झारखंड : कोलाहल भरा रहा यह साल, सियासत भी उबली
रांची, 28 दिसंबर (हि.स.)। साल 2021 को अलविदा कहने का समय आ गया है लेकिन इस वर्ष की कई बड़ी घटनाओं को भूल पाना शायद की मुमकिन हो। झारखंड राज्य साल भर तक चर्चा में रहने वाले कुछ मुद्दे का गवाह बना है। हालांकि, झारखंड के सियासी गलियारे में यह साल सत्ता संघर्ष और उठा-पटक से दूर रहा। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार चल रही है, जबकि भाजपा पूरे तेवर के साथ विपक्ष की भूमिका निभा रहा है।
हां, कुछ मुद्दों ने झारखंड की राजनीति में गरम जरूर रखा और राज्य की राजनीति इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती रही। सियासी दल भी इनसे ही जमीन तलाशते रहे। क्योंकि, एक तरफ कोरोना की मार ऊपर से मजदूरों की घर-वापसी और लॉकडाउन ने सरकारों की चिंता बढ़ा रखी थी। कई मुद्दे विपक्ष से उठे तो कई सरकार ने उठाए। इन सबके बीच झारखंड के दामन पर मॉब लिंचिंग का दाग भी लगा। हालांकि, राज्य सरकार ने इस पर कठोर कानून बनाकर इस पर विराम लगाने की मंशा जाहिर कर दी है। कुल-मिलाकर कहें तो यह साल कोलाहल भरा ही साबित हुआ है।
साल 2021 के सबसे चर्चित मामले
धनबाद जज की मौत का मामला
धनबाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश (अष्टम) उत्तम आनंद की मौत का मामला झारखंड के सबसे चर्चित मामलों में एक रहा। पांच महीने पहले 28 जुलाई, 2021 को यह घटना घटी। सुबह की सैर पर निकले जज को धनबाद में एक ऑटो ने जबरदस्त टक्कर मार दी थी। अस्पताल ले जाने के बाद डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद देश की न्याय व्यवस्था हिल गई। चीफ जस्टिस आफ इंडिया ने मामले पर सुनवाई की। झारखंड हाई कोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया। हैरत की बात है कि इस मामले में पांच महीने बाद भी सीबीआइ के हाथ खाली हैं।
रूपा तिर्की की मौत का मामला
साहिबगंज में तैनात महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मई में संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। मामले की जांच कर रही एसआइटी ने इसे आत्महत्या करार दिया था। इसके बाद रूपा के पिता देवानंद ऊरांव ने साहिबगंज पुलिस की रिपोर्ट को मानने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट में सीबीआई जांच के लिए याचिका दायर की थी। इसके बाद झारखंड हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है।
चुनाव आयोग के कदम से गरमाई सियासत
केन्द्रीय निर्वाचन आयोग ने देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को पद से हटाने का आदेश दिया है। आयोग के प्रधान सचिव राहुल शर्मा ने राज्य के मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि आयोग की बिना सहमति के इन्हें किसी जिले का उपायुक्त या जिला निर्वाचन अधिकारी न बनाएं। आयोग के आदेश के बाद राज्य में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और भाजपा में तलवारें खिंच गई। इस मुद्दे पर दोनों एक-दूसरे पर जमकर हमला किया।
जेपीएससी पर सियासी कुश्ती
झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) मतलब विवादों का पिटारा। जेपीएससी एक बार फिर से विवादों में है। आयोग की ज्यादातर परीक्षाओं, परिणाम और नियुक्तियों पर अंगुलियां उठी हैं। गड़बड़ियों के चलते कुछ लोग जेल गए और कई अभी भी जांच झेल रहे हैं। उम्मीद थी कि सातवीं से दसवीं सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के बाद आयोग पर ऐसी कोई अंगुली नहीं उठेगी लेकिन फिर गड़बड़झाला होने के संदेह में अभ्यर्थी सड़क पर उतर चुके हैं। इसे लेकर राजभवन गंभीर है और आयोग के चेयरमैन को तलब कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। आयोग की तरफ से सफाई दी गई है लेकिन शायद ही यह अभ्यर्थियों के गले उतरे। जेपीएससी की आंच सड़क से सदन तक पहुंचा। सभी विपक्षी दल इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
सरकार और पारा शिक्षकों में ठनी
झारखंड के 64 हजार पारा शिक्षक बिहार की तर्ज पर 5200-20200 का वेतनमान करने की मांग को लेकर सकरार और पारा शिक्षकों में ठन गई थी। पारा शिक्षक वर्षभर आंदोलनरत रहे। अंतत: सरकार ने सेवा शर्त नियमावली पर सहमति दे दी है। नियमावली में बदलाव के बाद अब पारा शिक्षक सहायक अध्यापक कहलायेंगे। इसके बाद पारा शिक्षकों का आंदोलन स्थगित हो गया है।
अबतक नहीं सुलझा नमाज कक्ष का विवाद
इस वर्ष झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में उस वक्त सियासत का पारा चढ़ गया जब स्पीकर ने विधानसभा भवन के अंदर मुस्लिमों को नमाज अदा करने के लिए अलग कमरा नंबर टीडब्ल्यू-348 आवंटित कर दिया गया। राज्य सरकार का यह कदम विधानसभा में जोरदार हंगामे का सबब बन गया। नमाज के लिए कमरा अलॉट करने के विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए भाजपा ने मोर्चा खोल दिया है और इसे लेकर सदन से सड़क तक विरोध किया।
इसके लिए गठित विशेष समिति की बैठक के बाद समिति के सदस्य प्रदीप यादव ने बताया कि अभी अन्य राज्यों से इस संबंध में रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। अन्य राज्यों से रिपोर्ट मिलने के बाद विशेष समिति किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेगी।
दामन पर लगा मॉब लिंचिंग का दाग
झारखंड में भीड़ हिंसा में तबरेज अंसारी की मौत के मामले की आंच राज्य सरकार से लेकर केन्द्र की संसद तक पहुंची है। इस मुद्दे को विपक्षी दलों के नेताओं ने खूब हवा दिया और केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई। इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संसद में कहना पड़ा कहा था कि झारखंड मॉब लिंचिंग का अड्डा बन गया है, ये कहना सही नहीं हैं।
तबरेज अंसारी की मौत रांची से निकलकर पूरे देश में फैल गई। मॉब लिंचिंग के मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले एस अली ने बताया है कि 17 मार्च, 2016 से 13 मार्च, 2021 तक 42 लोगों की मॉब लिंचिग हुई है, जिसमें 23 की मौत और 19 गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
बहरहाल, हेमंत सोरेन की सरकार ने झारखंड में मॉब लिंचिंग पर रोक लगाने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भीड़ हिंसा एवं मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 पारित हुआ। नये कानून के अनुसार, अगर कोई मॉब लिंचिंग का कृत्य करता है और इसके पीड़ित की मृत्यु ही जाती है तो इसके लिए सश्रम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जायेगा। साथ ही यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के लिंच करने के षड्यंत्र में शामिल होता है या षडयंत्र करता है या लिंचिंग के कृत्य के लिए दुष्प्रेरित या उसमें सहायता या प्रयत्न करता है, तो उसके लिए भी आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।
ओरमांझी में सिर कटी लाश
तीन जनवरी को रांची के ओरमांझी में युवती की सिर कटी नग्न लाश बरामद मामले को लेकर लोगों का आक्रोश का उबलने लगा और राजनीति भी गरम होने लगी। शासन प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया गया। दर्जनों पुलिसकर्मियों की टीम लगातार जंगल और आस-पास के इलाके की खाक छानती रही लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं। रांची एसएसपी ने इस मामले में सुराग देने वाले को 25 हजार रुपये इनाम देने का ऐलान करना पड़ा।
सरना धर्म कोड की आवाज दिल्ली तक पहुंची
झारखंड की राजनीति में इस वर्ष भी सरना धर्म कोड का मामला छाया रहा। आदिवासियों की वर्षों पुरानी मांग को लेकर सत्ताधारी दलों ने मोर्चा खोला। जनगणना में सरना धर्म कॉलम जोड़ने को लेकर 20 वर्षों में पहली बार विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा गया। इससे पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सर्वसम्मति बनायी गई। इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर जनगणना में सरना धर्म का कॉलम जोड़ने की मांग रखी।
ट्वीटर पर मुख्यमंत्री सांसद टकराए
झारखंड की सियासत के दो दिग्गज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे का एक दूसरे पर डिजिटल वार काफी चर्चा में रहा। डिजिटल प्लेटफार्म पर सांसद ने मुख्यमंत्री पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा कर राज्य की राजनीति को गर्म कर दिया था।
शिबू सोरेन लगातार 10वीं बार अध्यक्ष बने
झारखंड में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने लगातार 10वीं बार शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी को पार्टी का अध्यक्ष और उनके पुत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष चुना। पार्टी के 12वें केंद्रीय महाधिवेशन में यह सर्वसम्मति से यह निर्णय हुआ। हेमंत सोरेन लगातार तीसरी बार पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये हैं। पार्टी की नयी केंद्रीय कमेटी बनाने का अधिकार शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन को दिया गया। झामुमो की स्थापना 1972 में हुई थी और पार्टी का पहला महाधिवेशन 1983 में धनबाद में आयोजित हुआ था। शिबू सोरेन पहली बार 1991 में पार्टी के अध्यक्ष चुने गये थे और तब से लेकर वे लगातार इस पद पर निर्विरोध चुने जाते रहे।