्थिति पैदा होती जा रही है। 


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