अफगानिस्तान से नई नीति के तहत अगले तीन से पांच साल में अपने देश लौटेगी अमेरिकी सेना

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नई दिल्ली/काबुल, 02 मार्च (हि.स.)। अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिक पेंटागन की नई नीति के तहत आगामी तीन से पांच सालों में अपने देश लौट जायेंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच वार्ता में मददगार मानी जा रही इस नीति में दक्षिण एशियाई देश में तैनात 14,000 सैनिकों की संख्या आधी करने की भी बात की है।
वॉशिंगटन और ब्रसल्ज स्थित उत्तरी अटलांटिक सहयोग संघ (नाटो) मुख्यालय द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार की गई इस नीति के अनुबंध के तहत अफगानिस्तान में तैनात 8,600 यूरोपीय और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सैनिकों का मुख्य ध्यान अफगानिस्तानी सेना को प्रशिक्षित करेंगे, जिससे अमेरिकी सेना आतंकवादरोधी अभियानों में जुट सकेगी।
पेंटागन प्रवक्ता कोन फॉकनर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शांतिवार्ता चल रही है तो कोई निर्णय नहीं लिया गया है और अमेरिका सेना की संख्या और तैनाती के सभी विकल्पों को लेकर सभी विचार खुले हुए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने न्यू यॉर्क टाइम्स के हवाले से कहा कि दोनों पक्षों के बीच पांचवें चरण की वार्ता कतर की राजधानी दोहा में सोमवार को शुरू हो चुकी है और अफगानी संधि के लिए अमेरिका के प्रमुख प्रतिनिधी जलमाय खलीलजाद ने गुरुवार को तालिबान से वार्ता को सकारात्मक बताया।
आंतरिक विचार-विमर्श के बाद वार्ता शनिवार को भी जारी रहेगी। तालिबान से शांतिवार्ता के दौरान वार्ताकारों को लाभ की स्थिति में रखने के उद्देश्य से पेंटागन ने कथित रूप से 2014 के बाद से अफगानिस्तान में हवाई हमलों और छापामारी को सर्वोच्च स्तर पर कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में आतंकवादी हमला होने के बाद अफगानिस्तान में मरने वाले अमेरिकी सैनिकों की संख्या 2,400 पार कर चुकी है। 


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