लोकसभा में राफेल मुद्दे पर चर्चा में विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी बहस, सरकार ने खारिज की जेपीसी जांच की मांग
नई दिल्ली, 02 जनवरी (हि.स.)। लोकसभा में आज राफेल युद्धक विमान खरीद सौदे के पर हुई चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस सौदे को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब देश की जनता प्रधानमंत्री से जानना चाहती है। वहीं, सरकार की ओर से चर्चा में भाग लेते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष पर पलटवार करते हुए उन पर राफेल सौदे को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया । जेटली ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से राफेल मामले की जांच कराए जाने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पूरे सौदे को क्लीन चिट दे दी है, उसके बाद जेपीसी की कोई जरुरत नही।
लोकसभा में बुधवार को नियम 193 के तहत राफेल सौदे पर चर्चा की शुरुआत हुई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चर्चा शुरु करते हुए कहा कि राफेल युद्धक विमान सौदे में कई तरह की गड़बड़ियां हैं। इसके चलते प्रधानमंत्री इस पर संसद में आकर बयान देने से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि राफेल का मुद्दा प्रक्रिया, कीमत और पैसा व देशभक्ति से जुड़े तीन स्तंभों पर खड़ा है। उन्होंने पूछा कि राफेल सौदे में पहले से तय 126 विमानों के सौदे को 36 विमानों के सौदे में किसके कहने पर बदला गया? उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने जैसा है।
राहुल ने कहा कि सरकार कह रही है कि देश को विमानों की जल्द जरूरत को देखते हुए विमानों की संख्या घटाई गई है। सरकार का यह तर्क कितना सही है? अगर देश को विमानों की इतनी ही जरूरत थी तो अबतक देश में कोई राफेल विमान क्यों नहीं पहुंचा है?
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राफेल सौदे में पूरी प्रक्रिया बाईपास की गई है। पुरानी डील को बदलकर नई डील बनायी गई। जब तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नई डील के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता है। प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर भी जवाब देना चाहिए कि क्यों पुरानी डील बदली गई और नई डील रखी गई।
राहुल ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी की सरकार के समय में विमानों की कीमत 526 करोड़ रुपये थी लेकिन उसे बदलकर 1600 करोड़ कर दिया गया। इस नई कीमतों पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने भी सवाल उठाए थे।
राहुल ने कहा कि हिन्दुस्तान एयरनॉटिक्स लि. (एचएएल) कई सालों से विमान बना रहे हैं। वर्तमान सरकार ने इसका ठेका एचएएल से छीनकर एक कंपनी को दे दिया। वह ठेका जिससे देश के हजारों युवाओं को नौकरी मिलती।
वहीं, वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राहुल के आरोपों का एक-एक कर जवाब देते हुए कहा कि सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष को सामान्य समझ भी नही है। उन्होंने राहुल पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार में डूबी कांग्रेस अपनी साजिशी मानसिकता के चलते राफेल युद्धक विमान सौदे के बारे में झूठ फैला रही है जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे सौदे को क्लीन चिट दे दिया है।
लोकसभा में राफेल सौदे पर शुरु हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए जेटली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने राफेल सौदे की खरीद प्रक्रिया, विमानों की कीमत और सौदे में ऑफसेट सहयोगी कंपनी जैसे सभी मामलों की समीक्षा की तथा सौदे को पूरी तरह उचित ठहराया। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायालय के फैसले के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष झूठ और दुष्प्रचार से बाज नही आ रहे हैं।
वित्तमंत्री ने युद्धक विमानों और रक्षा खरीद प्रक्रिया के बारे में राहुल गांधी की समझ पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उन्हें तथ्यों की सामान्य जानकारी भी नही है। नेशनल हेरॉल्ड, बोफोर्स और अगस्ता वेस्टलैंड जैसे भ्रष्टाचार में फंसी कांग्रेस पार्टी राफेल सौदे में भ्रष्टाचार खोजने का उपक्रम कर रही है। वह देश की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हुए समझौते के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप गढ़ रही है।
जेटली ने अपनी संयत व्यवहार के विपरीत सदन में आक्रामक व्यवहार अपनाते हुए कहा कि नेशनल हेरॉल्ड में सार्वजनिक संपत्ति की हेराफेरी में मां-बेटे जमानत पर छूटे हैं । इसी तरह अगस्ता वेस्टलैंड में श्रीमती गांधी, इटली की महिला के पुत्र और राजनीति में बड़ा आदमी जैसे शब्दों का खुलासा हुआ है। यह सब कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को कटघरे में खड़ा करता है।
जेटली के जोरदार तर्कों से तिलमिलाए कांग्रेस सदस्यों ने सदन में भारी शोरगुल किया। इस पर जेटली ने कहा कि जब सदन में राहुल गांधी का झूठ, फरेब सुना है तो अब उन्हें सच्चाई सुनने में परेशानी क्यों हो रही है।
कांग्रेस सदस्यों के आचरण पर नाराजगी व्यक्त करते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि राफेल सौदे पर चर्चा की मांग आप की ओर से हुई है। अब जब चर्चा हो रही है तो उसे सुनिए और सहन करिए।
वित्तमंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने शुरुआत में सरकार से राफेल विमानों की कीमत के बारे में नही पूछा था। बाद में न्यायाधीशों ने कहा कि वह अपनी अंतरात्मा को संतुष्ट करने के लिए कीमत की दरों को देखना चाहते हैं। सरकार ने कीमत संबंधी जानकारी न्यायालय को बंद लिफाफे में दी। न्यायाधीश इससे पूरी तरह संतुष्ट भी हुए। वित्तमंत्री ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि न्यायाधीशों की अंतरात्मा को संतोष हुआ लेकिन कांग्रेस की राजनीति को संतोष नही हुआ।
जेटली ने अपने इस कथन को दोहराया कि मूल विमान की कीमत मनमोहन सरकार के समय हुए विचार विमर्श से नौ प्रतिशत कम है। इसी तरह हथियारों से सुसज्जित राफेल विमान की कीमत पिछले प्रस्तावित सौदे से 20 प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना पिछले काफी वर्षों से राफेल जैसे युद्धक विमान हासिल करने का अनुरोध कर रही थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे अनसुना कर दिया। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करना था।
जेटली ने पूर्व रक्षा मंत्री एके एटंनी की आलोचना करते हुए कहा कि एंटनी एक भले आदमी है लेकिन उन्होने राफेल खरीद मामले में कोताही बरती। जेटली के अनुसार अपने कार्यकाल में एटंनी ने राफेल विमान सौदे पर सहमति जताई लेकिन साथ ही यह जोड़ दिया कि पूरी निर्णय प्रक्रिया की समीक्षा की जाए। इसका नतीजा यह हुआ कि ये रक्षा सौदा ही नही हो पाया।
राफेल युद्धक विमान से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराने वाली कंपनी दसॉल्ट की ओर से अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट सहयोगी चुनने के बारे में जेटली ने कहा कि इस भारतीय कंपनी को युद्धक विमान नही बनाने हैं बल्कि दसॉल्ट की जरुरतों के अनुसार अन्य उपकरण तैयार करने हैं। उन्होंने राहुल गांधी का उपहास करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को ऑफसेट क्या होता है इसका मतलब भी नही पता। ऑफसेट का अर्थ युद्धक विमान बनाना नही बल्कि संबंधित सामग्री उपलब्ध कराना है।
काग्रेस अध्यक्ष के अंबानी की कंपनी को 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए देने के आरोपों को हास्यास्पद बताते हुए जेटली ने कहा कि ऑफसेट का पूरा कारोबार 58 हजार करोड़ रुपए का है। ऑफसेट के रुप में दसॉल्ट सौ से अधिक भारतीय कंपनियों की मदद लेगी ,जिसमें से केवल तीन प्रतिशत हिस्सा अंबानी की कंपनी का होगा। यह कंपनी दसॉल्ट के लिए केवल 800 करोड़ रुपए का सामान तैयार करेगी। यानि दसॉल्ट और अंबानी के बीच हुए करार की पूरी राशि केवल 800 करोड़ रुपए है।
जेटली के भाषण के दौरान कुछ कांग्रेस सदस्यों ने सदन में सत्तापक्ष की ओर कागज का जहाज बनाकर उड़ाया। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के कुछ सदस्यों का नाम लेकर नाराजगी भरे शब्दों में कहा कि यह बच्चों जैसा खिलवाड़ क्यों हो रहा है। जेटली ने कहा कि कांग्रेस सदस्य यूरो फाइटर की याद ताजा कर रहे हैं जो विमान सौदे में राफेल कंपनी के मुकाबले हार गया था।
चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत विश्वास ने मामले की जांच के लिए जेपीसी गठित किए जाने की मांग की। जबकि सरकार के सहयोगी दल शिवसेना ने विपक्ष की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि जब सौदे में कोई गड़बड़ी नही है तो सरकार को जेपीसी गठित करने की विपक्ष की मांग स्वीकार कर लेनी चाहिए।
हालांकि, सदन में हंगामें के कारण चर्चा पूरी नही हो पाई और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने गुरुवार 11 बजे तक के लिए सदन की बैठक स्थगित कर दी।