न्यायमूर्ति पीएन भगवती भारत में जनहित याचिका के जनक : राष्ट्रपति
नई दिल्ली (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीएन भगवती को भारत में जनहित याचिका (पीआईएल) का जनक करार देते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था में उनका योगदान अतुलनीय है।
राष्ट्रपति ने यह बात शुक्रवार को यहां “लॉ, जस्टिस एंड ज्यूडिशियल पॉवर – जस्टिस पीएन भगवतीज अप्रोच” पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम के मौके पर कही। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने पुस्तक का औपचारिक लोकार्पण करने के बाद इसकी एक प्रति राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेंट की।
इस मौके पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई पूर्व और वर्तमान न्यायाधीश और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष एवं हिन्दुस्थान समाचार (बहुभाषी न्यूज एजेंसी) के समूह सम्पादक पद्मश्री रामबहादुर राय समेत तमाम गण्यमान्य लोग भी मौजूद थे।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि न्यायमूर्ति भगवती को भारत में जनहित याचिका का जनक कहा जाता है। देश में सुप्रीम कोर्ट का आदर्शवाद और सादगी, यहां तक ्टकार्ड पर दायर एक याचिका की भी सराहना की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पीआईएल परंपरा कानून के अभ्यास और न्याय वितरण की प्रक्रिया में एक भारतीय योगदान है। इसकी अन्य लोकतंत्रों और अन्य कानूनी प्रणालियों द्वारा भी प्रशंसा की गई है।
पीआईएल के दुरुपयोग को रोकने के लिए न्यायपालिका की सजगता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब पीआईएल पेशेवर अपने निहित स्वार्थों के लिए ऐसे प्रावधानों का दुरुपयोग कर सकते हैं या वैध निर्णय लेने में बाधा डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि व्यापक परिप्रेक्ष्य में हालांकि यह एक पीआईएल जैसे एक तंत्र के मूल्य और सेवा को देखने के लिए शिक्षाप्रद है।
राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय व्यापक परिभाषा के साथ-साथ जिन राहों तक पहुंचा है, वे मानव इतिहास के दौरान विकसित हुई हैं। तीन दशक पहले न्यायमूर्ति भगवती और उनकी पीढ़ी के न्यायविदों ने न्याय के क्षितिज को फैलाया। आज विकास के हमारे दौर में सामाजिक और आर्थिक न्याय और जलवायु और प्रौद्योगिकी न्याय की प्राप्ति में नई चुनौतियां हैं।