डगमगा रहा है तेजस्वी में राजद के कार्यकर्ताओं और मझोले नेताओं का विश्वास

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पटना, 18 जनवरी (हि.स.)। एक ओर नेता प्रतिपक्ष और लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी ताकतों को एकजुट करने की मुहिम का हिस्सा बनने की कवायद कर रहे हैं दूसरी ओर उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और मझोले स्तर के नेताओं का विश्वास उनपर से डगमगाने लगा है। इसके कई कारण हैं। राजद में बहुत सारे कार्यकर्ता हैं जो वर्षों से मेहनत करते आ रहे हैं। इनमें से कुछ पार्टी के छोटे-मोटे ओहदों पर भी पहुंच गये हैं, लेकिन इनकी महत्वाकांक्षा समय के साथ बड़ी हो गई है। वे खुद को पार्टी की अगली पंक्ति में देखना चाहते हैं लेकिन जिस तरह से पार्टी लालू प्रसाद के बाद तेजस्वी यादव और तेजप्रताप के इर्दगिर्द सिमटती जा रही है उससे इनमें अंदर ही अंदर असंतोष की भावना बढ़ रही है।
लखनऊ में बसपा प्रमुख मायावती के जन्मदिन पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के बाद जिस तरह से तेजस्वी यादव ने ट्वीटर पर कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भाजपा विरोधी रैली में शिरकत करने का ऐलान किया है उससे राजद के मझोले स्तर के कुछ नेता तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर ही सवाल उठाने लगे हैं। इनका मानना है कि उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा के गठबंधन के बाद तेजस्वी यादव को समझ जाना चाहिए कि पार्टी का भविष्य सिर्फ बिहार तक ही सीमित है और उन्हें पूरी तरह से बिहार की सियासत पर ही खुद को और पार्टी केंद्रित करना चाहिए। खुद को बिहार की सियासत पर केंद्रित करने की बजाय वह अपना समय राष्ट्रीय नेताओं के पैर छूने में जाया कर रहे हैं।
पिछले कुछ समय से तेजस्वी यादव अपने आवास पर राजद प्रवक्ताओं की नियमित साप्ताहिक बैठक भी आयोजित कर रहे हैं। उनका सख्त निर्देश है कि वह खुद बैठक में मौजूद हों या न हों सभी प्रवक्ताओं को इसमें नियमित तौर पर शिरकत करना जरुरी है। सूत्रों के मुताबिक इन बैठकों को लेकर भी कुछ प्रवक्ताओं के मन में असंतोष है। उनका कहना है कि इन बैठकों में ओपेन डिसक्शन की कोई गुंजाईश नहीं है। इन बैठकों में उन्हें महज तेजस्वी यादव को सुनने के लिए आमंत्रित किया जाता है। तेजस्वी यादव के इर्दि गिर्द ऐसे लोगों का घेरा बन गया है जो उन्हें उल्टी -सीधी सलाह देते रहते हैं और उन्हें इसी पर अमल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ट्वीटर पर तेजस्वी की चौपाल का कंसेप्ट भी इसी का नतीजा है। दरअसल उन्हें समझाया गया था कि ट्वीटर पर चौपाल बैठा कर लोगों के सवालों का जवाब देने से उनकी लोकप्रियता में और इजाफा होगा। राष्ट्रीय राजनीति में खुद को स्थापित करने की दिशा में यह एक मजबूत कदम साबित होगा। लेकिन जिस तरह से इस चौपाल का डिजाइन किया गया और एक पेशेवर एंकर के जरिये तेजस्वी यादव के सामने ट्वीटर के हवाले से सवाल रखे गये उसका नकारात्मक असर राजद के मझोले नेताओं पर पड़ा।वे दबी जुबान में इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि बड़ी संख्या में राजद के लोग आज भी ट्वीटर जैसे सोशल मीडिया पर नहीं है। राजद के समर्थक बिहार के गरीब तबके के लोग हैं। स्मार्ट फोन और निर्बाध इंटरनेट तक उनकी पहुंच काफी कम है। ऐसे में ट्वीटर पर चौपाल लगाकर बिहार में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर बदलाव की बात करना उनके साथ मजाक से कम नहीं है। इतना ही नहीं पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं और नेताओं को छोड़कर चौपाल लगाने का ठेका पेशेवर लोगों को दिया जा रहा है।
इनका कहना है कि सामाजिक न्याय की लड़ाई के शुरुआती दौर में लालू प्रसाद अपने समर्थकों से अपील करते थे कि वे अखबारों से दूर रहें क्योंकि अखबारों की डोर सामंतवादियों के हाथ में है। ऐसे में उनके हित की बात वे कभी नहीं करेंगे। लालू प्रसाद ये बातें जनसभाओं में लोगों के बीच किया करते थे। अपने ट्वीटर चौपाल में तेजस्वी यादव भी अपने समर्थकों से मीडिया की खबरों पर यकीन न करने की सलाह तो दे रहे हैं लेकिन उनकी इस सलाह से दूर दराज के गांवों -मुहल्लों में रहने वाले राजद के परंपरागत समर्थकों का कोई लेना देना नहीं है क्योंकि उनकी पहुंच ट्वीटर तक है ही नहीं। मजे की बात यह है कि ये बातें तेजस्वी यादव के सामने बोलने की किसी में हिम्मत नहीं हो रही है। इस संदर्भ में राजद के एक युवा नेता कहते हैं, तेजस्वी यादव गलत दिशा में अपनी ऊर्जा लगा रहे हैं। 2019 का चुनाव सिर पर है, ट्वीटर चौपाल लगाने की बजाय उन्हें बूथ स्तर पर राजद के युवाओं की फौज को संगठित करने की जरुरत है। वह कहते हैं कि जिस तरह से तेजस्वी यादव ने ट्वीटर पर आये तल्ख सवालों से मुंह चुराया है उससे उनकी किरकिरी ही हो रही है। गौरतलब है कि तेजस्वी यादव से ट्वीटर चौपाल पर उनसे पूछा गया था कि आप यादवों के लिए क्या कर रहे हैं। आपको सिर्फ यादवों के वोट की जरुरत है लेकिन आपने यादवों के लिए कुछ नहीं किया है, जबकि यह तल्ख सच्चाई है कि राज्य में बहुत सारे यादवों को झूठे मुकदमों में फंसाया गया है और उनकी हत्याएं की गई हैं। एक अन्य सवाल में उनसे पूछा गया था कि सत्ता में आने के बाद राजद के लोग पोस्ट ऑफिस, पुलिस स्टेशन, ब्लॉक, अस्पताल और स्कूल को ठप करते हैं। इनके लिए आपके पास क्या योजना है?


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