नई दिल्ली, 08 सितम्बर। एक दिन पहले पूरे देश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कंधे पर सिर रखकर इसरो प्रमुख के. सिवन को बेहद मायूसी भरे क्षणों में सिसकते और बिलखते देखा। नयी उम्मीदों से भरे सिवन ने रविवार को चंद्रयान-2 से संबंधित ऐसी पुख़्ता जानकारी दी, जिसने इस मिशन को लेकर आकांक्षाओं को पुनर्जीवित कर दिया है।
इसरो की लगातार कड़ी मशक्कत के बाद विक्रम लैंडर की सही लोकेशन की शिनाख़्त कर ली गयी है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की थर्मल इमेज भेजी है, जिसमें चांद की सतह पर लैंडिंग वाली तयशुदा जगह से तक़रीबन पांच सौ मीटर की दूरी पर विक्रम लैंडर को पाया गया है। हालांकि अभी तक उससे सम्पर्क स्थापित नहीं हो पाया है लेकिन इसके प्रयास किए जा रहे हैं। ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा से विक्रम लैंडर की तस्वीर आने पर इससे संबंधित और भी अहम जानकारियां मिलने की उम्मीद है।
उम्मीदें पुनर्जीवित
मिशन चंद्रयान-2 की ताजा जानकारी के बाद साफ है कि न तो उम्मीदें टूटी हैं और न वैज्ञानिकों का कौशल हारा है। लैंडर विक्रम से संपर्क के टूटे तार बहाल किए जाने में सफलता अब काफी हद तक संभव हो गयी है। इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला लखनऊ के वैज्ञानिक प्रो. सुमित कुमार श्रीवास्तव का कहना है, “लैंडर विक्रम की लोकशन का पता चलना इस मायने में बड़ी कामयाबी है, जिससे उससे कम्युनिकेशन की कोशिशें शुरू हों। क्योंकि जब तक उसकी लोकेशन और उसकी ताजा स्थिति के बारे में पता नहीं चलता, इस पर आगे बढ़ना असंभव था। अब जबकि चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग वाली जगह से पांच सौ मीटर दूर उसे पाया गया है तो उससे संपर्क की संभावनाएं पुनर्जीवित हो गयी हैं।”
मायूसी का वो लम्हा
07 सितम्बर की रात लगभग 01.37 बजे। मिशन की क़ामयाबी के चंद मिनट पहले सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ते समय लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। वैज्ञानिकों के साथ-साथ पूरा देश सन्न रह गया। मायूसी के इन लम्हों में मिशन की इस कामयाबी की तरफ कम ध्यान गया कि इसने तक़रीबन 95 फीसदी लक्ष्य को हासिल कर लिया। क्योंकि इससे पहले 02 सितम्बर को विक्रम लैंडर को ऑर्बिटर से पूरी कामयाबी के साथ अलग किया जा चुका था। इससे इसरो को अहम जानकारियां वैसे भी मिलनी ही थी।
उम्मीदों का मिशन
22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए 48 दिनों का सफ़र शुरू हुआ था। इससे पहले चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को होनी थी लेकिन आख़िरी समय में तक़नीकी गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद लॉन्चिंग की नयी तिथि की घोषणा की गयी। ख़ास बात यह है कि इसरो ने अपने मिशन के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लक्ष्य बनाया, जहां अब तक किसी भी देश का मिशन पहुंचने की बात तो दूर, इसका प्रयास भी नहीं किया था, क्योंकि वैज्ञानिक रूप से इसकी जटिलता पहले से प्रमाणित है। इसलिए तो नासा सहित इस क्षेत्र में कामयाबियों और नाकामियों का तजुर्बा रखने वाले तमाम देशों ने इसरो के इस प्रयास की मुक्तकंठ से सराहना की। इसरो के इस मिशन को आगे के मिशन के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है। चंद्रयान 2 का मकसद चांद की सतह की तस्वीरें, वहां पानी व खनिज की मौजूदगी का पता लगाना है।