धौरहरा में जितिन की प्रतिष्ठा दांव पर, भाजपा के सामने सीट बचाने की चुनौती
लखनऊ, 05 मई (हि.स.)। कांग्रेस पार्टी के लिए धौरहरा लोकसभा सीट काफी अहम मानी जाती है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद की प्रतिष्ठा यहां दांव पर लगी है। यह लोकसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई और पहली बार 2009 में चुनाव हुआ। यहां से पहले सांसद कांग्रेस के जितिन प्रसाद चुने गये थे। वह कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के पुत्र हैं और यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रहे हैं। फिलहाल अभी इस लोकसभा क्षेत्र की पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
इस लोकसभा सीट से 2014 में मोदी लहर के चलते जितिन प्रसाद को हराकर रेखा वर्मा सांसद चुनी गईं थीं। पार्टी ने दोबारा उन पर भरोसा जताते हुए पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। धौरहरा महोत्सव यहां का पारंपरिक आयोजन है। इस बार यहां फिर पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और रेखा वर्मा के आमने-सामने होने से भाजपा के सामने सीट बचाने की चुनौती है तो कांग्रेस वापसी की आस में है। भाजपा प्रत्याशी को इस बार भितरघात का भी खतरा सता रहा है। गठबंधन प्रत्याशी अरसद सिद्दीकी सपा-बसपा के वोटों की बदौलत मैदान मारने की जुगत में है।
त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
धौरहरा लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के पूरे आसार हैं। गठबंधन में यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। धौरहरा महोत्सव समिति के संयोजक सुरेन्द्र दीक्षित का कहना है कि इस बार भाजपा व सपा-बसपा गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई होगी लेकिन जितिन प्रसाद के चुनाव लड़ने के कारण लड़ाई त्रिकोणीय हो सकती है।
चंबल के खूंखार डाकू मलखान सिंह भी लड़ रहे हैं चुनाव
धौरहरा लोकसभा सीट से शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी ने कुख्यात डकैत रहे मलखान सिंह को मैदान में उतारा है। 70 के दशक में मलखान सिंह के गिरोह का चंबल में खौफ था। उनके खिलाफ 94 मामले दर्ज थे। इनमें डकैती के 18 मामले और हत्या के प्रयास के 19 मामले शामिल हैं। मलखान ने 1982 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष आत्मसर्मपण किया था। मलखान सिंह के मैदान में उतरने के बाद गठबंधन प्रत्याशी अरशद इलियास सिद्दीकी, भाजपा एवं कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए इस सीट पर मुकाबला चुनौती भरा हो गया है।