लालू का जंगल राज बनाम नीतीश का बालिका गृह दुष्कर्मी राज
नई दिल्ली, 15 अगस्त (हि.स.)। जदयू अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति अब पहले जैसी नहीं रही। जनता में उनकी पहले वाली सुशासनी छवि धूमिल हुई है। नीतीश व उनके लोग जिस लालू, राबड़ी राज को जंगल राज कहते नहीं थकते थे , अब उसी नीतीश के राज को लालू के लोग व जनता बालिका गृह दुष्कर्मी राज कहने लगे हैं । यह हुआ है मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह में मासूम बच्चियों व युवतियों से वर्षों से हो रहे यौन शोषण मामले के उजागर होने के बाद। पटना के बालिका आश्रय गृह में भी दो बालिकाओं के मरने की खबर उजागर हुई है। इन आश्रय गृहों के संचालकों की घनिष्ठता भाजपा व जदयू के ताकतवर नेताओं, मंत्रियों से होने की बात उजागर होने, संचालकों को बचाने के लिए मंत्री व नेताओं ने जिस तरह के बयान दिये, उससे जनता की नाराजगी बढ़ी है।इस बारे में जदयू के एक नेता का कहना है कि इसके पहले बिहार में सृजन घोटाला सामने आया जिसमें कई बड़े नेताओं के शामिल होने की चर्चा रही। इससे नीतीश के सुशासनी छवि को थोड़ा नुकसान हुआ। लेकिन बालिका आश्रय गृहों में रहने वाली असहाय मासूम बच्चियों के यौन शोषण कांड ने तो जनता को हिलाकर रख दिया है। जनता अब नीतीश व उनके प्रिय सहयोगी पर भी अंगुली उठाने लगी है। राजद नेता तेजस्वी यादव तो इसे नीतीश व सुशील मोदी राज का असली चेहरा उजागर होने का प्रमाण कह रहे हैं। कांग्रेस के महासचिव व बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल इसे कुशासन व घनघोर आपराधिक कृत्य करार दे रहे हैं। इस बारे में जदयू के एक सांसद का नाम नहीं छापने की शर्त पर कहना है कि इस घटना ने जदयू की स्थिति बहुत खराब कर दी है। जो महिलाएं व बालिकाएं जदयू की प्रमुख आधार रही हैं , इस घटना ने इसी आधार को दरका दिया है। महिला मतदाताओं के वोट 5 प्रतिशत कम हो सकते हैं। जिसकी भरपाई होनी मुश्किल है। आगामी चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और भारी नुकसान हो सकता है।