जीएसटी को कांग्रेस ने बताया नौकरियां छीनने और डराने वाला
नई दिल्ली, 01 जुलाई (हि.स.)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने को एक साल पूरे होने पर एक ओर केंद्र सरकार जहां इसे अपनी उपलब्धि मानते हुए इसे भारत के संघीय ढांचे का प्रतीक बता रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने जीएसटी को औद्योगिक सेक्टर से करोड़ों नौकरियां छीनने वाले, व्यापारियों के लिए डर पैदा करने वाला शब्द करार दिया है। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 2006 में यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तावित इस बिल के ब्लूप्रिंट का पहले भाजपा ने विरोध किया लेकिन बाद में बिना किसी तैयारी के, गलत तरीके से देशभर में लागू कर दिया गया। जीएसटी के लिए लिए गये सभी कदम इतने त्रुटिपूर्ण थे, सरकार ने खराब चीजों को बड़े स्तर पर किया। नोटबंदी जैसे फैसले के बाद दुर्भाग्य से एक अच्छी योजना के बेहद बुरे परिणाम सामने आये। चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी की रूपरेखा, बुनियादी ढांचा, दर और लागू करने में इतने दोष थे, जिसके कारण उद्योगपतियों, व्यापारियों, निर्यातकों और आम नागरिकों के बीच जीएसटी एक डर फैलाने वाला शब्द बन गया। बड़े स्तर पर यह महसूस किया जाता है कि जीएसटी ने आम आदमी पर कर का बोझ बढ़ाया है। इस के बारे में खुश होने वाला एकमात्र कर प्रशासन है, जिसने असाधारण शक्तियों को हासिल किया है जो औसत व्यापारी, व्यक्ति और आम नागरिक को डराता है। कई पहलुओं को लेकर जीएसटी बिल में मुख्य आर्थिक सलाहकार की राय को दरकिनार किया गया, खासकर दरों को लेकर। चिदंबरम ने कहा, ‘भाजपा वाले ‘अच्छे दिनों’ का इंतज़ार है, जब अमेरिकी डॉलर की कीमत – एक डॉलर = 40 रुपया होगी! सरकार अस्थायी फॉर्म जीएसटीआर-3बी को कब तक इस्तेमाल कर सकती है? क्या यह कानूनी रूप से वैध है? 12 महीने बीतने के बाद भी जीएसटीआर-फॉर्म 2 और जीएसटीआर -फॉर्म 3 को अभी तक अधिसूचित क्यों नहीं किया गया? प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और कार्यवाहक वित्त मंत्री जीएसटी के कार्यान्वयन में अनगिनत खामियों पर बोलने से क्यों कतरा रहें हैं?’ चिदंबरम ने कहा कि मानसून सत्र की शुरुआत से पहले विपक्षी दलों के साथ इस पर संशोधन संबंधी चर्चा की जानी चाहिए और इस सत्र में पारित किया जाना चाहिए। कांग्रेस ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि जीएसटी को लेकर जो बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे, वो एक साल के भीतर धराशायी हो गए। टैक्स दरों की उलझनों से लेकर कर चोरी तक जीएसटी व्यापारी वर्ग के लिए बुरा सपना साबित हुई है। जीएसटी की उलझनों ने जनता की थाली का स्वाद तो बिगाड़ा ही, व्यवसाय के लिए भी मुश्किलें पैदा की है। इसके बावजूद मोदी सरकार अपनी विफलता स्वीकारने के बजाय जिद पर अड़ी हुई है। कांग्रेस सरकार की तुलना में रुपए का लगातार गिरता मूल्य, उच्च व्यापार घाटा, निर्यात में कमी, वैश्विक व्यापार में कम होती हिस्सेदारी मोदी सरकार के ‘तथाकथित’ नामदार चेहरे की सच्चाई उजागर करते हैं।