अंतरराज्यीय मानव तस्करी मामले में छह को सजा, पीड़िता को तीन लाख का मुआवजा

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कोलकाता : पश्चिम बंगाल के हल्दिया में एक नाबालिग लड़की की तस्करी के बहुचर्चित मामले में छह लोगों को दोषी करार देते हुए अदालत ने कठोर सजा सुनाई है। हल्दिया थाना अंतर्गत इस मामले का खुलासा 26 अक्टूबर 2017 को हुआ था, जिसमें 16 साल की एक नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर दिल्ली होते हुए आगरा ले जाया गया और उसे एक वेश्यालय में बेच दिया गया था। इस जघन्य अपराध के सिलसिले में हल्दिया में पॉक्सो अधिनियम के तहत विशेष अदालत में सुनवाई हुई, जिसमें सात आरोपितों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। मामले में विशेष लोक अभियोजक श्री देब रंजन बनर्जी ने पीड़िता की ओर से पैरवी की।

सीआईडी ने शनिवार को बताया कि लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, अदालत ने आठ नवंबर 2024 को इस मामले में छह आरोपितों को दोषी ठहराया और उनके लिए कठोर सजा का ऐलान किया, जबकि एक आरोपित को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। अदालत ने मुख्य आरोपित शहजमल मोल्ला को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसमें वह जीवनभर जेल में रहेगा। इसके अलावा, शालू सिंह को 20 साल का कठोर कारावास दिया गया। इसी मामले में अन्य दोषियों प्रवीण कुमार उर्फ रिंकू, मनीषा, मैरी और शहनाज़ बेगम उर्फ इंदु को 12-12 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।

अदालत ने पीड़िता के साथ हुए अमानवीय कृत्य और उसके भविष्य पर असर को देखते हुए उसे मुआवजे के रूप में तीन लाख रुपये देने का आदेश भी दिया है।

इस फैसले के बाद पश्चिम बंगाल सीआईडी की ओर से शनिवार को बयान जारी कर बताया गया कि इस तरह की सख्त सजा से समाज में मानव तस्करी जैसी घटनाओं पर रोकथाम लगेगी और न्यायिक प्रक्रिया पर आम जन का भरोसा मजबूत होगा। यह मामला हल्दिया थाना कांड संख्या 109/2017 के तहत दर्ज किया गया था, जिसमें आईपीसी की विभिन्न धाराओं, पोक्सो अधिनियम और आईटीपीए के प्रावधान शामिल थे।


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