लोकसभा के साथ महाराष्ट्र , हरियाणा व झारखंड में वि.स. चुनाव हुए तो कांग्रेस को फायदा

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नई दिल्ली, 29 जनवरी (हि.स.)। अप्रैल-मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा के चुनाव कराये जाने पर कांग्रेस को फायदा होगा। सूत्रों का कहना है कि उक्त तीनों राज्यों में सत्ताधारी दल ने एक आंतरिक रायशुमारी कराई थी। उसमें ज्यादातर की राय रही कि लोकसभा चुनाव के साथ राज्य विधानसभा का चुनाव कराने पर ही राज्य में सत्ता वापसी की संभावना हो सकती है। बाद में चुनाव होने पर नहीं, क्योंकि लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर लड़ा जाएगा। राज्य सरकार से नाराज लोगों में से ज्यादातर नरेन्द्र मोदी को केन्द्र में फिर से सत्ता दिलाने के लिए वोट देंगे। यदि लोकसभा चुनाव के साथ राज्य में विधानसभा चुनाव हुए ,तो वे उसी मानसिकता में भाजपा के विधानसभा प्रत्याशियों को भी वोट दे देंगे। इस तरह से मोदी के नाम पर महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और झारखंड में रघुवर दास भी चुनावी वैतरणी पार कर जाएंगे। यदि तय समय पांच साल पूरा होने पर हरियाणा व महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 में तथा झारखंड में दिसम्बर 2019 में कराया गया, तब महाराष्ट्र में शिवसेना व भाजपा के मिलकर सरकार बनाने की संभावना हो सकती है, लेकिन हरियाणा व झारखंड में पार्टी हार सकती है। इस कारण पार्टी के कई पावरफुल लोगों का कहना है कि जब सत्ता जाने की संभावना है तो सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करके चुनाव कराया जाए। यदि लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराया जाता है और पार्टी उसमें भी हार गई तब तो और भद्द होगी। इसका ठीकरा प्रधानमंत्री पर फोड़ा जाएगा। कहा जाएगा कि चुनाव तो उनके नाम पर लड़ा गया। इसीलिए लोकसभा चुनाव के साथ राज्य विधानसभा का चुनाव कराया गया। ऐसा कहने वालों की राय है कि इन राज्यों में चुनाव सरकार के पांच साल कार्यकाल पूरा करने के बाद होनी चाहिए। उसके पहले यदि लोकसभा चुनाव में पार्टी फिर से जीत गई और केन्द्र में सरकार बरकरार रही, तब तो प्रधानमंत्री व भाजपा अध्यक्ष हर तरह से जोर लगाकर तीनों राज्यों का चुनाव जीत सकते हैं। यदि इसमें पार्टी हारी तो लोग राज्य के मुख्यमंत्रियों को जिम्मेदार ठहराएंगे। सूत्रों का कहना है कि इसको लेकर भाजपा में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लेकिन अंदर-अंदर इन राज्यों में विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव के साथ कराने की तैयारी भी चल रही है। पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना है कि जो भी निर्णय करना है वह सत्ता व संगठन शीर्षद्वय को करना है। यह फरवरी के अंत तक होने की संभावना है। एक फरवरी को बजट पेश करने, किसान, सामान्य वर्ग, बेरोजगारों, महिलाओं, पिछड़ों, लघु उद्यमियों, छोटे व्यापारियों के लाभ वाली कई योजनाएं लाने की घोषणा करने, कई राज्यों में बड़ी रैलियों में जनता का रूख देखने और 3 मार्च को पटना के गांधी मैदान में होने वाली भाजपानीत राजग की महा रैली के बाद इस पर अंतिम निर्णय होगा।
इस बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश का कहना है कि भाजपा महाराष्ट्र, हरियाणा व झारखंड में अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए हर संभव कोशिश करेगी। इसके लिए तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव, अप्रैल-मई 2019 में होने वाली लोकसभा चुनाव के साथ करा सकती है। लेकिन यह होने पर भी लाभ कांग्रेस व यूपीए को ही होगा, क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व पार्टी ने अपना पूरा फोकस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की असलियत उजागर करने पर रखा है। इसका परिणाम दिसम्बर 2018 में हुए म.प्र., छत्तीसगढ़ व राजस्थान विधानसभा चुनाव में दिखा है। इसलिए लोकसभा चुनाव के साथ झारखंड, महाराष्ट्र व हरियाणा का चुनाव कराने पर भी भाजपा को लाभ नहीं होगा।
लोकसभा सांसद व भाजपा किसान मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि कांग्रेस वाले भाई लोग दिन में सपना देख रहे हैं। चुनाव चाहे जब हो, भाजपा लोकसभा चुनाव भी जीतेगी और तीनों राज्यों में भी जीतेगी। 


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