रियल स्टेट से जुड़ी 95 प्रतिशत कंपनियां आयकर दायरे से बाहर!

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नई दिल्ली (हि.स.) रियल स्टेट से जुड़ी करीब 95 प्रतिशत कंपनियों के पास या तो स्थाई खाता संख्या (पैन) नहीं है या फिर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज(आरओसी) को इसकी जानकारी नहीं है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ऑडिट रिपोर्ट में 12 राज्यों का अध्ययन किया गया है। अपनी रिपोर्ट में कैग ने कहा कि कुल 54,578 कंपनियों का टाटा लेखा परीक्षक को उपलब्ध कराया गया था। इसमें से आरओसी के पास 51,670 कंपनियां (95 प्रतिशत) की पेन जानकारी नहीं थी। लेखा परीक्षा पेन की जानकारी हासिल कर यह निश्चित करना चाहता था कि यह कंपनियां आयकर भर्ती हैं या नहीं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लेखा परीक्षक 147 कंपनियों के मामले में पेन की जानकारी हासिल कर पाए।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी कॉरपोरेट निर्धारितियों को अनिवार्य रूप से आय और हानि का विचार किए बिना आयकर विभाग के पास आईटीआर फाइल करना आवश्यक है। लेखा परीक्षण यह निष्कर्ष निकलता है कि आयकर विभाग के पास ऐसा कोई तंत्र नहीं है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके सभी पंजीकृत कंपनियों के पास पेन हो और वह नियमित रूप से आयकर भरें।
कैग ने सिफारिश की है सीबीडीटी, वित्त मंत्रालय तथा कार्पोरेट कार्य मंत्रालय आपसी लाभ के लिए एक अंतर मंत्रालय प्रबंध कर सकता है। आयकर विभाग और आरओसी के बीच एक ऐसा इंटरफ़ेस बने कि जैसे ही कोई कंपनी आरओसी के पास पंजीकृत हो पेन के लिए उसका आवेदन स्वत: ही आयकर विभाग के पास जमा हो जाए। जब नई निगमित कंपनी को जारी किया जाए तो इसे स्वत: आरओसी प्रणाली में अध्ययन के लिए भेज दिया जाए। इसके अतिरिक्त कंपनियों द्वारा आवश्यक रूप से एमजीटी-7 के साथ आयकर विवरणी की पावती की एक प्रति जमा कराई जानी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि कंपनियां अपनी आयकर विवरणी भरें और उसी के साथ और उसी का डाटा आयकर विभाग के साथ सिंक हो जाएगा।

 


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