पहाड़ों से लेकर औद्योगिक राजधानी तक डा. जोशी ने किया राजनीतिक सफर
कानपुर, 27 मार्च (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे डा. मुरली मनोहर जोशी को पार्टी ने भले ही इस बार टिकट न दिया हो लेकिन उनका राजनीतिक सफर लंबा रहा है। डा. जोशी ने उत्तराखण्ड की अल्मोड़ा लोकसभा सीट से राजनीतिक सफर शुरू किया और औद्योगिक राजधानी कानपुर तक कुल छह बार जनता का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि इस बार टिकट कटने पर उनके समर्थकों में मायूसी है पर उन्हीं के खास सत्यदेव पचौरी को टिकट मिलने से पार्टी कार्यकर्ताओं में संतोष दिख रहा है।
डा. मुरली मनोहर जोशी मूलतः उत्तराखण्ड के रहने वाले हैं। उनका जन्म पांच जनवरी सन् 1934 को दिल्ली में हुआ था। उनका पैतृक निवास-स्थान वर्तमान उत्तराखण्ड के कुमायूं क्षेत्र में है। उन्होंने एमएससी की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हासिल की। यहीं से उन्होंने अपनी डॉक्टरेट की उपाधि भी अर्जित की। उनका शोधपत्र स्पेक्ट्रोस्कोपी पर था। अपना शोधपत्र हिन्दी भाषा में प्रस्तुत करने वाले वे प्रथम शोधार्थी हैं। इसके बाद वह यहीं पर प्राध्यापक भी हो गये।
गंगा से रहा बेहद लगाव
उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद पहला चुनाव जनता पार्टी से 1997 में उत्तराखण्ड की अल्मोड़ा लोकसभा सीट से लड़ा और जीतकर संसद भी पहुंचे। इसके बाद इलाहाबाद को राजनीति का अपना केन्द्र बनाया और तीन बार लगातार सांसद रहे। यहीं से उनका गंगा से बेहद लगाव हो गया और अक्सर गंगा किनारे जाते रहते थे। इसी के चलते जब यहां से चुनाव हारने के बाद उन्हें अगला चुनाव लड़ना था तो गंगा के किनारे बसे वाराणसी को चुना। यही नहीं जब पिछले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को वाराणसी सीट दी गयी तो उन्होंने कहा था कि गंगा किनारे की सीट से ही चुनाव लडूंगा। इसी को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने औद्योगिक नगरी कानपुर को चुना और डा. जोशी उसमें भी खरा उतरे। यही नहीं उन्होंने कानपुर सीट पर इतिहास दर्ज करते हुए दो लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी।
अब डा. जोशी का राजनीतिक संन्यास तय
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी का टिकट अबकी बार पार्टी ने काट दिया। अब लगभग उनका राजनीतिक कैरियर संन्यास की ओर है। भाजपा में उन्हें जो भी जिम्मेदारी मिली, उसे बखूबी निभाया। सांसद से लेकर पार्टी अध्यक्ष और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में बतौर मानव संसाधन जैसे मंत्रालय को बेहतर ढंग से संभाला। कुल मिलाकर लंबे समय तक पार्टी को हर संभव तक आगे बढ़ाने में अहम भूमिका अदा करने वाले डा. जोशी को अब पार्टी ने टिकट नहीं दिया जिससे अब संभावना जताई जा रही है कि अब उनका राजनीतिक संन्यास तय है।
अबकी बार फिर पचौरी और श्रीप्रकाश होंगे आमने-सामने
भारतीय जनता पार्टी ने अबकी बार लोकसभा चुनाव में डा. मुरली मनोहर जोशी का टिकट काटकर उन्हीं के खास और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी को मैदान में उतारा है। हालांकि पचौरी इससे पहले भी 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उस समय उनके सामने कांग्रेस के सांसद श्रीप्रकाश जायसवाल थे। चुनाव में श्रीप्रकाश ने लगभग पांच हजार वोटों से पचौरी को शिकस्त दी थी। इसके बाद जायसवाल 2009 में भी सांसद रहे और दोनों बार यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे। पिछले लोकसभा चुनाव में भी जायसवाल रनर प्रत्याशी थे। इसी को देखते हुए कांग्रेस ने एक बार फिर जायसवाल पर भरोसा जताया। ऐसे में एक बार फिर पचौरी और जायसवाल लोकसभा चुनाव में आमने सामने होंगे।