संतों की हुंकार, अयोध्या में राम मंदिर के लिए कानून बनाओ या अध्यादेश लाओ

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दिल्ली में जुटे लाखों रामभक्तों ने केंद्र सरकार पर बढ़ाया दबाव, रामलीला मैदान से राजघाट तक रामभक्तों से पटा

नई दिल्ली, 09 दिसम्बर (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के नेतृत्व में राम मंदिर निर्माण को लेकर आयोजित धर्म सभा में संतों ने केंद्र सरकार और न्यायालय से लोकतंत्र में जनभावनाओं को सम्मान देते हुए अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने आह्वान किया। उन्होंने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार से इस संबंध में विधेयक या अध्यादेश लाने की मांग की। इसके साथ ही संतों ने यह भी चेताया कि धर्मसभा के बाद यदि इस दिशा में कोई प्रयास नहीं हुआ तो संत प्रयाग में होने वाले कुंभ में एक बार फिर लाखों की संख्या में इकट्ठा होकर हुंकार भरेंगे।
लाखों की संख्या में रैली में पहुंचे रामभक्तों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह सुरेश उपाख्य भैयाजी जोशी ने कहा कि सरकार और न्दोनों को जन भावनाओं का आदर कर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। एक तरफ उन्होंने सरकार से कहा कि वह राम मंदिर का संकल्प लेकर सत्ता में आई थी और उसे अब यह संकल्प पूरा करना चाहिए। दूसरी ओर न्यायालय से रामलीला मैदान में पहुंचे राम भक्तों के नारों को सुनने और जनभावनाओं का आदर करते हुए मंदिर निर्माण पर फैसला देने का आग्रह किया।
उन्होंने संकल्प लेते हुए कहा कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा, राम मंदिर को लेकर चल रहा आंदोलन शांत नहीं होगा और यह चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारा यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से ही आगे बढ़ता रहेगा। हमारा संघर्ष किसी के साथ नहीं है। हमारा संघर्ष केवल विदेशी सोच और विदेशी आक्रांता से है।
विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने कहा कि राम मंदिर निर्माण में अब और देरी बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने कहा कि विश्व में तीन हजार स्थानों पर मंदिर तोड़कर मस्जिदों का निर्माण किया गया था। इस प्रकार की घटनाओं को किसी भी प्रकार से धार्मिक कृत्य की संज्ञा नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी स्थानों पर स्वाधीनता मिलने के बाद वहां मंदिरों का पुनर्निर्माण किया गया।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने 11 दिसम्बर से शुरू होने वाले संसद सत्र में राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की भी मांग की। उन्होंने सभी सांसदों से भी संसद में राम मंदिर के लिए अध्यादेश का समर्थन करने की अपील की और कहा कि ऐसा नहीं करने पर जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।
विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोगजे ने कहा कि ऐसा खंडहर, जिसका निर्माण ही मंदिर की नींव पर किया गया था, हिंदुओं के धर्मस्थल रामजन्मभूमि पर किया गया था, उसको यह कहना कि यह किसी अन्य धर्म का धार्मिक स्थल है, यह गलत है, वह अतिक्रमण था।
विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपतराय ने कहा कि अगर इंडिया गेट से जॉर्ज पंचम हटाये जा सकते हैं, विक्टोरिया गायब हो सकती हैं, इरविन हॉस्पिटल, विलिंगटन हॉस्पिटल, औरंगजेब रोड के नाम बदले जा सकते हैं, सोमनाथ पुनर्निमाण का संकल्प भारत की राजसत्ता 1950 में कर सकती है तो आज की राजसत्ता भी संकल्प करे।
स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि राष्ट्र का वास्तविक गौरव प्रभु श्रीराम के साथ है, यह सत्ता को समझना चाहिए। जो जनसैलाब यहां दिख रहा है वह दिल्ली एनसीआर का है, किंतु पूरे देश में जनसभाएं और संकल्प सभाएं हो रही हैं। कितनी शताब्दियां निकल गयीं, रामभक्त प्रतीक्षारत थे, सत्ता को यह सत्य स्वीकार करना चाहिए, इसी में राष्ट्र का गौरव है।
स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी देना चाहते हैं कि जब तक राममंदिर नही बनाओगे, तब तक हम दिल्ली से तुम्हें प्रधानमंत्री पद से नहीं हटने देंगे। जब तक मंदिर नहीं बनाओगे तब तक तुम्हें गद्दी से नहीं हटने देंगे। उन्होंने कहा कि 1984 से अब तक हम सड़क पर हैं, 34 सालों से यह देश आवाज सुन रहा है कि रामलला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे। यह आवाज किसी एक वर्ग, जाति, संप्रदाय, प्रांत की नहीं है।
साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि अब राम मंदिर आंदोलन और अधिक नहीं चलना चाहिए। अपनी (भाजपा) सरकार को अपनों की आवाज सुनकर कोई निर्णय लेना चाहिए। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि एक लाख दिये जलाकर अयोध्या को रोशन करने और भगवान राम की विशाल प्रतिमा बनाने से कुछ नहीं होगा। जब तक रामलला टाट में बैठे रहेंगे तब तक उन्हें शांति नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि वह जब अयोध्या गईं और वहां बड़ी इमारतें और भवन देखने के बाद भगवान राम की जन्मभूमि पर जाना हुआ तो वहां उन्हें टेंट में देखकर उनकी अंतरात्मा से एक बात ही निकली कि जब तक यहां भव्य राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा, तब तक हमें शांति नहीं मिलेगी। उन्होंने जातियों में बंटे समाज से आह्वान किया कि वे आपसी मतभेद दूर करें और एक होकर हिन्दू समाज का चिंतन करें।
स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि 1885 से कांग्रेस चली आ रही है, और 1885 से ही जन्मभूमि के मुकदमे भी चले आ रहे हैं। आज जब कांग्रेस खत्म हो रही है तो यह मुकदमे भी उनके साथ ही खत्म हो जाने चाहिए।
रैली में दिल्ली और आसपास के इलाकों से बसों व अन्य साधनों से लोग सुबह से ही रामलीला मैदान पहुंचना शुरू हो गये थे। ये सभी सिर पर भगवा टोपी, शरीर पर भगवा टी-शर्ट और हाथों में भगवा झंडे लिये हुए थे। इनके लिये मंच भी भगवा रंग का सजाया गया था। रैली शुरू होने से पहले ही रामलीला मैदान पूरी तरह भर चुका था। इसके बाद मैदान के गेट बंद कर दिये गये और लोग सड़कों पर ही जहां के तहां रोक दिये गये। सड़कों पर उनके लिए एलईडी लगाई गई थीं। रैली में भाजपा के सांसद महेश गिरी, प्रवेश वर्मा और रमेश बिधूड़ी भी शामिल हुए।


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