अनर्गल बयानों से मत कीजिए सेना का अपमान
एयर स्ट्राइक की गूंज पूरी दुनिया में थी। अमेरिका सहित सभी विकसित देशों ने इसकी पुष्टि सेटेलाइट के माध्यम से की। इससे प्रमाणित हुआ कि वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में बड़ी तबाही की है।
पाकिस्तान में भी हड़कम्म मचा था। शीर्ष कमांडरों की लगातार बैठक चल रही थी। प्रधानमंत्री इमरान खान पर भारी दबाव पड़ रहा था। यही कारण था कि पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए एफ –16 लड़ाकू विमान भेजा था। पाकिस्तान के कई आतंकी सरगना भी हमले का रोना रो रहे थे।
लेकिन पाकिस्तान को अपनी यह झेंप मिटानी थी। कुछ दिन बाद उसने अपनी इज्जत छिपाने का प्रयास किया। उसने कहा कि एयर स्ट्राइक से केवल जंगल के पेड़ों का नुकसान हुआ है। इसकी शिकायत वह संयुक्त राष्ट्र संघ और ग्रीन पीस संस्था से करेगा। यही समाचार अन्य देशों के कुछ अखबारों में प्रकाशित हुआ। इसी को कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के नेता ले उड़े।
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि बालकोट में हमला करने गए थे या पेड़ उखाड़ने। यह पाकिस्तान का बयान था। सिद्धू ने उसे दोहरा दिया। कपिल सिब्बल कहते हैं कि जंगल में आतंकी कैम्प नहीं होते। यह कथन अवाम को बरगलाने वाला है। पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण ऐसे ही जंगल में चलते हैं। महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि एयर स्ट्राइक पर प्रश्न उठाने का अधिकार है। राहुल गांधी ने पहले एयर स्ट्राइक की सफलता पर संदेह किया। इसके बाद तो उनकी पार्टी और अन्य विपक्षी नेताओं में होड़ मच गई। वोटबैंक की सियासत उन्हें पाकिस्तान की भाषा बोलने को विवश कर रही है। जब कोई नेता यह कहता है कि उसके सैनिक क्या पेड़ उखाड़ने गए थे, यह अपनी सेना पर शर्मनाक संदेह और उसका अपमान है।
सर्जिकल स्ट्राइक बहुत जोखिम का कार्य होता है। दुश्मन के घर में घुसकर मारने वाले अपनी जान हथेली पर लेकर जाते हैं। ऐसे जांबाज जवान जब लौटकर आते हैं, तब उनसे सवाल पूछना बेहद शर्मनाक है। दिग्विजय सिंह ने तो हद कर दी। उन्होंने पुलवामा में हुए आतंकी हमले को दुर्घटना बता दिया। वह यहीं नहीं रुके। वह कहते हैं कि अमेरिका ने लादेन को मारने के सबूत दिए थे। दिग्विजय झूठ बोल रहे हैं। दिग्विजय को कैसे पता चला कि अमेरिका ने जिसे समुद्र में डुबाया, वह लादेन था। कपिल सिब्बल न बोलें, यह संभव नहीं। वह कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में किसी के मारे जाने की रिपोर्ट नहीं है।
कितना शर्मनाक है कि इन नेताओं को अपने सेना पर विश्वास नहीं है। लेकिन ये कुछ विदेशी अखबारों के दीवाने हैं।
दूसरी शर्मनाक बात यह कि विपक्ष को अपने ही वायु सेना प्रमुख के बयान पर विश्वास नहीं है। एयर मार्शल बीएस धनोआ ने स्पष्ट किया है कि भारतीय वायु सेना की यह कार्रवाई ऑपरेशन का अंत नहीं है। उनका यह बयान बेहद छोटा जरूर है, मगर इसका बड़ा संदेश साफ है कि आतंकवाद पर पाकिस्तान की घेरेबंदी के लिए बालाकोट के बाद अगली बड़ी कार्रवाई का रास्ता बंद नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि बमबारी के मिशन में सिर्फ यही देखा जाता है कि कितने टारगेट थे और उनमें से कितनों को निशाना बनाया जा सका। वायु सेना ने टारगेट को हिट किया था। बम निशाने पर गिरे थे। कितनी मौतें हुई, यह हम नहीं बता सकते। मारे गए लोगों की गिनती करना वायु सेना का काम नहीं है। मरने वालों की संख्या लक्षित ठिकानों में मौजूद लोगों की संख्या पर निर्भर करती है, जिसका जवाब सरकार देगी।
सवाल यह कि बम जंगल में बम गिराते तो पाकिस्तान क्यों बौखलाता। यदि जंगल में बम गिराए गए होते तो फिर पाकिस्तान जवाब क्यों देता। नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन(एनआरटीओ) ने बालाकोट पर एयर स्ट्राइक के दिन तीन सौ एक्टिव मोबाइल कनेक्शन की पुष्टि की है। इसका मतलब है कि वहां जैश के कैंप में तीन सौ आतंकी तो थे ही। इस बात की पुष्टि इलेक्ट्रॉनिक तरंगों से मिले सबूतों के जरिए हो रही है। हमले के समय नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने सर्विलांस शुरू कर दिया था।
राहुल गांधी, कपिल सिब्बल, महबूबा, चिदम्बरम, दिग्विजय आदि के बयान पाकिस्तानी मीडिया में खूब चलाए जा रहे हैं। वह इनका उपयोग भारत के विरुद्ध कर रहा है। पाकिस्तान एयर स्ट्राइक पर जो कह रहा है, वही बात ये भारतीय नेता दोहरा रहे हैं। इनमें कुछ भारतीय पत्रकार भी शामिल हैं। जैश सरगना अजहर के भाई अम्मार का कहना है कि भारतीय एयर स्ट्राइक से भारी तबाही हुई है। इससे जैश की कमर टूट गई है।
एयर स्ट्राइक पर सबूत मांगने वाले भारतीय नेता अपनी सेना का मनोबल गिरा रहे हैं। इन्हें बालाकोट में आतंकी शिविरों की तबाही का दर्द है, तो कम से कम यही कह देते कि दुश्मन की सीमा में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करना असाधारण शौर्य का काम है। 1971 के बाद भारतीय सेना पाकिस्तान में इतना भीतर तक गई थी। कोई भी सरकार आपने सैनिकों को सर्जिकल स्ट्राइक में पेड़ नष्ट करने का टारगेट नहीं दे सकती। नवजोत सिद्धू यही तो कह रहे हैं। लगता ही नहीं कि वह भारत के एक संवैधानिक पद पर हैं। पहले लगा कि कांग्रेस पहले की तरह उनके बयान को निजी बताकर किनारा कर लेगी। लेकिन यहां तो पूरे कुएं में भांग पड़ी है। कांग्रेस अध्यक्ष भी इसी झोंक में हैं। पिछली सर्जिकल स्ट्राइक को उन्होंने खून की दलाली बताया था। इस बार सर्जिकल स्ट्राइक के कुछ घंटे भी नहीं बीते थे, उन्होंने 21 पार्टियों की बैठक बुला ली। इसमें भी ये सब मिलकर अपनी ही सरकार पर हमला बोलने लगे थे। कांग्रेस को आमजन के मनोभाव की भी चिंता नहीं है। बेहतर होता कि ये विपक्षी नेता पाकिस्तान को खुश करने और अपने सैनिकों का अपमान करने वाले बयान न देते। युद्ध की परिस्थितियां समाप्त नहीं हुई हैं। ऐसे में इस प्रकार के बयान शर्मनाक हैं। पाकिस्तानी मीडिया में ऐसे भारतीय नेताओं की प्रशंसा हो रही है। शत्रु और आतंकी मुल्क तारीफ करने लगे तो समझ लेना चाहिए कि बात राष्ट्रीय हित के अनुकूल नहीं थी।
पाकिस्तान में भी हड़कम्म मचा था। शीर्ष कमांडरों की लगातार बैठक चल रही थी। प्रधानमंत्री इमरान खान पर भारी दबाव पड़ रहा था। यही कारण था कि पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए एफ –16 लड़ाकू विमान भेजा था। पाकिस्तान के कई आतंकी सरगना भी हमले का रोना रो रहे थे।
लेकिन पाकिस्तान को अपनी यह झेंप मिटानी थी। कुछ दिन बाद उसने अपनी इज्जत छिपाने का प्रयास किया। उसने कहा कि एयर स्ट्राइक से केवल जंगल के पेड़ों का नुकसान हुआ है। इसकी शिकायत वह संयुक्त राष्ट्र संघ और ग्रीन पीस संस्था से करेगा। यही समाचार अन्य देशों के कुछ अखबारों में प्रकाशित हुआ। इसी को कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के नेता ले उड़े।
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि बालकोट में हमला करने गए थे या पेड़ उखाड़ने। यह पाकिस्तान का बयान था। सिद्धू ने उसे दोहरा दिया। कपिल सिब्बल कहते हैं कि जंगल में आतंकी कैम्प नहीं होते। यह कथन अवाम को बरगलाने वाला है। पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण ऐसे ही जंगल में चलते हैं। महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि एयर स्ट्राइक पर प्रश्न उठाने का अधिकार है। राहुल गांधी ने पहले एयर स्ट्राइक की सफलता पर संदेह किया। इसके बाद तो उनकी पार्टी और अन्य विपक्षी नेताओं में होड़ मच गई। वोटबैंक की सियासत उन्हें पाकिस्तान की भाषा बोलने को विवश कर रही है। जब कोई नेता यह कहता है कि उसके सैनिक क्या पेड़ उखाड़ने गए थे, यह अपनी सेना पर शर्मनाक संदेह और उसका अपमान है।
सर्जिकल स्ट्राइक बहुत जोखिम का कार्य होता है। दुश्मन के घर में घुसकर मारने वाले अपनी जान हथेली पर लेकर जाते हैं। ऐसे जांबाज जवान जब लौटकर आते हैं, तब उनसे सवाल पूछना बेहद शर्मनाक है। दिग्विजय सिंह ने तो हद कर दी। उन्होंने पुलवामा में हुए आतंकी हमले को दुर्घटना बता दिया। वह यहीं नहीं रुके। वह कहते हैं कि अमेरिका ने लादेन को मारने के सबूत दिए थे। दिग्विजय झूठ बोल रहे हैं। दिग्विजय को कैसे पता चला कि अमेरिका ने जिसे समुद्र में डुबाया, वह लादेन था। कपिल सिब्बल न बोलें, यह संभव नहीं। वह कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में किसी के मारे जाने की रिपोर्ट नहीं है।
कितना शर्मनाक है कि इन नेताओं को अपने सेना पर विश्वास नहीं है। लेकिन ये कुछ विदेशी अखबारों के दीवाने हैं।
दूसरी शर्मनाक बात यह कि विपक्ष को अपने ही वायु सेना प्रमुख के बयान पर विश्वास नहीं है। एयर मार्शल बीएस धनोआ ने स्पष्ट किया है कि भारतीय वायु सेना की यह कार्रवाई ऑपरेशन का अंत नहीं है। उनका यह बयान बेहद छोटा जरूर है, मगर इसका बड़ा संदेश साफ है कि आतंकवाद पर पाकिस्तान की घेरेबंदी के लिए बालाकोट के बाद अगली बड़ी कार्रवाई का रास्ता बंद नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि बमबारी के मिशन में सिर्फ यही देखा जाता है कि कितने टारगेट थे और उनमें से कितनों को निशाना बनाया जा सका। वायु सेना ने टारगेट को हिट किया था। बम निशाने पर गिरे थे। कितनी मौतें हुई, यह हम नहीं बता सकते। मारे गए लोगों की गिनती करना वायु सेना का काम नहीं है। मरने वालों की संख्या लक्षित ठिकानों में मौजूद लोगों की संख्या पर निर्भर करती है, जिसका जवाब सरकार देगी।
सवाल यह कि बम जंगल में बम गिराते तो पाकिस्तान क्यों बौखलाता। यदि जंगल में बम गिराए गए होते तो फिर पाकिस्तान जवाब क्यों देता। नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन(एनआरटीओ) ने बालाकोट पर एयर स्ट्राइक के दिन तीन सौ एक्टिव मोबाइल कनेक्शन की पुष्टि की है। इसका मतलब है कि वहां जैश के कैंप में तीन सौ आतंकी तो थे ही। इस बात की पुष्टि इलेक्ट्रॉनिक तरंगों से मिले सबूतों के जरिए हो रही है। हमले के समय नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने सर्विलांस शुरू कर दिया था।
राहुल गांधी, कपिल सिब्बल, महबूबा, चिदम्बरम, दिग्विजय आदि के बयान पाकिस्तानी मीडिया में खूब चलाए जा रहे हैं। वह इनका उपयोग भारत के विरुद्ध कर रहा है। पाकिस्तान एयर स्ट्राइक पर जो कह रहा है, वही बात ये भारतीय नेता दोहरा रहे हैं। इनमें कुछ भारतीय पत्रकार भी शामिल हैं। जैश सरगना अजहर के भाई अम्मार का कहना है कि भारतीय एयर स्ट्राइक से भारी तबाही हुई है। इससे जैश की कमर टूट गई है।
एयर स्ट्राइक पर सबूत मांगने वाले भारतीय नेता अपनी सेना का मनोबल गिरा रहे हैं। इन्हें बालाकोट में आतंकी शिविरों की तबाही का दर्द है, तो कम से कम यही कह देते कि दुश्मन की सीमा में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करना असाधारण शौर्य का काम है। 1971 के बाद भारतीय सेना पाकिस्तान में इतना भीतर तक गई थी। कोई भी सरकार आपने सैनिकों को सर्जिकल स्ट्राइक में पेड़ नष्ट करने का टारगेट नहीं दे सकती। नवजोत सिद्धू यही तो कह रहे हैं। लगता ही नहीं कि वह भारत के एक संवैधानिक पद पर हैं। पहले लगा कि कांग्रेस पहले की तरह उनके बयान को निजी बताकर किनारा कर लेगी। लेकिन यहां तो पूरे कुएं में भांग पड़ी है। कांग्रेस अध्यक्ष भी इसी झोंक में हैं। पिछली सर्जिकल स्ट्राइक को उन्होंने खून की दलाली बताया था। इस बार सर्जिकल स्ट्राइक के कुछ घंटे भी नहीं बीते थे, उन्होंने 21 पार्टियों की बैठक बुला ली। इसमें भी ये सब मिलकर अपनी ही सरकार पर हमला बोलने लगे थे। कांग्रेस को आमजन के मनोभाव की भी चिंता नहीं है। बेहतर होता कि ये विपक्षी नेता पाकिस्तान को खुश करने और अपने सैनिकों का अपमान करने वाले बयान न देते। युद्ध की परिस्थितियां समाप्त नहीं हुई हैं। ऐसे में इस प्रकार के बयान शर्मनाक हैं। पाकिस्तानी मीडिया में ऐसे भारतीय नेताओं की प्रशंसा हो रही है। शत्रु और आतंकी मुल्क तारीफ करने लगे तो समझ लेना चाहिए कि बात राष्ट्रीय हित के अनुकूल नहीं थी।