हिन्दू विरोधी साजिश का प्रमाण हैं साध्वी प्रज्ञा

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साध्वी प्रज्ञा भारती के राजनीति में प्रवेश से जो धमाका हुआ, उससे देश की राजनीति में खलबली मची हुई है। चुनावी युद्ध की इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता कि ध्रुवीकरण रणनीति के आधार पर होता है। जातिवादी, मजहबी यहां तक कि सांस्कृतिक ध्रुवीकरण को भी नकारा नहीं जा सकता। राष्ट्रीय दल के साथ-साथ क्षेत्रीय दल भी थोक वोट पाने के लिए ध्रुवीकरण के हथियार का उपयोग करते हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बसपा-सपा का आधार ही जातिवादी ध्रुवीकरण से वोट प्राप्त करना है। आजादी के बाद से कांग्रेस ने मजहबी ध्रुवीकरण के लिए तुष्टीकरण का सहारा लिया और आज भी इसी रणनीति के कारण पाकिस्तान की आवाज के साथ अपनी आवाज मिलाने में संकोच नहीं करती। साध्वी प्रज्ञा भारती को मालेगांव ब्लास्ट के आरोपों में नौ वर्षों तक प्रताड़ित किया गया। साध्वी की बर्बर प्रताड़ना के पीछे भी कांग्रेस की राजनीति थी। चूंकि कांग्रेस हिन्दू आतंकवाद को भारतीय राजनीति में प्रवेश कराकर एक समुदाय को यह बताना चाहती थी कि देखो, हमने हिन्दू आतंकियों को जेल में ठूंस दिया है।
हालांकि जांच में यह साबित हो गया है कि हिन्दू साध्वी व संतों को हिन्दू विरोधी साजिश के तहत फंसाया गया है। समझौता एक्सप्रेस विस्फोट कांड में स्वामी असीमानंद की बेगुनाही इसका प्रमाण है। इस राजनीतिक साजिश के पीछे कांग्रेस का मकसद यह था कि हिन्दू संगठनों को आतंकवाद का जनक बताकर बदनाम किया जाए। न केवल दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिन्दे, मणिशंकर अय्यर जैसे कांग्रेसी नेताओं ने हिन्दू आतंकवाद का हो-हल्ला किया, बल्कि राहुल गांधी ने अमेरिकी राजदूत से मिलकर यह कहा कि जिहादी आतंकवाद से अधिक खतरा हिन्दू आतंकवाद से है। मीडिया ने भी सच्चाई जाने बिना ही हिन्दू आतंकवाद को जमकर हवा दी। साध्वी प्रज्ञा को इस कारण कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार होना पड़ा। अब साध्वी प्रज्ञा भोपाल की भाजपा प्रत्याशी बनकर राष्ट्रीय राजनीति के केन्द्र में आ चुकी हैं। उनके राजनीति में आने के बाद ही विपक्ष ने भाजपा पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाया। इस बारे में एक टीवी चैनल द्वारा पूछे गए सवाल के उत्तर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि हमने नहीं, कांग्रेस ने झूठे आरोप में साध्वी प्रज्ञा आदि को फंसाया और हिन्दू आतंकवाद के द्वारा पूरे हिन्दू समाज को अपमानित किया। उसी के कारण ध्रुवीकरण की स्थिति बनी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी चुनावी सभा में कहा कि सनातन संस्कृति और परम्परा को हिन्दू आतंकवाद से लांछित किया गया। हालांकि हिन्दू आतंकवादी होने की झूठ को उगलाने में जब महाराष्ट्र और एनआईए आदि एजेंसियां असफल हुईं और इनके खिलाफ कोई प्रमाण नहीं जुटा सकीं, इसलिए अदालत से साध्वी को खराब सेहत के आधार पर जमानत दी गई। हिन्दू आतंकवाद की झूठ को दबा दिया गया। मीडिया भी इस बारे में मौन रहा। लेकिन अब साध्वी प्रज्ञा के राजनीति में आने से हिन्दू आतंकवाद की झूठ और साजिश की सच्चाई से लोग अवगत हुए हैं। साध्वी प्रज्ञा ने कांग्रेस के हिन्दू विरोधी चेहरे को लोगों के सामने लाना शुरू कर दिया है। नतीजतन देश की सबसे पुरानी पार्टी में बेचैनी है। उसे अपनी पोल खुलने का भय सताने लगा है।
अब कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है साध्वी प्रज्ञा पर कोर्ट में मामला चल रहा है। वे जमानत पर हैं। इसलिए उनकी उम्मीदवारी को निरस्त किया जाना चाहिए। इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पलटवार करते हुए एक चैनल से बातचीत में ठीक ही कहा कि अगर रायबरेली और अमेठी का उम्मीदवार जमानत पर हो तो चर्चा नहीं होती, लेकिन भोपाल का उम्मीदवार जमानत पर हो तो तूफान खड़ा कर दिया जाता है। ऐसे में चुनाव आयोग यदि इस आधार पर कोई कार्रवाई करेगा, तो उसे सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ भी कार्रवाई करनी होगी


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