यूक्रेन में फंसे आठ और प्रवासी छात्र पहुंचे जयपुर
जयपुर, 4 मार्च (हि.स.)। यूक्रेन में फंसे राजस्थान के आठ विद्यार्थी शुक्रवार प्रातः जयपुर एयरपोर्ट पहुंचे, जहां उनका उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शकुंतला रावत तथा विधायक रफीक खान ने स्वागत किया। रावत ने बच्चों से वहां के हालात के बारे में जानकारी ली और उन्हें आश्वस्त किया कि राज्य के सभी नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए राज्य सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किया जाएगा।
जयपुर पहुंचे इन छात्रों में अजमेर जिले से दो छात्र यश आचार्य और रिषभ दाधीच हैं। पाली जिले से रमेश देवरा, भीलवाड़ा से मानवेन्द्र सिंह राठौड़ तथा गौरव शर्मा, कोटा से शिवांश गौतम तथा भावेश झालानी तथा उदयपुर से तरुण कुमार नागदा हैं। ये बच्चे शुक्रवार सुबह बुखारेस्ट से मुंबई पहुंचे तथा इसके बाद राज्य सरकार द्वारा सभी व्यवस्थाएं कर फ्लाइट से इन्हें जयपुर लाया गया। जयपुर एयरपोर्ट से राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल द्वारा इन्हें वाहनों में घर की ओर रवाना किया गया। रावत ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इन बच्चों को उनके घर पहुंचाने के लिए वाहन उपलब्ध कराने से लेकर उनके खाने- पीने और ठहरने की व्यवस्था की गई है, ताकि इन बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
जयपुर पहुंचे सभी बच्चों ने कहा कि वे यूक्रेन की कठिन परिस्थितियों से निकलकर यहां पहुंचने पर बेहद राहत महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जिस तरह उनका स्वागत किया है और परिवार के सदस्य की तरह उनका ध्यान रखा है, इसे वे कभी भुला नहीं पाएंगे। अजमेर जिले के यश आचार्य ने बताया कि वे यूक्रेन में एमबीबीएस में फर्स्ट ईयर के छात्र हैं। बुखारेस्ट से मुंबई पहुंचने पर उन्हें लगा ही नहीं कि वे अपने राज्य में नहीं हैं। राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने ना केवल सभी छात्रों से लगातार संपर्क बनाए रखा, बल्कि उनके खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्थाओं का भी पूरा ध्यान रखा। जयपुर लौटे कोटा के भावेश झालानी ने कहा कि फ्लाइट द्वारा मुम्बई से जयपुर पहुंचाने की तमाम व्यवस्थाएं करने के अलावा हमें अपने घर तक छोड़ने की भी पूरी व्यवस्था राज्य सरकार ने की है।
उद्योग मंत्री रावत ने कहा कि राजस्थान फाउण्डेशन द्वारा यूक्रेन में फंसे राज्य के बच्चों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। इन बच्चों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। यह मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता का ही परिणाम है कि मुंबई एयरपोर्ट पर जहां दूसरे राज्यों के बच्चे वहां के प्रतिनिधियों को खोज रहे थे, वहां हमारे राज्य के बच्चों को रिसीव करने के लिए प्रतिनिधिमंडल पहले से वहां मौजूद रहकर बच्चों का इंतजार कर रहे थे।