मोदी के आगे सभी के सामने जमानत बचाना ही होगी सबसे बड़ी चुनौती

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वाराणसी, 23 मार्च (हि.स.)। तमाम अटकलबाजियों को दरकिनार कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संसदीय दल ने तय कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दूसरी बार भी बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर कार्य के दौरान तमाम व्यस्तताओं के बावजूद अपने संसदीय क्षेत्र में 19 बार आये प्रधानमंत्री का चिरपुरातन शहर काशी से लगाव और इसकी प्राचीन परम्पराओं को सहेजकर 21वीं सदी का शहर बनाने की ललक छुपी नहीं है।
प्रधानमंत्री के कद्दावर व्यक्तित्व और विकास कार्यों का नतीजा है कि लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बावजूद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस, सपा-बसपा गठबंधन अभी उम्मीदवार का नाम तय करने में ही बेहाल है। ​होलिका के दिन शहर में आई कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया। प्रियंका गांधी के शहर में प्रवास के दौरान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और जिले के पूर्व सांसद डा. राजेश मिश्र और पूर्व विधायक अजय राय का खेमा अपनी दावेदारी को लेकर रस्साकसी करता रहा लेकिन प्रियंका ने अपने पट्टे नहीं खोले। खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव के पहले यहां खुद प्रियंका गांधी के लड़ने की अटकल बाजियां भी चलती रही। सपा-बसपा गठबंधन भी अभी उम्मीदवार का नाम तय नहीं कर पाया है। प्रधानमंत्री का विजय रथ रोकने के लिए कई चर्चित नामों के दावी चर्चा भी सियासी फलक पर है।
इसमें भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के पूर्व नेता डा. प्रवीण तोगड़िया का नाम शामिल हैं। इसमें चंद्रशेखर ने वाराणसी से लड़ने की इच्छा जताई है। डा. प्रवीण तोगड़िया खुद असमंजस की स्थिति में दिख रहे हैं। तोगड़िया ने हाल में हिंदुस्तान निर्माण दल (एचएनडी) पार्टी बनाई है। अपने 41 उम्मीदवारों की सूची जारी करने के बाद डा. तोगड़िया ने कहा कि वे उत्तर प्रदेश में वाराणसी, अयोध्या या फिर मथुरा से आगामी चुनाव लड़ सकते हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उत्तरी निकाय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष हेमन्त सिंह पिंटू का मानना है कि प्रधानमंत्री के विजय रथ को रोकना तो दूर उसकी रफ्तार भी विपक्षी दलों के उम्मीदवार रोक पाये तो यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। छात्रनेता ने लोकसभा चुनाव 2014 के आंकड़ों और इसमें हार जीत के अंतर का जिक्र कर कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनावी जंग में उतरने वाले उम्मीदवार भी मुकाबले में निष्कर्ष को जानते हैं लेकिन ये भी जानते हैं कि प्रधानमंत्री के मुकाबले चुनावी जंग में उतरने पर उनका नाम सुर्खियों में रहेगा।
छात्रनेता ने दावा किया कि प्रधानमंत्री ने अपने सांसद के रूप में पहले कार्यकाल में वाराणसी को हल्दिया तक जल परिवहन, बाबतपुर फोरलेन, रिंग रोड, एसटीपी, आईपीडीएस और पेयजल आपूर्ति, कैंसर संस्थान, चावल अनुसंधान केंद्र, हस्तकला संकुल, गैस पाइप लाइन वितरण, काशी विश्वनाथ धाम की सौगात देकर विकास की नई इबारत खींचने के साथ बाबा की नगरी को पूरी दुनिया में पहचान दी है। ऐसे में काशी में चुनाव लड़ने वाले विपक्षी दलों के प्रत्याशियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने जमानत को बचाने में ही लगानी होगी। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल के उम्मीदवार प्रधानमंत्री के मुकाबले एक मंच पर लड़ते तभी उनके लड़ाई में जान आती। छात्रनेता के अनुसार संसदीय सीट के अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं का जिस पार्टी को एकतरफा वोट मिलेगा वहीं मुख्य लड़ाई में दिखेगा।

लोकसभा चुनाव 2014 की तस्वीर
भाजपा के वाराणसी लोकसभा के उम्मीदवार और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को तीन लाख 71 हजार मतों से हराया था। उन्हें कुल पांच लाख 81 हजार 22 मत मिला था। अरविन्द केजरीवाल को दो लाख नौ हजार 238 मत मिले थे। कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय को 75614, बसपा उम्मीदवार विजय प्रकाश जायसवाल को 60579 और सपा उम्मीदवार कैलाश चौरसिया को 45291 मत मिले थे। सभी की जमानत जब्त हो गई थी।


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