वाराणसी के रण में प्रियंका उतरेंगी तो भाजपा बनाम कांग्रेस होगा चुनाव

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नई दिल्ली, 03 अप्रैल (हि.स.) । कांग्रेस पार्टी महासचिव तथा पूर्वी उ.प्र. की प्रभारी प्रियंका गांधी वाराणसी संसदीय सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध चुनाव लड़ने पर आमादा हैं। फिलहाल इसे लेकर पार्टी आलाकमान दुविधा में है। इसके बावजूद प्रियंका के चुनाव लड़ने की संभावना के मद्देनजर उत्साहित पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तैयारी शुरू कर दी है।
इस बारे में पूर्व मंत्री व पार्टी के वरिष्ठ नेता सुरेन्द्र का कहना है कि प्रियंका को वाराणसी से चुनाव लड़ाने की मांग होने लगी है और यदि उनको यहां से उम्मीदवार बना दिया गया तो वहां चुनाव भाजपा बनाम कांग्रेस हो जाएगा। यदि अन्य विपक्षी दलों ने भी समर्थन कर दिया तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कड़ी चुनौती दे सकती हैं। उन्होंने यदि महिलाओं व ब्राह्मणों का 90 हजार वोट भी अपनी तरफ कर लिया तब राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल जायेगा।
क्या प्रियंका गांधी की यात्रा का कुछ असर बाबा विश्वनाथ -कबीर-रैदास जैसों की काशी की अक्खड़ – फक्कड़ जनता पर पड़ा है। पूर्वांचल की जनता, वहां के ब्राह्मणों, महिलाओं और युवक-युवतियों पर प्रियंका के जाने का कितना असर पड़ा है? इस सवाल पर संघ के स्वयंसेवक व देश के प्रतिष्ठित अखबार समूह में सम्पादक रहे, एक विश्वविद्यालय के कुलपति रहे, एक शालीन व बुजुर्ग ब्राह्मण का कहना है कि इसका असर तो पड़ रहा है। महिलाओं में उनका क्रेज बढ़ रहा है । ब्राह्मण भी उनको उम्मीद भरी निगाह से देखने लगा है। इस लोकसभा चुनाव में भी कुछ ब्राह्मण उनके प्रभाव में आकर कांग्रेस को वोट करेंगे। वह सधे कदमों से जिस तरह अपना राजनीतिक कदम बढ़ा रही हैं, सबको इज्जत दे रही हैं और इससे भी बड़ी बात यह है कि जिस तरह से अपने पति की गिरफ्तारी की आशंका से डरे बिना, हर स्थिति का सीधे सामना करने के लिए प्रतिबद्धता दिखा रही हैं, प्रधानमंत्री को सीधे चुनौती दे रही हैं, हर वार का सौम्य शब्दों में मारक जवाब दे रही हैं, उसका असर जनता पर पड़ रहा है। इससे यह लगता है कि अगले कुछ वर्ष में प्रियंका उ.प्र. व देश में बड़ी नेता के तौर पर स्थापित हो जायेंगी।
इस बारे में अस्सी घाट के पंडा घनश्याम मिश्रा का कहना है कि मोदी के विरुद्ध प्रियंका लड़ीं और सपा- बसपा ने कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया, तब प्रिंयका इस सीट पर बड़ी चुनौती पेश करेंगी।
यदि वाराणसी संसदसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध प्रियंका गांधी चुनाव लड़ीं तो…? इस सवाल पर धर्मयुग, जनसत्ता, नई दुनिया में बड़े पदों पर रहे वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश का कहना है, “तब तो नरेन्द्र मोदी को वह नाथ देंगी। लड़ाई भीषण संग्राम में बदल जायेगी। प्रियंका कुछ नहीं खोयेंगी, मोदी बहुत कुछ खो देंगे। यदि मोदी वाराणसी सीट पर हार के डर से किसी और सीट से चुनाव लड़ेंगे तो कहा जायेगा कि वाराणसी में प्रियंका से हारने के डर से दूसरी जगह से चुनाव लड़ रहे हैं।” यदि प्रियंका गांधी वाराणसी से मोदी के विरुद्ध चुनाव लड़ीं और हारीं तो भी उनको फायदा होगा। लोग कहेंगे कि एक महिला ने अपने दो बच्चों व पति को कुछ हो जाये, इसकी परवाह किये बिना उस व्यक्ति को सीधे चुनौती देकर, सामने से ललकारते हुए उससे भीषण संग्राम किया जो इस देश का सबसे शक्तिशाली पद पर है । जो एक सीमा से आगे नहीं जाने वाले वाजपेयी, जोशी, आडवाणी जैसों की परंपरा के उलट हैं और किसी भी स्तर पर जाकर कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे महाशक्तिशाली से सीधे एक ऐसी महिला (प्रियंका गांधी), जिसके पिता और दादी आतंकवाद के शिकार हुए, जिसकी दादी ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक का नाटक नहीं किया, बल्कि अमेरिका के तत्कालीन पाकिस्तान परस्त राष्ट्रपति को धता बताकर पाकिस्तान पर हमला करके उसका दो फाड़ कर दिया, उस प्रियंका गांधी के साथ डा. मुरली मनोहर जोशी से हमदर्दी रखने वाले ब्राह्मण, अपने को राम के पुत्र लव के वंशज कहने वाले लालकृष्ण आडवाणी के प्रति हमदर्दी रखने वाले क्षत्रिय जा सकते हैं। नोटबंदी से परेशान हुई महिलाएं, तबाह हुआ वैश्य समाज जा सकता है। हिन्दू – मुस्लिम, हिन्दुस्तान – पाकिस्तान से आजिज आ गये लोग उसकी तरफ जा सकते हैं। बेरोजगारी से त्राहि – त्राहि कर रहे युवक जा सकते हैं। इस तरह से जब जनता चुनाव मैदान में उतर आती है तो बड़े – बड़ हुक्मरानों की हनक, सीकरी की सत्ता चली जाती है।”
ओम प्रकाश का कहना है कि इस तरह यदि कांग्रेस ने प्रियंका को मोदी के विरुद्ध काशी के चुनावी रणक्षेत्र में उतार दिया तो देश की यह धार्मिक नगरी पूरे देश के लोकसभा महासंग्राम का कुरुक्षेत्र बन जायेगी।
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी का कहना है कि यदि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव मैदान में उतारा तो कांग्रेस को वही फायदा होगा जो मोदी के वाराणसी से लड़ने से भाजपा को 2014 में हुआ था। प्रियंका गांधी यदि वाराणसी से चुनाव लड़ीं और सपा – बसपा ने उम्मीदवार नहीं खड़ा किया तो मोदी के लिए बहुत मुश्किल हो जायेगी। प्रियंका के कारण मोदी घिर जायेंगे। इसका असर उ.प्र. के अलावा बिहार, झारखंड, म.प्र., दिल्ली, हरियाणा पर भी पड़ेगा। ऐसी स्थिति में मोदी किसी अन्य जगह से चुनाव लड़ेंगे, तो लोग कहेंगे कि मोदी हार के डर से दूसरी जगह से लड़ रहे हैं।
वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार वशिष्ठ नारायण का कहना है कि प्रियंका के उम्मीदवार बनते ही वाराणसी सीट पर लड़ाई कांटे की हो जायेगी। मोदी के लिए चुनाव बहुत आसान नहीं रहेगा। यही बात भाजपा के कुछ पदाधिकारी भी नाम नहीं छापने की शर्त पर कह रहे हैं।

 


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