गया गोलीकांड ने तय कर दी देश की राजनीति की दिशा
गया, 12 अप्रैल (हि.स.)। 12 अप्रैल 1974 को गया में पुलिस फायरिंग ने देश की राजनीति की दिशा तय कर दी थी। छात्र संघर्ष समिति के आह्वान पर राज्य एवं केन्द्र सरकार के सभी प्रतिष्ठानों को बंद कराने के लिए युवा, महिला और नागरिक धरना पर बैठे हुए थे।
गया के मुख्य डाकघर के मेन गेट को धरनार्थियों ने धरना देकर जाम कर रखा था। गया पुलिस के मेजर लाल धरनार्थियों को हटाने पहुंचे।मेजर लाल के आदेश को आंदोलनकारियों ने ठुकरा दिया।मेजर लाल को डाकघर के अंदर प्रवेश करने से रोकने के लिए काफी संख्या में महिला धरनार्थी गेट पर लेट गईं।इसके बाद मेजर लाल के नेतृत्व में पुलिसकर्मी जमीन पर लेटी महिलाओं के ऊपर से गुजरने का प्रयास करने लगे। इससे नाराज युवा आंदोलनकारी मनोज बोस ने मेजर लाल को रोकने के लिए हाथ चला दिया। इससे पुलिसकर्मी भड़क गए।इसके बाद मेजर लाल के आदेश पर धरनार्थियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया
लेकिन जब भीड़ पुलिस पर हावी हो गई तो वहां पर दंडाधिकारी के रूप में तैनात अशोक कुमार सिन्हा से फायरिंग का आदेश पुलिसकर्मियों ने जबरन ले लिया। इस पुलिस फायरिंग में एक दर्जन से अधिक लोग मारे गए। इनमें किरण सिनेमा हाल से बाहर निकल रहे कई निर्दोष दर्शक शामिल थे।
इस गया गोलीकांड की गूंज पूरे देश में सुनाई पड़ी। गया पोस्ट आफिस के बाहर धरना में शामिल रहे कौशलेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार छात्र संघर्ष समिति के आह्वान पर नौजवानों समेत पूरा समाज सड़क पर उतर आया था।डा. कौशलेंद्र प्रताप सिंह फिलवक्त सेंट्रल बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स, गया के अध्यक्ष हैं। छात्र नेता रहे अखौरी निरंजन प्रसाद, नवलेश भरथुआर,प्रभात कुमार सिन्हा, अनिल सिन्हा,ज्ञानचंद जैन सहित कई ने बताया कि गया गोलीकांड ने आगे चलकर देश की राजनीति की दिशा तय कर दी।आन्दोलन पूरे देश में फ़ैल गया और अंततः देश में इंदिरा गांधी की सरकार को जनता ने उखाड़ फेंका।