तीसरे समुद्री परीक्षण में स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ करेगा जटिल युद्धाभ्यास

0

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की हाई प्रोफाइल यात्राओं के बाद जहाज का अगला परीक्षण शुरू

– आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय देश को समर्पित किया जायेगा युद्धपोत आईएसी विक्रांत

नई दिल्ली, 09 जनवरी (हि.स.)। भारतीय सैन्य बलों के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की लगातार दो हाई प्रोफाइल यात्राओं के बाद देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ को तीसरे समुद्री परीक्षणों के लिए भेजा गया है। आईएसी विक्रांत का पहला परीक्षण पिछले साल अगस्त में और दूसरे समुद्री परीक्षण अक्टूबर में किया जा चुका है। तीसरे परीक्षण में इसके जटिल युद्धाभ्यास को देखा जायेगा कि जहाज विभिन्न परिस्थितियों में कैसा प्रदर्शन करता है। कोचीन शिपयार्ड में निर्मित यह युद्धपोत सभी तरह के अंतिम समुद्री परीक्षण पूरे होने के बाद आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय देश को समर्पित किया जायेगा।

देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ का पिछले साल अगस्त में पहला समुद्री परीक्षण प्रणोदन, नौवहन सूट और बुनियादी संचालन स्थापित करने के लिए था। अक्टूबर-नवंबर में दूसरे समुद्री परीक्षण के दौरान विभिन्न मशीनरी परीक्षणों और उड़ान परीक्षणों के संदर्भ में जहाज को उसकी गति के माध्यम से देखा गया। दूसरे समुद्री परीक्षण में 10 दिनों के दौरान जहाज की क्षमताओं को जांचने के बाद अब तीसरे परीक्षण में जटिल युद्धाभ्यास करने के लिए रवाना किया गया है ताकि यह देखा जा सके कि जहाज विभिन्न परिस्थितियों में कैसा प्रदर्शन करता है। परीक्षण के दौरान विशाखापत्तनम स्थित डीआरडीओ प्रयोगशाला, नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों को भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा जहाज के विभिन्न सेंसर सूट का भी परीक्षण किया जाएगा।

कोचीन शिपयार्ड में निर्मित युद्धपोत आईएसी को सभी तरह के अंतिम समुद्री परीक्षण पूरे होने के बाद आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में देश को समर्पित किया जाना है। भारतीय नौसेना को सौंपने से पहले यह जहाज सभी उपकरणों और प्रणालियों को साबित करने के लिए समुद्री परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजर रहा है। आईएसी की डिलीवरी के साथ भारत इस विमान वाहक को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता वाले राष्ट्रों के एक चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा।इससे सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूती मिलने के सात ही हिन्द महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी।

स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी) आईएनएस विक्रांत का निर्माण 28 फरवरी, 2009 से कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में निर्माण शुरू किया गया था। दो साल में निर्माण पूरा होने के बाद विक्रांत को 12 अगस्त, 2013 को लॉन्च किया गया था। पूरी तरह से स्वदेशी इस जहाज ने अगस्त, 2020 में हार्बर ट्रायल पूरा किया था जिसके बाद सितम्बर, 2020 में अत्याधुनिक आईएनएस विक्रांत को परीक्षणों के लिए समंदर में उतारा गया था। दिसम्बर, 2020 में सीएसएल की तरफ से किए बेसिन ट्रायल में भी विमानवाहक पोत पूरी तरह खरा उतरा था। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने अपने-अपने दौरे में जहाज की प्रगति समीक्षा करने के बाद संतोष जताते हुए परियोजना में शामिल सभी हितधारकों को शुभकामनाएं दीं हैं।


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *