हिन्दीभाषी राज्यों में राहुल-प्रियंका की संयुक्त रैली कराने की तैयारी

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नई दिल्ली, 13 फरवरी (हि.स.)। प्रियंका गांधी को कांग्रेस में महासचिव बनाये जाने, लखनऊ में राहुल गांधी-प्रियंका की संयुक्त रैली बाद कराये गये आंतरिक सर्वे, संगठन के कार्यकर्ताओं व जनता से मिले फीडबैक को देखते हुए कांग्रेस ऐसी ही संयुक्त रैली सभी हिन्दी भाषी राज्यों की राजधानियों में कराने की योजना बनाने लगी है। जनता से मिल रही सकारात्मक प्रतिक्रिया से उत्साहित कांग्रेस ने लोकसभा के अपने प्रत्याशियों की सूची भी जल्दी से जल्दी जारी करने की तैयारी शुरू कर दी है। कोशिश पहली सूची अगले सप्ताह जारी करने की है। कांग्रेस के एक पदाधिकारी का कहना है कि अगले सप्ताह लगभग एक सौ प्रत्याशियों की सूची जारी करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए नाम लगभग तय कर लिये गये हैं। जिसमें उ.प्र., मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के कुछ लोकसभा सीटों के लिए एक राउंड और बैठक होनी है। अंतिम निर्णय पार्टी अध्यक्ष करेंगे। उनका कहना है कि पार्टी एक साथ सभी राज्यों में कांग्रेस को खड़ा करने की कोशिश कर रही है। हालांकि ज्यादा फोकस हिन्दीभाषी राज्यों पर और उसमें भी उ.प्र. पर है। लेकिन राजस्थान , मध्यप्रदेश , झारखंड , बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा। इन राज्यों की राजधानियों में राहुल – प्रियंका की संयुक्त रैली कराने की भी तैयारी शुरू कर दी गई है। प्रत्याशियों की सूची पहले घोषित करने की पार्टी की योजना के बारे में उनका कहना है कि पार्टी आला कमान लोकसभा चुनाव फ्रंट फुट पर लड़ना चाहते हैं। वह बिना समय गंवाये आगे बढ़कर लड़ना चाहते हैं, ताकि कार्यकर्ताओं में संदेश जाए कि अब पूरी ताकत से मैदान में उतरना है। लखनऊ में राहुल व प्रियंका की एक साथ हुई रैली का पूरे देश में जो रिस्पांस मिला है उससे भी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ा है। इसलिए प्रत्याशी पहले घोषित करके मैदान में उतर जाने की बात होने लगी है।
इस बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश का कहना है कि प्रियंका गांधी के राजनीति में आने का जनता में जो रिस्पांस मिल रहा है, उससे संकेत साफ है कि कांग्रेस फिरसे उठने लगी है। इसका असर हिन्दीभाषी राज्यों में तो बहुत पड़ेगा ही, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों पर भी पड़ेगा। सभी जगह सीटें बढ़ेंगी। लगभग सभी राज्यों में राहुल-प्रियंका की संयुक्त रैली कराने की मांग जोर पकड़ने लगी है।
एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस के जो समर्थक हिम्मत हारे बैठे थे, वे अब फिर उठ कर खड़े हो गये हैं। राहुल के साथ प्रियंका के आ जाने से माहौल ही बदल गया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग हर गांव से कोई न कोई व्यक्ति 11 फरवरी को दोनों की संयुक्त रैली देखने लखनऊ गया था। कई परिवार तो ऐसे हैं जिसमें पिता, बेटा व बेटे का बेटा यानि तीन पीढ़ी गई थी। पश्चिम उत्तर प्रदेश के गांवों से भी लोग आये थे। उ.प्र. के सटे राज्यों से भी लोग आये थे। तमाम दबावों के बावजूद राहुल,प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया की रैली का टेलीविजन चैनलों ने लाइव कवरेज किया। सोशल मीडिया पर भी छाया रहा। दूसरे दिन 12 फरवरी को लगभग सभी समाचार पत्रों में इसकी खबर प्रमुखता से छपी।अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि जनता के इस रिस्पांस से पार्टी के वरिष्ठ नेता व रणनीतिकार बहुत उत्साहित हैं और राहुल -प्रियंका की इसी तरह की रैली अन्य कई जगह भी कराने की राय जाहिर करने लगे हैं। कई राज्यों के पदाधिकारियों, सांसदों, विधायकों ने इस तरह की रैली कराने के लिए पत्र भेज आग्रह करना शुरू कर दिया है। पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी का संयुक्त रैली कराने के लिए हरियाणा, राजस्थान, म.प्र., झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल, महाराष्ट्र से मांग आई है। राज्यों के पार्टी पदाधिकारी, विधायकों का कहना है कि उनके राज्य में राहुल –प्रियंका की कम से कम एक संयुक्त रैली तो होनी ही चाहिए। अन्य जगह नहीं तो राज्य की राजधानी में तो जरूर होनी चाहिए।


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