रेलमंत्री के पैतृक गांव जीवंद कला का ये ‘रेल स्कूल’ बन रहा आकर्षण का केंद्र

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पाली, 5 फ़रवरी (हि.स.)। कुछ समय पहले तक रानी पंचायत समिति के जीवंद कला गांव की कोई खास पहचान नहीं थी, लेकिन केन्द्रीय मंत्रीमंडल में फेरबदल के बाद यहां के निवासी अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्री का प्रभार दिए जाने के बाद यह गांव लोगों की जुबां पर आ गया है। हाल ही में पैतृक गांव का दौरा करने के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस गांव को अब प्रदेशवासी पहचानने लगे हैं। शिक्षा विभाग ने भी यहां के राजकीय विद्यालय काे रेल का स्वरूप देकर आकर्षण का केंद्र बना दिया है। दूरदराज से लोग इस रेल रूपी स्कूल को देखने के लिए आने लगे हैं। बच्चों को भी ‘रेल का सफर’ करते हुए पढ़ाई करने का आनंद मिलता है जिससे वे स्कूल आने के लिए काफी उत्साहित रहते हैं।

अलवर जिले की तर्ज पर पिछले सालों में शिक्षा विभाग ने पाली जिले की विभिन्न स्कूलों को भामाशाहों की मदद से रंग-रोगन कर संवारा है। इसके तहत ही पाली जिले के जीवंद कला गांव में शिक्षा के स्तर में सुधार और बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए अनूठा प्रयोग किया गया है। स्कूल प्रशासन के इस प्रयोग के कारण गांव का यह स्कूल दूर-दूर तक चर्चा का विषय बन गया है। स्कूल के इस प्रयोग से विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का सफर आसान होने के साथ उत्साहपूर्ण हो गया है। स्कूल में पढ़ते समय बच्चों को भी लगता है जैसे वे रेल में सफर कर रहे हैं।

खास बात ये है कि स्कूल के भवन को एक रेलगाड़ी का स्वरूप दिया गया है। कक्षाएं भी ऐसी रंगाई-पुताई की गई हैं कि मानो बच्चे रेल के डिब्बों में सफर करते हुए पढ़ाई कर रहे हों। कक्षाएं भी ऐसी है कि मानो रेल के कोच हों। स्कूल इसलिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि यह रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के पैतृक गांव में स्थापित है। राजकीय विद्यालय को रेल का रूप देने से बच्चों में स्कूल आने के प्रति रूझान बढ़ा है। विद्यालय भवन का रंग-रोगन कर उसे रेलगाड़ी जैसा रूप देकर उसे दर्शनीय और मनमोहक बना दिया गया है। ऐसे में स्कूल को देखने के लिए आसपास के गांवों के साथ ही दूरदराज से भी लोग देखने आ रहे हैं।

जीवंद कला रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव का पैतृक गांव है और हाल ही में रेल मंत्री ने पाली का दौरा भी किया था। इस दौरान वहां की व्यवस्थाओं और विकास कार्यों पर भी चर्चा की थी। लोग अब इस गांव को रेल वाले स्कूल के गांव के नाम से भी जानने लगे हैं। स्कूल को निखारने और उसे रेलगाड़ी का स्वरूप देने के लिए जीवंद कला गांव में विद्यालय का विभागीय बजट लगने के साथ ही कई भामाशाहों ने भी सहयोग दिया है। सभी के सहयोग से इस विद्यालय को ट्रेन का रूप दिया जा सका है। इस विद्यालय में लगभग 200 से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं।


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