पूर्वोत्तर के उग्रवादियों पर म्यांमार कस रहा शिकंजा
डिमापुर, 17 मई (हि.स.)। पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों पर म्यांमार सरकार अपने भू-भाग में लगातार अभियान चला रही है। इस दौरान नगालैंड के उग्रवादी संगठन एनएससीएन (खापलांग), असम के उल्फा (स्वाधीन), एनडीएफबी, केएलओ समेत अन्य कई संगठनों को म्यांमार सेना के द्वारा चलाए गए अभियान से भारी नुकसान हुआ है।
एनएससीएन खापलांग के 24 कैडरों को गुरुवार को म्यांमार की एक अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए जेल भेज दिया। उल्लेखनीय है कि एनएससी (खापलांग) में आधे से अधिक कैडर व संगठन नेतृत्व म्यांमार मूल के लोगों के हाथों में है, जबकि शेष भारत के नगालैंड के हैं। ऐसे में म्यांमार सरकार के साथ एनएसीएल (के) ने संघर्षविराम करते हुए डेजिग्नेटिड कैंप बनाकर रहने के लिए आधिकारिक अनुमति प्राप्त की थी।
भूटान और बांग्लादेश की सरकार द्वारा पूर्वोत्तर के उग्रवादियों के विरुद्ध चलाए गए अभियान के बाद शरण लेने के लिए उल्फा, एनडीएफबी, केएलओ समेत संगठन एनएससीएन (के) से मदद मांगी थी। इसके तहत एनएसईएन (के) ने सभी को अपना कैडर बताते हुए पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादियों को म्यांमार के जंगलों में स्थान मुहैया करा दिया। ज्ञात हो कि म्यांमार की सीमा भारत के अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा से लगती है। इसका फायदा उठाते हुए पूर्वोत्तर के उग्रवादी भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देकर सुरक्षित म्यांमार में जाकर छिप जाते थे।
भारत सरकार के द्वारा उठाई गई आपत्ति के बाद से गत वर्ष नवम्बर माह से म्यांमार की सेना ने पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादियों के कैंपों पर जोरदार अभियान चलाया। इसके चलते उग्रवादियों को अपने कैंप छोड़कर जान बचाने के लिए भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। तब से लेकर अब तक लगातार म्यांमार सेना पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादियों के ठिकानों पर हमले कर रही है। इस बीच एनएससीएन (के) के मुख्य कार्यालय को नष्ट करने के पश्चात उसके काफी संख्या में शीर्ष कैडर और आम कैडरों को वहां की सेना ने गिरफ्तार कर लिया। लगातार न्यायालय में सुनवाई के बाद अंततः गुरुवार को 24 कैडरों को न्यायालय ने सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया। एनएससीएन (के) पर यह आरोप लगाया गया है कि एनएससीएन (के) ने सरकार के साथ किए गए समझौते का उल्लंघन करते हुए पूर्वोत्तर के उग्रवादियों को अपने नाम पर शरण देने का अपराध किया है। उल्लेखनीय है कि म्यांमार सरकार के इस कड़े रुख से उग्रवादियों में हड़कंप मच गया है। इसकी वजह से वे भारत में घुसपैठ कर आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।