भारत में श्रीराम, शिव व कृष्ण का मंदिर बने- स्वामी रामदेव
कुंभनगरी(प्रयागराज), 30 जनवरी(हि.स.)। भविष्य में ऐसा भारत बने जो विश्व का नेतृत्व करे। हम तो एकत्व के उपासक हैं। एक ही ब्रह्म से सारे ब्रह्माण्ड का सृजन हुआ है। यहां राम मंदिर बने,शिव मंदिर बने,कृष्ण मंदिर बने ऐसी हमारी प्रार्थना है। उक्त विचार सर्वसमावेशी संस्कृति कुम्भ में बुधवार को संबोधन के दौरान योगगुरु बाबा रामदेव ने व्यक्त किये।
योगगुरु ने कहा कि एक ही ब्रह्म की ज्योति,सामर्थ्य,ऐश्वर्य इस सृष्टि व समष्टि में समाहित है। कुछ मूर्त तो कुछ अमूर्त,कुछ व्यक्त तो कुछ अव्यक्त रूप से व्याप्त है। हम तो एकत्व व सहव्यक्तित्व के उपासक हैं। हम तो सहचार्यता के उपासक हैं। हम भिन्न जाति,धर्म,मत, सम्प्रदाय से हो सकते हैं,किन्तु उससे पूर्व मां भारती की संतान हैं। सत्य और जगत का कल्याण हमारे सिद्धान्त हैं। हम भौतिकता के शिखर पर हों तो आध्यात्मिकता में भी हम सर्वश्रेष्ठ हों। यही हमारी कामना है।
योगगुरु ने कहा कि एक ही ब्रह्म की ज्योति,सामर्थ्य,ऐश्वर्य इस सृष्टि व समष्टि में समाहित है। कुछ मूर्त तो कुछ अमूर्त,कुछ व्यक्त तो कुछ अव्यक्त रूप से व्याप्त है। हम तो एकत्व व सहव्यक्तित्व के उपासक हैं। हम तो सहचार्यता के उपासक हैं। हम भिन्न जाति,धर्म,मत, सम्प्रदाय से हो सकते हैं,किन्तु उससे पूर्व मां भारती की संतान हैं। सत्य और जगत का कल्याण हमारे सिद्धान्त हैं। हम भौतिकता के शिखर पर हों तो आध्यात्मिकता में भी हम सर्वश्रेष्ठ हों। यही हमारी कामना है।
महिलाएं हो सशक्त
योग गुरु ने महिलाओं के सशक्तिकरण की आवाज उठाते हुए कहा कि वह बाईट रोज एक मुनि के आश्रम में यह सब देख रहे थे। उन्होंने कहा कि महिलाएं इतनी सशक्त हो कि पुरूषों को सशक्तिकरण की बात करने पर मजबूर हो जाएं।
नागा साधुओं से चिलम त्यागने की अपील
बाबा रामदेव ने संत महात्माओं के कुम्भ को अति विशिष्ट बताते हुए नागा साधूओं को त्याग की प्रतिमूर्ति बताया। कहा की उन्हें महात्यागी होने का गौरव प्राप्त है तो भला उनका एक निवेदन और स्वीकारें और चिलम के व्यसन को भी त्याग दें।