डीआरडीओ राजपथ पर दो झांकियों में दिखाएगा स्वदेशी विकास क्षमता

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एलसीए तेजस के लिए विकसित स्वदेशी सेंसर, हथियार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली दिखाई गई

– नौसेना की पनडुब्बियों के लिए विकसित वायु स्वतंत्र प्रणोदन प्रणाली (एआईपी) को दर्शाया गया

नई दिल्ली, 23 जनवरी (हि.स.)। गणतंत्र दिवस परेड के दौरान रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) राजपथ पर दो झांकियों के जरिये स्वदेशी विकास क्षमता का प्रदर्शन करेगा। इन झांकियों में एलसीए तेजस के लिए स्वदेशी रूप से विकसित सेंसर, हथियार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली का सूट और भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों के लिए विकसित वायु स्वतंत्र प्रणोदन प्रणाली (एआईपी) को दर्शाया गया है। यह प्रणाली सैन्य क्षमताओं को मजबूत करते हुए ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देगी।

डीआरडीओ प्रवक्ता के अनुसार पहली झांकी में स्वदेशी रूप से विकसित उन्नत इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किए गए ऐसे रडार को प्रदर्शित किया गया है जिसे ‘उत्तम’ कहा जाता है। पायलट को स्थितिजन्य जागरुकता प्रदान करने के लिए ‘उत्तम’ रडार अत्यधिक कॉम्पैक्ट और मॉड्यूलर अत्याधुनिक सेंसर है। इस राडार को बेंगलुरु स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स प्रयोगशाला में विकसित किया गया है। इसके अलावा चौथी पीढ़ी के एलसीए (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) तेजस की क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए पांच अलग-अलग हवाई लॉन्च किए गए हथियार और एक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) जैमर को प्रदर्शित किया गया है। इन पांच हथियारों में हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल ‘एस्ट्रा’ शामिल है, जो दृश्य सीमा से परे हमला करने में सक्षम है।

पहली झांकी में नई पीढ़ी की विकिरण-रोधी मिसाइल ‘रुद्रम’ को भी प्रदर्शित किया गया है, जो दुश्मन के राडार और संचार प्रणालियों को नष्ट करने की क्षमता रखती है। जमीनी लक्ष्यों और हवाई क्षेत्रों को नष्ट करने के लिए स्मार्ट एंटी एयरफील्ड हथियार, लंबी दूरी का निर्देशित ग्लाइड बम ‘गौरव’ और जमीनी लक्ष्यों के लिए उन्नत सटीक स्ट्राइक हथियार ‘टैक्टिकल एडवांस्ड रेंज ऑग्मेंटेशन’ को भी झांकी का हिस्सा बनाया गया है। इन हथियारों को हैदराबाद स्थित डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं में जटिल तकनीकों का उपयोग करके विकसित किया गया है। तेजस को ‘एडवांस्ड सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर’ से लैस किया गया है, जिसे अधिग्रहण राडार, अग्नि नियंत्रण राडार, विमान-रोधी तोपखाने और हवाई मल्टीरोल राडार से सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। हैदराबाद में इलेक्ट्रॉनिक प्रयोगशाला में विकसित यह जैमर एलसीए को इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता प्रदान करता है।

डीआरडीओ की दूसरी झांकी में भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों को पानी के भीतर चलाने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित एआईपी प्रणाली को प्रदर्शित किया गया है। एआईपी प्रणाली स्वदेशी रूप से विकसित ईंधन से संचालित है जिसमें ऑनबोर्ड हाइड्रोजन जनरेटर है। यह दुनिया में सबसे उन्नत एआईपी सिस्टम में से एक है जहां ऑनबोर्ड बिजली उत्पन्न करने के लिए ईंधन सेल प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है। एआईपी सिस्टम पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में पनडुब्बी को लंबे समय तक डूबे रहने में सक्षम बनाता है। एआईपी सिस्टम को प्रोजेक्ट-75 की पनडुब्बियों में लगाया गया है। डीआरडीओ का यह सिस्टम लगने से पनडुब्बी को बार-बार सांस लेने के लिए समुद्र की सतह पर नहीं आना पड़ता है। यह आला तकनीक दुनिया के बहुत कम देशों के पास ही उपलब्ध है।


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