झारखंड की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: 2 वर्षों में राज्य को केंद्रीय करों की राशि कम मिली

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रांची 02 मार्च। झारखंड विधानसभा में वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने बजट सत्र के तीसरे दिन सदन में वित्तीय वर्ष 2021-22 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया।इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2019-20 में करीब 3314 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 880.8 करोड़ रुपए कम केंद्रीय कर की प्राप्ति हुई है। अगर दो वर्षों को जोड़ दिया जाए तो इसमें 14.4 % समान वार्षिक दर से बढ़ता तो हमें इन दो वर्षोँ में 27349 और 31287 करोड़ रूपए मिलते। इसके कारण राज्य को करोड़ों रूपए का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2919-20 और 2020-21 में 4.3 प्रतिशत की कमी आयी है। इसके पीछे मुख्य वजह कोविड महामारी को बताया गया है। इसमें 2019-20 में कमी आर्थिक मंदी और 2020-21 में कोविड-19 महामारी के कारण केंद्रीय करों में राज्य के हिस्सेदारी में कमी आने के कारण हुई है।

*जीएसडीपी 8.8 % रहने की अनुमान*
अगर जीएसडीपी की बात की जाए तो चालू वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक GSDP में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होने का अनुमान है।राज्य की जीएसडीपी अपने गठन के पहले 5 वर्ष में (1999- 2000 और 2004-2005) के बीच 8% औसत वार्षिक दर से बढ़ी।फिर 2004- 2005 और 2011 के बीच 6.6% की दर से बढ़ी।2011-12 और 2018-19 के बीच यह दर 6.2% थी। 2011-12 की कीमतों पर, राज्य का जीएसडीपी वर्ष 2018-19 में 229274 करोड़ रुपये था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य की अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्रों (प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक) में 2011-12 और 2019-20 के बीच की अवधि में सबसे तेज दर से बढ़ा है। वहीं प्राथमिक क्षेत्र में 1.9 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर और द्वितीयक क्षेत्र में 6.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है।तृतीय क्षेत्र में 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी देखने को मिली है।
*46 प्रतिशत लोग गरीब*
रिपोर्ट में नीति आयोग की जारी नेशनल मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स बेसलाइन रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य में 46.0 प्रतिशत लोग गरीब हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबों का प्रतिशत 50.3 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में यह 15.26 प्रतिशत है। ना केवल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच बल्कि विभिन्न जिलों में भी गरीबों की घटनाओं में व्यापक असमानता है।
*पिछले 20 वर्ष में शिक्षा दर में 36 प्रतिशत की वृद्धि*
सर्वेक्षण रिपोर्ट में शिक्षा को लेकर अच्छी बातें सामने आयी हैं। कहा गया है कि पिछले 20 वर्षों में इसमें लगभग 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

सीमा सिन्हा ब्यूरो प्रमुख।


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