अगस्त 1947 में हुई चूक का प्रायश्चित है करतारपुर कॉरिडोर : मोदी

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गुरु गोविंद सिंह पर स्मारक सिक्का जारी, भारतीय दूतावासों में भी मनाया जाएगा गुरु नानक का 550वां प्रकाशपर्व
नई दिल्ली, 13 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु गोविंद सिंह की 352वीं जयंती के मौके पर रविवार को एक स्मारक सिक्का जारी किया। यह स्मारक सिक्का श्री गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव (1666-2016) को समर्पित है। प्रधानमंत्री के सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, महेश शर्मा, हरदीप सिंह पुरी सहित सिख समुदाय के अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मौके पर कहा कि पिछला वर्ष हमने गुरु गोविंद सिंह की 350वीं जन्म जयंती के रूप में मनाया था। सिख पंथ के इस महत्वपूर्ण अवसर को और यादगार बनाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें 350 रुपये का स्मृति सिक्का जारी करने का मौका मिला है। यह उनके प्रति आदर और श्रद्धा व्यक्त करने का छोटा सा प्रयास भर है। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह का सिक्का हम लोगों के दिलों पर सैकड़ों सालों से चल रहा है और आगे भी कई सौ सालों तक चलने वाला है।
प्रधानमंत्री ने पंजाब के गुरदासपुर से अंतराष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर गलियारे का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों से करतारपुर कॉरिडोर बनने जा रहा है। अब गुरु नानक के बताये मार्ग पर चलने वाला हर भारतीय दूरबीन के बजाय अपनी आंखों से नारोवाल जा पाएगा और बिना वीजा के गुरुदुवारा दरबार साहिब के दर्शन कर पाएगा। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर ऐतिहासिक गुरद्वारा दरबार साहिब स्थित है। यहां सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव ने अपने जीवन के 18 साल गुजारे थे।
भारत विभाजन का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि अगस्त 1947 में जो चूक हुई थी यह उसका प्रायशचित है। उन्होंने कहा कि हमारे गुरु का सबसे महत्वपूर्ण स्थल कुछ ही किलोमीटर दूर था लेकिन उसे भी अपने साथ नहीं लिया गया। यह कॉरिडोर उस नुकसान को पूरा करने का एक प्रयास है।
प्रधानमंत्री ने 1984 में हुए सिख नरसंहार को एक अन्याय के दौर की शुरूआत करार देते हुए कहा कि गुरु नानक देव और गुरु गोविंद सिंह के दिखाए मार्ग पर चलते हुए हमारी सरकार 1984 में शुरू हुए अन्याय के दौर को न्याय तक पहुंचाने में जुटी है। उन्होंने सिख समुदाय को भरोसा दिलाते हुए कहा कि दशकों तक माताओं, बहनों और बेटियों ने जितने आंसू बहाए हैं उन्हें पोंछने और न्याय दिलाने का काम कानून करेगा।
उन्होंने कहा कि अब गुरु नानक देव की 550वीं जन्म जयंती के तैयारियां चल रही हैं। प्रकाशोत्सव देश के तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में तो मनाया ही जाएगा इसके अलावा विश्व में भारतीय दूतावासों में भी इस समारोह का आयोजन होगा।
मोदी ने गुरु गोविंद सिंह को नमन करते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व में अनेक विद्धाओं का संगम था। वह जितने अच्छे योद्धा थे उतने ही अच्छे कवि और साहित्यकार भी थे। प्रधानमंत्री ने गुरु के बच्चों के बलिदान का स्मरण करते हुए कहा कि देश और धर्म के लिए इससे बड़ा और उदाहरण और क्या हो सकता है। उन्होंने कहा कि खालसा पंथ का विकास गुरु के लम्बे चिंतन, मनन और अध्ययन का परिणाम था। वह वेद, पुराण एवं अन्य प्राचीन ग्रंथों के ज्ञाता थे। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के 11 सूत्री मार्ग पर चलने का संकल्प लेने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं को लेकर गुरु गोविंद सिंह की जानकारी अतुल्यनीय थी। गुरु गोविंद सिंह का काव्य भारतीय संस्कृति के ताने-बाने हमारे जीवन दर्शन की सरल अभिव्यक्ति है। साहित्य के जानकार उन्हें साहित्य का प्रेरक और पोषक भी मानते हैं।


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