लॉस एंजेल्स १९ नवंबर (हिस): अमेरिका ने फ़िलिस्तीन को एक और झटका दिया है और दशकों से विवादित वेस्ट में यहूदी बस्तियों की वैधता पर मोहर लगा दी है। विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने सोमवार को कहा कि वेस्ट में दशकों से इज़राइली बस्तियों को अन्तर्राष्ट्रीय क़ानून की दृष्टि से भी असंगत कहना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा है कि इज़राइल और फ़िलिस्तीन को चाहिए कि वे इस मसले में ख़ुद परामर्श करे।
उल्लेखनीय है कि 1967 में मध्य पूर्व के युद्ध में इज़राइल ने इस वेस्ट बैंक पर अपना अधिकार जमा लिया था और वहाँ क़रीब छह लाख यहूदी बस गए थे। इस पर फ़िलिस्तीन तभी से इन इज़राइली बस्तियों के निर्माण पर सवाल उठाता आ रहा है। इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों की दृष्टि से भी अवैध क़रार दिया जाता रहा है। फ़िलिस्तीन अपने इस क्षेत्र से इज़राइली बस्तियों को हटाने की माँग करता रहा है। इसी वेस्ट बैंक में यहूदी घरों के इर्द गिर्द सैकड़ों फ़िलिस्तीनी परिवार भी है। इस विवादास्पद क्षेत्र को लेकर संयुक्त राष्ट्र और इन दोनों देशों इज़राइल तथा फ़िलिस्तीन के बीच तनाव बना हुआ है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस विवादित मसले में फ़िलिस्तीन का साथ दिया था। इसी क्षेत्र में ईस्ट यरुशलम भी आता है, जहाँ इज़राइल ने पिछले वर्ष ही तेल अवीव से अपनी राजधानी ईस्ट यरुशलम बनाए जाने की घोषणा की थी। यह वही विवादास्पद क्षेत्र हैं, जहाँ फ़िलिस्तीन भी अपनी राजधानी बनाए जाने के लिए उत्सुक था।
श्री पोंपियो ने प्रेस काँफ़्रेंस में कहा कि दोनों पक्षों के क़ानूनी पक्ष को सुनने समझने के बाद अमेरिका इस निर्णय पर पहुँचा है कि दशकों से इज़राइली नागरिक बस्तियों के निर्माण के पश्चात इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय क़ानून की दृष्टि से भी असंगत कहना उचित नहीं होगा। इन बस्तियों के निर्माण के बाद उनकी ओर से कभी शांति में बाधा नहीं आई।
इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रम्प प्रशासन के इस फ़ैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिकी नीति में बदलाव एतिहासिक भूल सुधार है। लेकिन इस मसले में फ़िलिस्तीन के प्रमुख वार्ताकार साएब एरेकत ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि अमेरिका के इस निर्णय से विश्व शांति और सुरक्षा को ख़तरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि इसे ही अन्तर्राष्ट्रीय क़ानून कहते हैं तो यह जंगली क़ानून है।