हाई कोर्ट की एकल पीठ का आदेश निरस्त: दारोगा बहाली का रास्ता साफ

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पटना, 05 मार्च (हि.स.)। पटना हाई कोर्ट ने राज्य में 1717 दारोगा के पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मंगलवार को एकल पीठ के आदेश को निरस्त करते हुए बिहार सबोर्डिनेट पुलिस सर्विस कमीशन को कहा कि वह पूर्व में प्रकाशित मेधा सूची के अनुसार दारोगा के पद पर नियुक्ति कर सकता है।
मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने बिहार सबऑर्डिनेट पुलिस सर्विस कमीशन की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया ।
हाईकोर्ट की एकलपीठ के न्यायाधीश शिवाजी पांडेय ने राज्य में दारोगा की नियुक्ति में अनियमितता को लेकर रमेश कुमार एवं अन्य 195 की रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नियुक्ति में अनियमितता पाकर पूरी बहाली प्रक्रिया को निरस्त कर दिया था । एकलपीठ ने कमीशन को कहा था कि नियुक्ति में कई गई गड़बड़ियों का सुधार करने तथा नए सिरे से मेधा सूची प्रकाशित कर नियुक्ति करने का निर्देश दिया था। एकल पीठ के इसी आदेश के खिलाफ बिहार सबऑर्डिनेट पुलिस सर्विस कमीशन ने हाई कोर्ट में अपील दायर किया था। कमीशन द्वारा दायर अपील पर सुनवाई पूरी कर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को अपना फैसला सुनाया।
दारोगा बहाली मामले में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के एकलपीठ के आदेश को निरस्त करते हुए बिहार सर्बोडिनेंट पुलिस सर्विस कमीशन को पूर्व में प्रकाशित सूची के अनुसार नियुक्ति करने का निर्देश दिया।
राज्य में दारोगा पद के कुल 1717 रिक्तियों के लिए कमीशन द्वारा 22 जुलाई 2018 को मुख्य परीक्षा ली गयी। इस परीक्षा में 29359 अभ्यार्थी शामिल हुए थे। मुख्य परीक्षा में दस हजार एक सौ इकसठ अभ्यर्थी सफल घोषित किये गए थे । 195 अभ्यार्थियों ने रिट याचिका दायर कर कमीशन द्वारा मनमानापन और बहाली प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी की शिकायत करते हुए मुख्य परीक्षा परिणाम को निरस्त करने का अनुरोध कोर्ट से किया था। एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए 5 सितम्बर 2018 को नियुक्ति प्रक्रिया के अंतिम रिज़ल्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने के साथ मुख्य परीक्षा के परिणाम को ही निरस्त कर दिया था।


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