अनु. जाति/अनु.जन जाति अत्याचार निरोधक अधिनियम के संशोधन का म.प्र.,बिहार, राजस्थान में बढ़ता विरोध

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मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसदों का होने लगा घेराव, धरना, प्रदर्शन
04 सितम्बर को ग्वालियर में होगी बड़ी रैली

नई दिल्ली, 03 सितम्बर (हि.स.)। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक ) अधिनियम मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को केन्द्र सरकार ने जिस तरह से संसद में विधेयक पास कराकर पलट दिया, जिसका विरोध तेज होने लगा है | किसी भी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के व्यक्ति द्वारा अगड़ी जाति, पिछड़ी जाति, अन्य पिछड़ी जाति के व्यक्ति के विरुद्ध मात्र प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करा देने भर से, आरोप की जांच किये बिना गिरफ्तार करने का नियम बना दिया गया है, उसको लेकर कई राज्यों में आंदोलन शुरू हो गया है।
मालूम हो कि सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले में फैसला दिया था कि बिना जांच किये इसमें गिरफ्तारी नहीं होगी। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद कुछ दलित संगठनों ने तोड़फोड़ की थी। इस पर केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान, थावर चन्द गहलौत सहित सभी पार्टी के दलित सांसदों ने बैठक की थी और सरकार पर दबाव बनाया था जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनके मंत्रिमंडल ने संसद में विधेयक लाकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटने का निर्णय किया और संसद में विधेयक पास कराकर, उसपर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर कराकर गजट जारी करा दिया गया। यानि कानून बना दिया गया । यह कि किसी भी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के व्यक्ति द्वारा इस अधिनियम के तहत किसी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई तो बिना जांच के उसकी गिरफ्तारी होगी।
वरिष्ठ वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी का कहना है कि जो नियम बनाया गया है इसमें यदि दलित ने किसी गैर दलित के विरुद्ध एफआईआर में झूठा भी आरोप लगा दिया, तो भी जिसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई, तो उसकी गिरफ्तारी होगी और दलित के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होगी।
दलित एक्ट में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलट कर बिना जांच के गिरफ्तारी की मोदी सरकार के बनाये इस कानून से गैर दलितों में नाराजगी इतनी बढ़ गई है कि लोग धरना-प्रदर्शन करने लगे हैं। रही – सही कसर नौकरियों व पदोन्नति में आरक्षण ने पूरी दी है।इसको लेकर बिहार, उ.प्र.,म.प्र. में धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया है। जल्दी ही राजस्थान में भी बड़े स्तर पर होने वाला है।
बिहार के भूमिहार ब्राह्मण समाज के अमरीश पांडेय का कहना है कि नालंदा, बेगूसराय, बाढ़, गया व अन्य जिलों में सवर्णों ने आर्थिक आधार पर आरक्षण देने , दलित कानून में बिना जांच के गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन व सड़क जाम कर दिया था। बिना जांच के गिरफ्तारी के विरोध में ओबीसी जाति के लोग भी सड़क पर आने लगे हैं। अब यह और बड़े स्तर पर होने वाला है । उ.प्र. में भी कई शहरों में आन्दोलन की रणनीतियां शुरू हो गयी हैं ।
इसका सबसे उग्र विरोध म.प्र. में हो रहा है। वहां सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग कर्मचारी – अधिकारी संगठन (सपाक्स) ने पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में जो धरना – प्रदर्शन शुरू किया था, उस एजेंडे में अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए मोदी सरकार द्वारा संसद में विधेयक लाकर बनाये कानून का विरोध भी शामिल कर लिया गया है। इसके कारण अब इसमें गैर दलित हर वर्ग के लोग आने लगे हैं और पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया है। हालत यह है कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की रथयात्रा पर भी पथराव होने लगा है। मंत्रियों को सभा करना मुश्किल हो गया है। जन आशीर्वाद रथ यात्रा पर निकले शिवराज सिंह चौहान की रथनुमा गाड़ी पर दलित एक्ट विरोधियों ने 02 सितम्बर को सीधी जिले में पथराव किया , जिसमें गाड़ी का एक शीशा टूट गया। नीमच में भी लोग विरोध कर रहे हैं।
एक सितम्बर 2018 को केन्द्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत और कांग्रेसी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना में सर्किट हाउस में थे। उन दोनों को सवर्णों , पिछड़ों , यानि सपाक्स के कार्यकर्ताओं, समर्थकों ने घेर लिया। उनके विरुद्ध नारे लगाने लगे। हालत यह हो गई कि दोनों को सर्किट हाउस के पिछले दरवाजे से बाहर निकलना पड़ा। सपाक्स वालों का कहना है कि इस मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दोषी है, दोनों को ही हराना है।
ग्वालियर में सवर्ण समाज व पिछड़ा वर्ग के लोगों ने केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का घेराव कर उनसे इस्तीफे की मांग की। विदिशा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और विदेश राज्य मंत्री एम.जे.अकबर का सपाक्स ने घेराव किया और ज्ञापन देकर केन्द्र सरकार द्वारा दलित एक्ट में किये संशोधन को वापस लेने की मांग की।
मुरैना में म.प्र. के मंत्री रूस्तम सिंह को काले झंडे दिखाये गये। उनका रास्ता रोक दिया गया। भिंड के भाजपा सांसद भगीरथ को लोग पोस्ट आफिस के कार्यक्रम स्थल पर जाने से रोक दिया। उनको पुलिस अधीक्षक को साथ लेकर पुलिस के घेरे में जाना पड़ा।
इस बारे में म.प्र. के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश मेहरोत्रा का कहना है कि सपाक्स ने दलित एक्ट में केन्द्र सरकार द्वारा किये संशोधन के विरोध में मंगलवार 04 सितम्बर को ग्वालियर में एक बड़ी रैली करने का ऐलान किया है, जिसके कारण राज्य सरकार व शासन की परेशानी बढ़ गई है। सत्ताधारी विधायकों को डर सताने लगा है कि विधान सभा चुनाव आते – आते यह आंदोलन पूरे राज्य में गैर दलित आंदोलन का बड़ा रूप ले सकता है । यह होने पर भाजपा को बहुत नुकसान हो सकता है।


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