कलराज बनना चाहते हैं राज्यपाल, बना दिये गये हरियाणा भाजपा के प्रभारी
नई दिल्ली,07 जनवरी (हि.स.)। पूर्व केन्द्रीय मंत्री व भाजपा के 77 वर्षीय बुजुर्ग नेता कलराज मिश्र ने कुछ दिन पहले संसद में अपनी पार्टी के एक पदाधिकारी से कहा था कि देवरिया संसदीय सीट से उनके अलावा और कोई नहीं जीत सकता है। उन्होंने राज्यपाल पद के बारे में भी उत्सुकता जताई थी। अब कलराज मिश्र को हरियाणा भाजपा का चुनाव प्रभारी बना दिया गया। इससे यह कयास लगाया जाने लगा है कि कलराज मिश्रा को 2019 में लोकसभा का प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। बहुत होगा तो उनके परिवार के किसी को टिकट दिया जा सकता है। भाजपा के एक नेता का कहना है कि उ.प्र. विधानसभा चुनाव हो जाने के बाद मंत्री पद से हटा दिये गये कलराज मिश्र को उम्मीद थी कि जब कांग्रेस से आकर भाजपा ज्वाइन करने वाली नजमा हेपतुल्ला को राज्यपाल बनाया जा सकता है, तो उनको तो राज्यपाल बना ही दिया जाएगा,क्योंकि वह तो संघ व भाजपा में ही पले-बढ़े हैं। लेकिन उनकी यह इच्छा अभी तक पूरी नहीं हुई। उनके सजातीय विश्वासपात्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में राज्यपाल का पद खाली है। राज्य तो छोटा है लेकिन यदि कलराज मिश्र को वहां का भी राज्यपाल बना दिया जाता तो उनकी हार्दिक इच्छा पूरी हो जाती। पर, अब हरियाणा का प्रभारी बनाये जाने के बाद ऐसा लग रहा है कि उनको लोकसभा चुनाव तक तो प्रभारी ही रहना है। उसके बाद क्या होगा यह इस पर निर्भर करेगा कि अप्रैल-मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र में किसकी सरकार बनती है।
वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु कहना है कि देवरिया संसदीय क्षेत्र से इस बार चाहे कलराज मिश्र को या उनके बेटे को टिकट दिया जाए, भाजपा के लिए मुश्किल होगी। ऐसा इसलिए कि एक तो इस बार स्थिति 2014 वाली नहीं है| दूसरे, कलराज मिश्र ने क्षेत्र में कोई ऐसा काम नहीं किया है, जिसको बताया जाए कि उन्होंने इतना बड़ा काम किया, जिससे क्षेत्र की जनता को लाभ हो रहा है। इसलिए क्षेत्र की जनता उनसे नाराज है।
इस बारे में देवरिया के वरिष्ठ वकील नरेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि उ.प्र. के बड़े नेताओं में कलराज मिश्र का नाम है। उनको 2014 के लोकसभा चुनाव में देवरिया संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया, तो क्षेत्र की जनता को लगा कि राजमंगल पाण्डेय के बाद बड़ा नाम व पंडित देवरिया में लोकसभा का चुनाव लड़ रहा है। उनको जिताने से देवरिया संसदीय क्षेत्र का विकास होगा। जनता ने उनको विजयी बनाया। वह केन्द्र में मंत्री भी बन गए। लेकिन उसके बाद उनका मिलना-जुलना अपने इर्द-गिर्द के कुछ लोगों तक सीमित हो गया। उन्हीं लोगों ने उनसे लाभ लिया। क्षेत्र की जनता के लिए वह बहुत बड़े नेता बन गए, पहुंच से दूर हो गए। इसके कारण जनता अब उनको खजूर का पेड़ कहने लगी है। संकेत साफ है। यदि वह इस बार यहां से चुनाव लड़े तो जनता उचित जवाब देगी। नरेन्द्र पांडेय का कहना है कि देवरिया संसदीय क्षेत्र के लिए कलराज से हजार गुना अधिक काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। योगी गोरखपुर, देवरिया, सलेमपुर, कुशीनगर, आजमगढ़ आदि जिलों में जो काम करा रहे हैं, वह दिख रहा है| उसका लाभ जनता को मिलने लगा है। इस तरह का कोई कार्य कलराज ने नहीं कराया। उधर कलराज समर्थकों का कहना है कि जब कल्याण सिंह को राज्यपाल, उनके बेटे को सांसद, उनके पोते को विधायक बनाया जा सकता है, तो कलराज को राज्यपाल क्यों नहीं| उनके परिजनों को सांसद, विधायक क्यों नहीं?