साल 2018 कारोबारियों के लिए निराशाजनक, एफआईआई ने निकाले 83 हजार करोड़

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मुंबई, 06 जनवरी (हि.स.)। पिछले साल विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से 83,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। मुनाफावसूली के कारण भारतीय शेयर बाजार में दबाव बना रहा। हालांकि अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने, अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑइल के दाम में हो रही बढ़ोतरी, डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट से भी निवेशकों में चिंता की लहर देखी जा रही थी।
उल्लेखनीय है कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी के साथ ही रुपये में आई गिरावट की वजह से साल 2018 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय पूंजी बाजार से 83,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। इसके पिछले साल 2017 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजार में दो लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। हालांकि साल 2019 में अमेरिका-चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर के सुलझने पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी। हाल ही में अमेरिकन कंपनी एप्पल के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे वैश्विक शेयर बाजारों पर दबाव पड़ा। डाओ जोंस भी 750 अंकों से ज्यादा की गिरावट में चला गया था। भारतीय बाजार भी नए साल में लगभग 400 अंकों से ज्यादा की गिरावट में कारोबार कर रहे हैं। दिसंबर के आखिरी कारोबारी सप्ताह में शेयर बाजार 36,076.72 अंक पर बंद हुए थे, जबकि पिछले कारोबारी सत्र के दौरान शेयर बाजार 35,695.10अंक पर बंद हुए हैं।
नए साल में जारी गिरावट को देखते हुए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) सतर्कता बरत रहे हैं। पिछले सप्ताह एफआईआई ने निवेश के बदले मुनाफा वसूली पर ही जोर दिया है। हालांकि महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के विधानसभा और आगामी लोकसभा चुनावों पर भी विदेशी संस्थागत निवेशकों के साथ ही घरेलू संस्थागत निवेशकों की नजर टिकी हुई है। उसके बाद ही शेयर बाजारों में निवेश में बढ़ोतरी के संकेत मिलेंगे।
बाजार की रिपोर्ट के अनुसार, एफपीआई की ओर से साल 2018 में घरेलू शेयर बाजार से 83,146 करोड़ रुपये की निकासी की है। इनमें से 33,553 करोड़ रुपये शेयर बाजारों से तथा 49,593 करोड़ रुपये बांड बाजारों से निकाले गये हैं। साल 2002 के बाद एफपीआई के साथ ही डीआईआई के लिए भी भारतीय बाजार के लिये सबसे बुरा साल रहा है। इसके पीछे अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने और रुपये के गिरने तथा कच्चे तेल में तेजी आने का प्रमुख कारण रहा है। वैश्विक बाजारों में भी गिरावट का रुझान रहा, जिससे एफपीआई ने साल 2018 में केवल निकासी पर जोर दिया।
उल्लेखनीय है कि एफपीआई लगातार छह साल तक भारतीय बाजारों पर भरोसा जताते रहे हैं। एफआईआई की ओर से साल 2017 में 51 हजार करोड़ रुपये, साल 2016 में 20,500 करोड़ रुपये, साल 2015 में 17,800 करोड़ रुपये, साल 2014 में 97 हजार करोड़ रुपये, साल 2013 में 1.13 लाख करोड़ रुपये और साल 2012 में 1.28 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। हालांकि साल 2012 से ही विदेशी निवेश में लगातार कमी आती रही है। साल 2012 की तुलना में विदेशी निवेशकों ने साल 2017 के दौरान शेयर बाजारों में लगभग 72 हजार करोड़ रुपए का कम निवेश किया था।


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