अररिया लोकसभा सीट पर होगा रोचक मुकाबला

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अररिया 22 अप्रैल (हि.स.) ।सीमांचल और कोसी की कुल सात सीटों में केवल एक अररिया पर भाजपा ने ताल ठोका है। अररिया लोकसभा सीट से भाजपा तीन बार विजयी हुई है।1991 से लेकर 2018 के उपचुनाव तक भाजपा सात बार यहां से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है, जिसमें उसे तीन बार जीत मिली है। राजद चार बार चुनाव लड़ चुका है, जिसमें तीन बार उसे भी जीत मिली है। चारों बार राजद का सीधा मुकाबला भाजपा से रहा। यहां यह बात दिलचस्प है कि भाजपा कभी बड़े अंतर से नहीं जीती। पहली बार 1998 में भाजपा के रामजी दास ऋषिदेव राजद की गीता देवी से पांच प्रतिशत के अंतर से जीते थे। दूसरी बार 2004 में भाजपा के सुकदेव पासवान करीब चार प्रतिशत के अंतर से जीते जबकि तीसरी बार 2009 में भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह करीब 3.1 प्रतिशत के अंतर से जीते थे।
अररिया का किला छह गढ़ों से घिरा है। जीत के लिये सबसे अधिक मजबूत गढ़ों की जरूरत पड़ने वाली है।वोट बैंक के नजरिये से चुनाव के दौरान हर सभा के अपने मायने होते हैं।अररिया लोकसभा सीट पर 2018 के उपचुनाव में राजद ने जोकीहाट और अररिया के गढ़ को इतना मजबूत किया था कि भाजपा के चार मजबूत गढ़ होने पर भी इस किले को फहत नहीं कर पायी। भाजपा ने इस बार अररिया और जोकीहाट की काट अपने गढ़ में तैयार कर लिया है। एनडीए ने 20 अप्रैल को फारबिसगंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी चुनावी सभा करायी है। फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र को भाजपा अपना सबसे मजबूत गढ़ मानती है। यहां सबसे अधिक करीब 3.25 लाख वोटर भी हैं।
उपचुनाव में फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र से सबसे अधिक 93739 वोट भाजपा को मिले थे। इसके बाद सिकटी विधानसभा क्षेत्र को भाजपा अपने लिए काफी मजबूत मानती है। रामविलास पासवान और सुशील मोदी ने सिकटी विधानसभा में पड़ने वाले कुर्साकांटा में सभा कर अपने परंपरागत वोट बैंक के अलावा महागठबंधन के वोटर माने जाने वालों को भी रिझाने का प्रयास किया है।उपचुनाव में नरपतगंज भी एनडीए के लिये मजबूत गढ़ बनकर उभरा। हालांकि भाजपा-जदयू के वोट को मिलाकर देखा जाये तो 2014 में भी नरपतगंज में एनडीए को राजद से अधिक वोट मिले थे, इसलिए नरपतगंज में एनडीए ने फोकस करके राजनाथ सिंह के बाद रामविलास पासवान व सुशील मोदी की सभा करायी है।
बता दें कि उपचुनाव में राजद को जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में 120765 और अररिया विधानसभा क्षेत्र में 107260 वोट मिले थे। भाजपा को 39517 और 56834 वोट ही मिले थे। ऐसे में भाजपा ने फारबिसगंज, नरपतगंज और सिकटी में अपने पहले की बढ़त को और बड़ी बनाने की पूरी कोशिश की है, जिससे अररिया और जोकीहाट की कुछ भरपायी हो सके।
इस सीट पर महागठबंधन भी चुनावी समर में कोई रणनीतिक चूक नहीं करना चाहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए तेजस्वी ने नरपतगंज में यादव वोट बैंक को बिखरने से रोकने के लिये सभा की है। वहीं महागठबंधन के साथी हम के जीतनराम मांझी से उन क्षेत्रों में दो सभाएं करवाईं जहां महादलित वोटर अधिक हैं। माना जाता है कि महादलित जदयू को लेकर एनडीए के वोट बैंक का हिस्सा है। इसमें सेंधमारी के लिये महादलित बहुल क्षेत्र रानीगंज के कालाबलुआ और सिकटी विधानसभा क्षेत्र के धर्मगंज में जीतनराम मांझी ने सभा की और महादलितों को कई तरीके से रिझाने का प्रयास किया है। रानीगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से राजद में आये रामजी दास ऋषिदेव के माध्यम से भी राजद महादलित वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि 23 मई को ही तय साफ होगा कि कौन किसके वोटर को तोड़ने में कितना सफल रहा ।


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