चीन के आर्थिक विकास के लिए नया साल चुनौतियों से भरा
लॉस एंजेल्स, 31 दिसम्बर(हि.स.)| चीन के लिए नया साल 2019 चुनौतियों से भरा होगा। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध के बाद से चीन की आर्थिक स्थिति 1990 के पश्चात सब से अधिक खस्ता होगी। इस दिशा में भारत ने पिछले कुछ अरसे में लगातार आर्थिक विकास दर में तेज़ी से कदम बढ़ाए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल में दावा किया था कि भारत साल 2019 में विश्व का आर्थिक विकास इंजन बनने के लिए पूरी तरह सक्षम है। ‘मूडी’ विश्लेषकों की मानें तो चीन अभी विश्व अर्थव्यवस्था में दूसरे पायदान पर है। उसकी विकास दर में निरंतर गिरावट हुई है। लेकिन चीनी अर्थव्यवस्था के धीमी गति के संकेतकों का व्यापक असर देखना शेष है। इसके लिए चीन की सरकार क्या क़दम उठा पाती है, उसके लिए एक बड़ी चुनौती होगा।
चीन दुनियाभर में ‘मेड इन चाइना’ नाम से माल निर्यात करता है। इसके लिए मित्र देशों से कच्चा माल खरीदता है। अमेरिकी कंपनी ‘एपल’ के आई फोन और ‘डेल’ कंप्यूटर के हार्ड वेयर की तरह ऐसे बीसियों साज-सामान हैं, जो चीन में बनते हैं| फिर उन्हें अमेरिकी कंपनियां दुनियाभर में बेचती आई हैं। इन बड़ी कंपनियों में एपल, जी एम मोटर्स आदि ने अरबों डालर कमाए हैं। इससे चीन ने विश्व में तेज़ी से आर्थिक विकास में ”ग्रोथ इंजन” का दर्जा हासिल किया था। अब मार्केट में मंदी के आसार से चीन की उन छोटी-छोटी इकाइयों को काम नहीं मिलने से चीन के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ना स्वाभाविक है। इसका संकेत चीन के स्टाक मार्केट में 25 प्रतिशत की गिरावट से लगाया जा सकता है। इसका असर यूरोप और अमेरिकी बाज़ार पर भी पड़ा है। इस समस्या से निपटने के लिए चीन की सरकार क्या कदम उठाती है, एक विचारणीय पहलू है। फिर अमेरिका और चीन व्यापार युद्ध विराम अगले दो महीनों में अर्थात फरवरी 2019 के अंत तक क्या करवट लेता है, इस पर दुनियाभर की नजर है।