सूचना आयुक्तों के खाली पड़े पदों पर छह महीने में नियुक्ति करें
नई दिल्ली, 15 फरवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वे सूचना आयुक्तों के खाली पड़े पदों पर छह महीने में नियुक्ति करें। कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का चयन निर्वाचन आयुक्त के चयन की तरह होना चाहिए। केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन के लिए मापदंड और उसकी प्रक्रिया सार्वजनिक की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सूचना आयुक्तों के पद पर नियुक्ति का आधार व्यापक होना चाहिए। इसे केवल सरकारी अधिकारियों और पूर्व नौकरशाहों तक ही सीमित नहीं किया जाना चाहिए।
13 दिसंबर 2018 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि केंद्रीय सूचना आयोग के खाली पद जल्द ही भर लिए जाएंगे। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसे केंद्रीय सूचना आयुक्त के लिए 65 और सूचना आयुक्तों के लिए 280 आवेदन मिले हैं। योग्य नामों का चयन कर लिया गया है।
केंद्र सरकार ने कहा था कि इस बारे में जल्द ही अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह आवेदकों के नाम, सेलेक्शन का पैमाना और सर्च कमेटी का ब्यौरा कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट पर डालें।
याचिका अंजलि भारद्वाज ने दायर की है। अंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया था कई राज्यों में सूचना आयुक्तों के पद खाली हैं और राज्य सरकारें खाली पदों पर नियुक्ति नहीं कर रही है।
पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया था कि वे केंद्रीय और राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए उठाए गए कदम पर प्रगति रिपोर्ट दाखिल करें।
जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर ने इन राज्यों को एक हफ्ते के भीतर ये भी बताने के लिए कहा है कि इन खाली पदों को किस तरह भरा जाएगा।
सूचना का अधिकार कानून के तहत सूचना आयोग जानकारी पाने संबंधी मामलों के लिए सबसे बड़ा और आखिरी संस्थान है| हालांकि सूचना आयोग के फैसले को हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। सबसे पहले आवेदक सरकारी विभाग के लोक सूचना अधिकारी के पास आवेदन करता है। अगर 30 दिनों में वहां से जवाब नहीं मिलता है तो आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपना आवेदन भेजता है।