फिल्म की कहानी बॉबी नाम की लड़की की है. जिसके बचपन में हुआ एक हादसा उसे हिलाकर रख देता है और वो दुनिया को अलग तरह से देखने लगती है. कहने को वो एक डबिंग आर्टिस्ट है लेकिन जिस भी कैरेक्टर की डबिंग करती है उसकी जिंदगी जीने लगती है. अतरंगी कपड़े सिलवाती, किसी सुपरस्टार एक्ट्रेस की तरह व्यवहार करती है, उदास होने पर रेप, मर्डर केस से भरे न्यूजपेपर की कटिंग से ऑरिगेमी बनाती है. जो कहीं-कहीं उसकी सोच का आईना है. पापा मां को मारते थे, इसलिए उसे हर लड़की से हमदर्दी है. फिर एक दिन बॉबी की अतरंगी दुनिया में केशव की एंट्री होती है. जो अपनी बीवी के साथ बॉबी के घर किराए पर रहने आता है. बॉबी के लिए ये कपल अजीब है क्योंकि उसने इससे पहले इतना खुश कपल कभी नहीं देखा. किसी की लाइफ में सबकुछ अच्छा कैसे पॉसीबल है.
इसके बाद शुरु होता है बॉबी और केशव के बीच मिस्ट्री गेम. केशव के घर पर होता है एक मर्डर, लेकिन मर्डरर कौन है. क्या दिमाग से हिली बॉबी ने ये मर्डर किया है या सीधे-साधे दिखने वाले केशव के भी कई चेहरे है.
डायरेक्शन और एक्टिंग
प्रकाश कोवेलामुड़ी के डायरेक्शन में भी साइकलोजिकल थ्रिलर फिल्म जजमेंटल है क्या ढेर सारे टिवस्ट एंड टर्नस से भरी है. फिल्म का पहला पार्ट आपको कॉमेडी विद थ्रील का डोज देता है, तो दूसरा पार्ट इस डार्क थ्रिलर फिल्म में सस्पेंस और थ्रील की रोलरकोस्टर राइडर करता है.
कंगना रनौत स्क्रीन एपीयरेंस आपको पलक झपकने नहीं देता तो राजकुमार राव की मासमूयित सोच में डाल देती है कि इसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है. सपोर्टिंग रोल में हुसैन दलाल, सतीश कौशिक, अमायरा दस्तूर, अमृता पुरी और जिमी शेरगिल ने बढ़िया काम किया है.
क्या है खास
बॉलीवुड में आमतौर पर इस तरह की फिल्में देखने को नहीं मिलती है. जिस वजह से ये फिल्म सिनेमा का एक अलग और न्यू एक्सपीरियंस देती है. फिल्म के अंत तक कहानी को जज कर पाना नामुनकिन सा है. ऐसा इसलिए क्योंकि हर 5 मिनट बाद आपको फिल्म में कुछ नया देखने को मिलता है जो इसका प्लस प्वाइंट है. फिल्म का स्क्रीनप्ले और सिनेमेटोग्राफी में काफी हद तक फिल्म के कॉनेस्पेट को मैच करती है…फिल्म का कैलाइमेक्स स्पीचलैस है.
इस फिल्म को हम देंगे 3.5/5 स्टार