अमेरिका में ‘शट डाउन’ ने बढ़ा दिए डेमोक्रेट के हौसले
वाशिंगटन, 21 जनवरी (हि.स.)| राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सत्तारूढ़ होने के तीसरे साल में रिकार्ड ‘शट डाउन’ ने डेमोक्रेट के हौसले बढ़ा दिए हैं। अब कहा जाने लगा है कि क्या ट्रम्प ‘एक अवधि के राष्ट्रपति’ हैं। भारतीय मूल की कैलिफोर्निया की सिनेटर कमला हेरिस, हवाई से डेमोक्रेटिक कांग्रेस की प्रतिनिधि तुलसी गाबार्ड और न्यूयॉर्क से सिनेटर गिलबरंड ने डोनाल्ड ट्रम्प को अगले चुनाव के लिए अभी से ललकारना प्रारंभ कर दिया है। डेमोक्रेटिक पार्टी की अधिकृत उम्मीदवारी के लिए लंबी फेहरिस्त में अभी और कितने डेमोक्रेट राष्ट्रपति चुनाव 2020 के लिए मैदान में उतरेंगे, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। पिछले चुनाव 2016 में वरमोंट से तेजतर्रार निर्दलीय सिनेटर बर्नी सैंडर्स डेमोक्रेटिक पार्टी से उम्मीदवारी के लिए पहले से ही कमर कसे बैठे हैं।
बहरहाल, डोनाल्ड ट्रम्प की ताजपोशी का आज रविवार को तीसरा साल रिकार्ड शट डाउन के साथ शुरू हो गया। ट्रम्प के कार्यकाल के पहले 21 महीनों में कमोबेश आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है| अमेरिकी डालर का अन्यान्य मुद्राओं में सुधार हुआ है। रोजगार की स्थिति मजबूत हुई है। इसकी बदौलत फेडरल रिजर्व ने साल में चार बार ब्याज दर में वृद्धि कर सुदृढ़ अर्थव्यवस्था के संकेत दिए हैं। इसके बावजूद 2018 की आखिरी तिमाही में शेयर मार्केट में भारी उथल-पुथल रही है|आर्थिक विकास दर की गति धीमी पड़ी है। ईरान के साथ अमेरिका सहित पांच बड़े देशों के साथ आणविक संधि और पेरिस जलवायु परिवर्तन संधि से ट्रम्प प्रशासन का बाहर निकलना तथा दीवार निर्माण के नाम पर प्रशासन ठप होने से आठ लाख संघीय कर्मचारियों में घोर निराशा के साथ एक महीने से घर में बैठे रहना, देश और बड़े नेताओं की चौकसी के लिए तैनात सीक्रेट सर्विस अथवा हवाई अड्डों पर यात्रियों की स्क्रीनिंग में लगे सुरक्षा कर्मियों का मन मसोस कर बिना वेतन काम पर आना पीड़ा जनक साबित हो रहा हैं। गत नवंबर में कांग्रेस के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के उपचुनाव में बेशक महिलाओं की बड़ी जमात की दस्तक देने का अमेरिकी समाज में स्वागत हुआ है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन के लिए मुसीबतें बढ़ी हैं। सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी ने प्रतिनिधि सभा में अपना नियंत्रण खोया है। इससे ट्रम्प के लिए अपने मनोनुकूल विधान पारित कराए जाने में अड़चनें आ रही हैं। इनमें दीवार निर्माण के लिए ट्रम्प की ओर से 5.7 अरब डालर के वित्तीय प्रस्ताव पर डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से टका-सा जवाब दिया जाना राष्ट्रपति के मुंह पर करारा तमाचा है। इसके फलस्वरूप डेमोक्रेटिक पार्टी और व्हाइट हाउस के बीच गतिरोध बढ़ने से आर्थिक विकास दर धीमी होने के कयास लगाए जाने लगे हैं। आर्थिक विकास दर में कमी आने का एक और कारण अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (‘ट्रेड वार’) माना जा रहा है। हालांकि ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग के बीच पिछले महीने अर्जेंटीना में शिखर वार्ता में 28 फरवरी तक मौजूदा अड़चनों को दूर किए जाने का फैसला हुआ था, लेकिन अभी तक वार्ता सिरे तक नहीं पहुंची है। इससे दुनियाभर के निवेशकों में भय व्याप्त है। उन्हें सूझ नहीं पा रहा है कि ऊँट किस करवट बैठेगा? इन दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता नहीं होता है, तो मुमकिन है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सीमा शुल्क दस प्रतिशत से बढ़ा कर पच्चीस प्रतिशत कर दें। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार में गतिरोध होना स्वाभाविक है। चीन के साथ व्यापार में ट्रम्प की आपत्ति अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार असंतुलन लेकर है ही, उन्हें चीन की ओर से अमेरिकी प्रौद्योगिकी और प्राकृतिक सम्पदा की चोरी का दंश सता रहा है। फिलहाल अमेरिका को चीन के साथ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में करीब साढ़े तीन सौ अरब डालर का घाटा हो रहा है। ट्रम्प को लगता है, इसे अभी नहीं रोका गया तो अमेरिकी व्यापार को और भारी क्षति का सामना करना पड़ सकता है। व्यापार युद्ध विराम नहीं हो पाता है तो संभव है शेयर मार्केट और नीचे गिर जाए। फिर पहले बजट में कारपोरेट घरानों के लिए करों में कटौती से अरबों डालर का पहले ही चूना लग चुका है। इसके अलावा तीन देशों-अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा के बीच नाफ़्टा संधि के खटाई में पड़ने से भी अमेरिकी जीडीपी को चोट पहुंची है। इस बाबत आक्सफोर्ड के अर्थशास्त्री ग्रेग डेको k अ कहना है कि अर्थव्यवस्था रूपी केक को चट किया जा चुका है। इस समय टेबल पर कुछ बचा नहीं है।