अमेरिका के स्कूलों में पढ़ाई जा रही हैं बेगूसराय के सपूत की लिखी किताबें

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बेगूसराय, 20 जनवरी (हि.स.)। बिहार के साहित्य, संस्कृति और उद्योग के लिए ख्यातिप्राप्त जिला बेगूसराय देश ही नहीं विदेशों में भी परिचय का मोहताज नहीं रहा है। गंगा कछार पर बसी, छह नदियों की धरती बेगूसराय ने देश को न केवल साहित्य में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को दिया। बल्कि उद्योग में आजाद भारत का पहला रिफाइनरी दिया है । देश के दो भागों को जोड़ने के लिए आजाद भारत का पहला रेल सह सड़क पुल , सिमरिया पुल भी दिया। देश के बड़े रेलवे यार्ड में शुमार गढ़हरा यार्ड भी बेगूसराय में ही है | विश्व में सबसे तेज और सबसे अधिक समय तक अंग्रेजी ग्रामर पढ़ाने वाला शिक्षक संजय कुमार सिन्हा को भी बेगूसराय की मिट्टी ने ही जन्म दिया है।
लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज संजय सिन्हा के कारनामों के रिकॉर्ड को आज तक कोई तोड़ नहीं सका है। इनकी लिखी किताबें अमेरिका के स्कूल-कॉलेज में पढ़ाई जा रही हैं । इतना ही नहीं बेगूसराय के इस बेटे द्वारा लिखी गयी इंग्लिश ग्रामर को विश्व के 120 देश मानते भी हैं।
बेगूसराय नगर के भारद्वाज नगर निवासी वकालत से जुड़े कैलाश प्रसाद सिन्हा के सबसे बड़े पुत्र संजय कुमार सिन्हा को बचपन में ही रेलवे में कार्यरत उसके चाचा गरीबदास सिन्हा अपने साथ लेकर गोरखपुर चले गए थे। संजय ने वहीं के स्कूल से दसवीं एवं प्रेस्टो कॉलेज से इंग्लिश में पीजी की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान ही एक दिन नेपाल से आए एक प्रोफेसर को उनके प्रश्नों से आश्चर्यचकित होना पड़ा । इसके बाद उन्होंने संजय को नेपाल आने के लिए आमंत्रित किया।
नेपाल के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में संजय कुमार सिन्हा ने इंग्लिश ग्रामर पर लेक्चर दिया। उनके पढ़ाने की शैली विश्वविद्यालय प्रशासन को इतनी पसंद आई कि वहीं उन्हें लेक्चरर नियुक्त कर दिया गया। नेपाल में ही संजय की मुलाकात अमेरिका और ब्रिटेन के शिक्षकों से हुई। इसके बाद उन्होंने आगे बढ़ने का ठान लिया और 2005 में मुंबई पहुंचे।
2005 में ही मुम्बई में 72 बच्चों को 73 घंटा 37 मिनट तक लगातार बिना रुके अंग्रेजी ग्रामर पढ़ाकर संजय सिन्हा ने लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया। इससे पहले यह रिकार्ड पोलैंड की एलिजाबेथ के नाम था, जिसने 2003 में 59 घंटा बिना रुके 21 बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाई थी ।
अंग्रेजी ग्रामर में विश्व रिकॉर्ड बनने के बाद तो संजय की दुनिया ही बदल गई। एक ओर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने डिनर पर बुलाकर संजय सिन्हा को सम्मानित किया। वहीं, दुनिया के प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों से लेक्चर का आमंत्रण भी उन्हें मिलने लगा। संजय सिन्हा ने लंदन के किंग्स कॉलेज में अपना लेक्चरर दिया। इसके बाद लंदन में ही सबसे तेज अंग्रेजी पढ़ाने का भी विश्व रिकॉर्ड उन्होंने अपने नाम कर लिया। उन्होंने कई किताबें लिखी, जिसमें से द किंग्स ग्रामर्स समेत तीन किताबें अमेरिका के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जा रही हैं । वहीं, द क्राउंस ग्रामर्स, द किंग्स ग्रामर्स, द क्वींस ग्रामर्स, प्रिंस ग्रामर्स, किंग्स कॉम्निकेटिव इंग्लिश एवं किंग्स लिट्ररेचर सीरिज 15 देशों के स्कूल- कॉलेजों में पढ़ाई जा रही है। इसके बाद संजय कुमार सिन्हा की खोज देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अलावे विदेश के दर्जनभर से अधिक विश्वविद्यालयों में स्पेशल क्लास के लिए होने लगी।
हावर्ड यूनिवर्सिटी हो या त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, इनके शिक्षण पद्धति के सभी दीवाने हो गए। हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े शो अमेरिका गॉट टैलेंट के लिए उन्हें बुलाया गया है तथा वह इसकी तैयारी में लगे हैं। संजय ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि विश्व रिकॉर्ड हासिल करना उनकी मंजिल नहीं है। उन्होंने अंग्रेजी ग्रामर के पुराने घिसे-पिटे नियमों को बदलने की मुहिम शुरू की है, जिसमें कुछ सफलता भी मिली है।
द किंग्स ग्रामर्स में उन्होंने समझाने की कोशिश की है कि मवेशियों में कुछ की पहचान होने के बावजूद इसके लिए इट्स का प्रयोग होता है। जबकि, द क्राउंस ग्रामर्स में फ्रिज के जो नियम पर विस्तार से रोशनी डाली गयी है। संजय सिन्हा की लिखी किताब को जहां विश्व प्रसिद्ध यूएसए टैफर्ड पब्लिशिंग, यूएसए ने प्रकाशित किया है। वहीं, सात किताब भारत के प्रख्यात पब्लिशिंग हाउस एस चांद तथा दर्जनभर से अधिक किताब अलग-अलग प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गयी है । जो कि ऑनलाइन मार्केटिंग साइट अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के माध्यम से देश-विदेश में उपलब्ध भी कराया जा रहा है।
फिलहाल, बेगूसराय की मिट्टी के इस लाल ने दुनिया को एक बार फिर अपनी ओर आकर्षित किया है और कहा है कि शुद्ध देशी परिवेश में भी बहुत कुछ है। अंग्रेजी पढ़ाने का ऐसा अनोखा रिकॉर्ड है जिसे दुनिया का कोई भी व्यक्ति 14 वर्ष बाद भी तोड़ नहीं सका। 


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