पिंडरा विधानसभा: भाजपा को सियासी दुर्ग बचाने की चुनौती, कांग्रेस से कड़ी टक्कर

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-भाजपा विधायक डॉ अवधेश सिंह और पूर्व विधायक अजय राय के बीच जंग, तैयारी सालों से, फैसला सुनायेंगे मतदाता
वाराणसी,13 जनवरी (हि.स.)। वाराणसी जिले के आठ विधानसभा में सबसे कड़ी प्रतिस्पर्धा पिंडरा विधानसभा में देखने को मिलेगी। कांग्रेस से सीट छीनकर अपने पाले में लाने वाली भाजपा के लिए कठिन चुनौती यहीं से मिलने की उम्मीद है।
पार्टी के विधायक डॉ अवधेश सिंह और रणनीतिकार इस चुनौती को स्वीकार कर किला बचाने के लिए सियासी चक्रव्यूह तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय यहां से पहली बार हार मिलने के बाद से ही क्षेत्र में लगातार सक्रिय रह भाजपा को खुली चुनौती दे रहे है। क्षेत्र में उनकी सक्रिय गतिविधियों से भाजपा भी पूरे पांच साल तक चैन की सांस नहीं ले पाई है। आरोप-प्रत्यारोप का सियासी मिसाइल पांच साल तक लगातार चलती रही।
उल्लेखनीय है कि, 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए कांग्रेस बड़ी चुनौती रही। लेकिन बसपा प्रत्याशी ने अप्रत्याशित रूप से भाजपा को टक्कर देने के साथ कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। चुनाव में विजेता भाजपा के डॉ अवधेश सिंह को 90,614 44.34 फीसदी मत मिला था। दूसरे स्थान पर रहे बसपा के बाबूलाल को 53,765 लगभग 26.31 फीसदी मत मिला था। कांग्रेस के अजय राय को 48,189 23.58 फीसदी मत मिला था।
खास बात ये रही कि भाजपा के डॉ अवधेश सिंह की जीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का करिश्माई नेतृत्व और वाराणसी में ऐतिहासिक रोड शो का अहम रोल रहा। प्रधानमंत्री के रणनीतिकार इस विधानसभा को फतह करने के लिए पहले से ही तैयारी किये थे।
वर्ष 2012 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के अजय राय जीते थे। तब उन्हें 52,863 कुल 29 फीसदी मत मिला था। तब दूसरे स्थान पर बसपा ही रही।
इस विधानसभा सीट का गठन 2012 के विधानसभा चुनाव के समय ही हुआ था। इसके पहले इसका नाम कोलअसला विधानसभा था। इससे भी पहले इसका नाम वाराणसी पश्चिम हुआ करता था। पिंडरा विधानसभा क्षेत्र मछलीशहर संसदीय क्षेत्र में आता है। यहां कांग्रेस, बसपा और भाजपा में ही चुनावी टक्कर होती रही है। कभी ये वामपंथ का सबसे मजबूत किला माना जाता था। 1962 में पहली बार यहां से सीपीआई के ऊदल ने जीत हासिल की। कामरेड स्व.उदल ने यहां से 09 बार विधायक रहने का रिकॉर्ड बनाया था। उनके किले को 1996 में तब भाजपा के अजय राय अब कांग्रेस के नेता अजय राय ने ढहाया था। अजय राय 1996 में पहली बार कोलअसला से भाजपा के टिकट पर वह विधायक बने। उसके बाद उन्होंने 2002 और 2007 में भी यहां से कमल खिलाया। अजय राय ने इसी विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में निर्दल प्रत्याशी के रूप में भी फतह हासिल की। फिर 2012 के विधानसभा चुनाव में पिंडरा सीट के वजूद में आने के बाद भी अजय राय ने ही यहां से जीत हासिल की लेकिन कांग्रेस के टिकट पर।
भाजपा के विधायक डॉ अवधेश सिंह इससे पहले कांग्रेस, बसपा और अलग-अलग दलों से 5 बार इस विधानसभा क्षेत्र में हार चुके थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में फोटोयुक्त निर्वाचक नामावलियों के अन्तिम प्रकाशन तक पिण्डरा विधान सभा में पुरुष मतदाता 199174, महिला मतदाता 170077, थर्ड जेंडर मतदाता 14 सहित वोटरों की कुल संख्या 369265 है। पिण्डरा में 3905 पुरुष, 5509 महिला, 01 थर्ड जेंडर सहित 9415 मतदाताओं की वृद्धि हुई है। नामांकन के पहले अभी मतदाताओं की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
कांग्रेस के अजय राय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ लड़ चुके है चुनाव
कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकसभा चुनाव में दो बार चुनौती दे चुके है। 2012 में पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने के बाद अजय राय 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कांग्रेस के टिकट पर चुनौती दे चुके है। चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो गई और उन्हें तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। इससे पहले वह 2009 में सपा के टिकट पर भी लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उस चुनाव में भाजपा के डॉ मुरली मनोहर जोशी को भी चुनौती दी थी। लेकिन तब भी अजय राय तीसरे स्थान पर रहे।


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