नरेन्द्र मोदी बनाम तेज बहादुर : वाराणसी में रोचक हुई सियासी लड़ाई

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वाराणसी, 30 अप्रैल (हि.स.)। देश-दुनिया की नजरें वाराणसी संसदीय क्षेत्र पर टिकी हैं। यहां से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को हराया था। तब कांग्रेस से अजय राय उम्मीदवार थे, जिनकी जमानत जब्त हो गई थी। अजय राय कांग्रेस के टिकट पर फिर भाग्य आजमा रहे हैं। सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के तहत यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आई है। सपा ने पहले यहां से शालिनी यादव को उम्मीदवार बनाया था लेकिन सोमवार को अचानक बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव पर दांव खेल दिया है। इससे लड़ाई रोचक हो गई है। प्रधानमंत्री अपनी सभाओं में सेना के शौर्य का बखान करते रहे हैं। विपक्ष को उम्मीद है कि तेज बहादुर अपनी सभाओं में मोदी के दावों की पोल खोलेंगे।

बहरहाल, काशी (वाराणसी) की अड़ियों ( चाय की दुकानों )पर चुनावी चर्चाओं का दौर चल रहा है। लोग बात कर रहे कि वाराणसी से मोदी कितने वोट से जीतेंगे? पहले से कितने अधिक वोट से जीतेंगे? भाजपा को कुल कितनी सीटें मिलेंगी? पिछली बार से कम या ज्यादा मिलेंगी? यहां पान व चाय की दुकानों, गंगा के घाटों के किनारे बैठे लगभग 90 प्रतिशत लोगों के बीच यही चर्चा है। किसी से मिलने जाइये, वह सीधे सवाल उछालता है, क्या गुरू, इस बार मोदी को केन्द्र में कितनी सीटें मिलेंगी? अस्सी घाट पर बैठने वाले घनश्याम मिश्रा का कहना है कि जीतेंगे तो मोदी ही, सवाल यह है कि कितने वोट से जीतेंगे? घनश्याम कहते हैं कि कांग्रेस ने यहां से यदि प्रियंका गांधी को चुनाव लड़वाया होता तब लड़ाई कांटे की हो जाती। प्रियंका को प्रत्याशी नहीं बनाने से मोदी के लिए मैदान लगभग खाली हो गया है। उनके लिए स्थिति यह हो गई है कि जितना वोट बटोर सकें, बटोर लें। दशाश्वमेध घाट बिरजू मल्लाह मिले। पूछने पर कि यहां से चुनाव कौन जीतेगा? उन्होंने कहा, मोदी ही जीतेंगे, और कौन जीतेगा।

बीएचयू के प्रबंध शास्त्र संकाय के डीन रहे प्रो. छोटेलाल का कहना है कि 2014 में वाराणसी संसदीय क्षेत्र के मतादाताओं की संख्या लगभग 18,32,438 थी। जो 2019 में लगभग साढ़े उन्नीस लाख हो गई होगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में 10,30,685 वोट पड़े थे। उसमें से मोदी को 5,81,023 यानि 56.37 प्रतिशत वोट मिला था। और वह 3,71,784 वोट से जीते थे। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अरविन्द केजरीवाल दूसरे नम्बर पर आये थे । उनको 2,09,238 वोट( 20.30 प्रतिशत) मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को 75,614 वोट (7.34 प्रतिशत) मिले थे। बसपा के विजय प्रकाश जायसवाल को 60,579 (5.88 प्रतिशत) वोट मिले थे। सपा के कैलाश चौरसिया को 45,291 (4.39 प्रतिशत) वोट मिले थे। सपा ने पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेसी नेता रहे श्यामलाल यादव की बहू शालिनी यादव को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की थी। हालांकि सोमवार को उनको सूचित कर दिया गया कि पार्टी ने रणनीति के तहत सीमा सुरक्षा बल के सैनिक रहे तेज बहादुर यादव को उम्मीदवार बना दिया है। तेज बहादुर वही हैं जिन्होंने बीएसएफ में घटिया दाल-रोटी की शिकायत का वीडियो बनाकर वायरल किया था। बाद में मोदी सरकार ने उनको नौकरी से बर्खास्त कर दिया। सेना में इस तरह के मामले उठाने वाले तथा सेवानिवृत सैनिक उनके समर्थन बीते कई दिनों से वाराणसी में प्रचार कर रहे हैं। उनकी संख्या लगभग 100 है। सपा का वोट बैंक यादव हैं। वाराणसी में उनकी संख्या लगभग एक लाख है। मुसलमान भी सपा व बसपा के मतदाता हैं। इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 3 लाख मुसलमान हैं। ऐसे में यदि सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी तेज बहादुर यादव के पक्ष में यादव व मुसलमान एकजुट हुए तो तेज बहादुर को अच्छा वोट मिल जाएगा। इसके चलते भाजपा के रणनीतिकार सतर्क हो गये हैं। प्रो. छोटेलाल का कहना है कि इस तरह उठापटक चाहे जितना हो, जीतेंगे तो मोदी ही।

इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार वशिष्ठ का कहना है कि यदि कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी अजय राय को सपा-बसपा प्रत्याशी के पक्ष में बैठा दिया तब तो यह लड़ाई बहुत ही मजेदार तथा मोदी बनाम तेजबहादुर हो जाएगी। तेज बहादुर भाजपा की पुलवामा हवा को फूस कर देंगे, क्योंकि पुलवामा घटना में जो जवान मारे गये हैं उनमें सबसे अधिक यादव हैं। तेज बहादुर सैनिकों की परेशानी की बहुत-सी बातें उजागर करके मोदी सरकार व भाजपा को बचाव की मुद्रा में ला सकते हैं। यह हो जाने पर मोदी के जीत का मार्जिन बहुत कम हो सकता है।

 


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