भारतीय पुरुष तेजी से हो रहे अवसाद के शिकार

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नई दिल्ली, 03 मार्च (हि.स.) । भारत के लोगों में पिछले कुछ वर्षों में अवसाद (डिप्रेशन) के मामलों में वृद्धि हुई है। इस समय 6.5 प्रतिशत भारतीय नागरिक अवसादग्रस्त हैं, जो किसी अन्य देशों की तुलना में ज्यादा है। इसका मुख्य कारण क्षमता से ज्यादा काम और जरूरत से ज्यादा चिंता करना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक चिंता या तनाव ज्यादा होने पर इंसान अवसाद में चला जाता है। इसके शुरुआती लक्षण ऐसे होते हैं जो किसी को आसानी से पता नहीं चल पाता और लोग इसे नजर अंदाज कर देते हैं। ऐसे में लोगों को मानसिक रोग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। अवसादग्रस्त व्यक्ति हमेशा थका हुआ महसूस करता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को कहीं मन नहीं लगता है। वो हमेशा उदास रहने लगता है। इसका असर नींद पर भी पड़ता है। व्यक्ति या तो बहुत कम सोता है या बहुत ज्यादा सोता है। अवसादग्रस्त व्यक्ति के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है। इससे उसके मन में नकारात्‍मक विचार आते हैं। ऐसे लोग बेवजह गुस्सा करते हैं। कभी कभी आक्रामक भी हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में पीड़ित व्‍यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता में कमी भी आ जाती है।


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