मुर्दों को 50 करोड़ का राशन देती है पश्चिम बंगाल सरकार
कोलकाता, 15 जुलाई (हि स)। बात जब भ्रष्टाचार की हो तो पश्चिम बंगाल सरकार के विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार हमेशा ही कीर्तिमान रचने वाले होते हैं। एक ताजा रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि पश्चिम बंगाल सरकार का खाद्य विभाग हर साल राज्य के विभिन्न जिलों में मुर्दों के नाम पर 50 करोड़ रुपये का चावल और गेहूं आवंटित करती है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना को पश्चिम बंगाल सरकार ने खाद्य साथी योजना के नाम से राज्य में लागू किया है। इसके तहत राज्य के लोगों को दो रुपये किलो चावल और गेहूं आवंटित किया जाता है। इसी योजना के जरिए मुर्दा लोगों के नाम पर राशन आवंटित कर इस धांधली को अंजाम दिया गया है। इस बात का खुलासा होने के बाद विभाग ने इस पर पर्दा डालने के लिए तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी जिलों के जिला शासको, पौर प्रधानों, जिला परिषदों व पंचायतों को चिट्ठी लिखकर मृतकों के नाम पर चल रहे हैं राशन कार्ड को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का निर्देश दिया है।
पश्चिम बंगाल में जितनी संख्या में लोगों की मृत्यु होती है उससे काफी कम संख्या में राशन कार्ड रद्द किए जाते हैं। खाद्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रतिवर्ष यहां हजार में से करीब करीब 08 लोग हर महीने मरते हैं जबकि केवल 02 लोगों का राशन कार्ड रद्द होता है और बाकी छह मृतकों के नाम पर भी राशन दिया जाता रहा है। पता चला है कि राज्य भर में ऐसे 06 लाख राशन कार्ड है जो लोग मर चुके हैं लेकिन उनके नाम पर चावल और गेहूं आवंटित होता रहा है।
खाद्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार के भोजन के अधिकार योजना के तहत 27 जनवरी 2016 से राज्य सरकार ने खाद्य साथी योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत राज्य के लोगों को ₹2 रुपये किलो चावल और गेहूं दिया जाता रहा है। इसके अधीन करीब 08 करोड़ 59 लाख लोगों को डिजिटल राशन कार्ड दिया गया है। इनमें से 06 लाख लोग मर चुके हैं लेकिन हर साल इन्हें राशन मिलता रहा है। इसके पीछे करीब 50 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। राज्य सरकार के द्वारा खाद्य योजना के तहत राशन आवंटन का खर्च 8039 करोड रुपये है। इसमें से हर साल 50 करोड़ का राशन मुर्दों के नाम पर आवंटित हो रहा है।
इस बात का खुलासा होने के बाद खाद्य विभाग के प्रधान सचिव मनोज अग्रवाल ने राज्य भर के सभी प्रशासनिक अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर स्पष्ट निर्देश दिया है कि 2016 से 2018 के मई तक मरे हुए लोगों की पूरी सूची खाद्य विभाग को भेजें जिसके आधार पर मर चुके लोगों का राशन कार्ड रद्द किया जाएगा। उसके बाद हर महीने मरने वालों की सूची राशन डीलरों के पास रहेगी एवं प्रत्येक महीने ऐसे लोगों का राशन कार्ड रद्द किया जाएगा। इससे इस धांधली पर लगाम लगाई जा सकती है।
इतने दिनों तक इसे अबाधित तरीके से चलने देने के बारे में पूछने पर खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने बताया कि वाम मोर्चा के शासनकाल से लेकर अभी तक करीब 01 करोड़ 35 लाख फर्जी राशन कार्ड की जानकारी मिली थी जिसे राज्य सरकार ने रद्द किया है। अब यह पता चला है कि कुछ ऐसे राशन डीलर है जो मरे हुए लोगों का राशन कार्ड रखकर उनके नाम पर राशन बेच रहे हैं।
इस गिरोह को खत्म करने के लिए विभाग ने विशेष पहल की है। अब हर महीने मरने वालों की सूची से मिलाकर राशन कार्ड को रद्द किया जाएगा और जन्म लेने वालों के नाम पर नए डिजिटल राशन कार्ड जारी किए जाएंगे। ज्ञात हो कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लोगों को मिलने वाले चावल और गेहूं पर होने वाले खर्च का 70% हिस्सा केंद्र सरकार देती है जबकि 30 % ही राज्य सरकार की हिस्सेदारी होती है।