बलिया : आमने-सामने मुकाबले में किसान नेता हर दृष्टि से पड़ रहे मजबूत

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महागठबंधन द्वारा अंतिम समय में दिया गया उम्मीदवार गणितीय आंकड़े में नहीं बैठ रहे फीट

लखनऊ, 03मई (हि.स.)। पूर्वी यूपी के बिहार बार्डर पर स्थित बलिया लोकसभा सीट पर दो तरफा लड़ाई में अभी तक भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विरेंद्र सिंह मस्त का पलड़ा भारी पड़ता दिख रहा है। इसका कारण है महागठबंधन से सपा उम्मीदवार को नामांकन के अंतिम दिनों में टिकट दिया जाना और उनका बहुत दिनों से सक्रिय राजनीति से दूर रहना। दूसरी तरफ पगड़ी बांधे, गांव-गांव की खाक छान रहे विरेंद्र सिंह मस्त का तुफानी दौरा और हर एक से सहज ही घुल-मिल जाना है। जातिय गणित पर भी नजर दौड़ायें तो विरेंद्र सिंह मस्त के पक्ष में ही रूझान दिख रहा है।
यह बता दें कि बलिया लोकसभा क्षेत्र में बलिया जिले की तीन और गाजीपुर की दो विधानसभाएं आती हैं। मूलत: बलिया के ही रहने वाले भाजपा उम्मीदवार विरेंद्र सिंह मस्त पहलवान और किसान नेता के रूप में जाने जाते हैं। वे अभी तक भदोही से सांसद हैं। इस बार भाजपा ने बलिया के वर्तमान सांसद भरत सिंह का टिकट काटकर विरेंद्र सिंह मस्त को टिकट दिया है। पगड़ी बांधे, ठेठ गंवई अंदाज में बात करने वाले विरेंद्र सिंह मस्त ग्रामीण जन को अपनी ओर सहज ही आकर्षित करने में सफल व्यक्ति हैं।
दूसरी तरफ महागठबंधन के उम्मीदवार सनातन पांडेय एक बार विधायक रह चुके हैं लेकिन एक दशक से वे सक्रिय राजनीति में नहीं रहे हैं। वहां पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र राज्यसभा सांसद नीरज शेखर और संग्राम सिंह यादव के भी टिकट की लाइन में लगने के बावजूद उन्हें उम्मीदवार न बनाये जाने से दोनों में सपा को नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है। वहीं, कांग्रेस का बलिया में कोई अस्तित्व तो नहीं है। इसके बावजूद वहां से यूपी में कांग्रेस और जनतांत्रिक पार्टी का गठबंधन में जनतांत्रिक उम्मीदवार का पर्चा खारिज हो जाने से भी भाजपा नेताओं के चेहरे खिले हुए हैं।
बलिया में अध्यापक और राजनीति में विशेष पकड़ रखने वाले पवन राय का कहना है कि यदि गठबंधन संग्राम सिंह या नीरज शेखर को टिकट दिया होता तो संघर्ष दिलचस्प होता। गठबंधन ने इन दोनों में किसी को टिकट न देकर अपने पैर में ही कुल्हाड़ी मार लिया है और विरेंद्र सिंह मस्त के लिए मैदान खाली कर दिया है। वहीं इलाहाबाद विश्व विद्यालय के छात्र रह चुके मिश्रवलिया गांव के रहने वाले राजेश मिश्रा का कहना है कि मोदी की लहर और विरेंद्र सिंह मस्त सहजता ने सबको उनके साथ जुड़ने के लिए मजबूर कर रहा है।
बलिया के मतदाताओं की संख्या 17,68,271 है। जातिगत आंकड़ों पर ध्यान दें तो लोकसभा क्षेत्र में लगभग ढाई लाख भूमिहार हैं, जबकि 2.30 लाख क्षत्रिय, 1.70 लाख ब्राह्मण, 1.20 लाख दलित, एक लाख राजभर, अस्सी हजार कुशवाहा, एक लाख मुस्लिम हैं। इसके अलावा पांच लाख के लगभग अन्य जातियां हैं। भूमिहार, क्षत्रिय और 80 प्रतिशत से ज्यादा ब्राह्मण मतदाता, कुशवाहा का मत विरेंद्र सिंह मस्त को मिलने की संभावना जताई जा रही है। यही नहीं संग्राम सिंह को टिकट न मिलने के कारण यादव वर्ग भी नाराज है।
वहीं दूसरी तरफ 2014 के मत को देखें तो भाजपा उम्मीदवार भरत सिंह 3,59,758 मत पाकर सपा के उम्मीदवार और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को 1,39,434 मत से हराया था। नीरज शेखर को कुल 2,20,324 मत मिले थे, जबकि 1,63,944 मत पाकर अफजाल अंसारी तीसरे नम्बर पर थे। बसपा के उम्मीदवार विरेंद्र कुमार पाठक को 1,41,684 मत मिले थे।

 


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