कंचनजंगा पर्वत शिखर पर मिले बंगाल के दोनों पर्वतारोहियों के शव
कोलकाता, 19 मई (हि.स.)। नेपाल में दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा पर्वत के शिखर के पास ऊंचाई जनित बीमारियों की चपेट में आकर मरने वाले दो बंगाल निवासी पर्वतारोहियों के शव रविवार को बरामद कर लिए गए हैं। हाइपोथर्मिया और स्नोब्लांडनेस के कारण 8,586 मीटर की चोटी के करीब बिप्लब बैद्य (48) और कुंतल करार (46) की बुधवार रात कैंप चतुर्थ पर मौत हो गई थी। इनके शव को बरामद करने के लिए बंगाल सरकार ने एक दो सदस्य टीम नेपाल भेजा था।
बिप्लब बैद्य और कुंतल कनार के शवों को पहले बेस कैंप के पास पहाड़ के उच्चतम शिविर से बचाव दल द्वारा ले जाया गया और फिर हेलिकॉप्टर में काठमांडू के लिए रवाना किया गया। शवों को काठमांडू के बाहरी इलाके में महाराजगंज के त्रिभुवन यूनिवर्सिटी टीचिंग अस्पताल में शव परीक्षण के लिए रखा गया है। बिप्लब बैद्य ने पर्वत शिखर की चढ़ाई पूरी कर ली थी और वापस लौट रहे थे जब उनकी मौत हो गयी | जबकि कुंतल करार शिखर की ओर चढ़ाई करते हुए बीमार पड़ गए थे जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। इन दोनों के अलावा कोलकाता के पास बाली के रहने वाले दीपांकर घोष कथित तौर पर शुक्रवार सुबह से लापता हैं। वह सातवें शिखर ट्रेक्स अभियान दल के पांचवें उच्चतम पर्वत माउंट मकालू की चढ़ाई पूरी करने वाली उस टीम का हिस्सा थे जिसमें भारतीय सेना के अधिकारी नारायण सिंह ने 8485 मीटर की चोटी से नीचे गिरते हुए गुरुवार रात कैंप चार में दम तोड़ दिया था । उन्हें भी खोजा जा रहा है।
पश्चिम बंगाल सरकार के युवा सेवा विभाग में संयुक्त सचिव सुरजीत रॉय और पर्वतारोही सलाहकार देवदास नंदी बंगाल सरकार की ओर से नेपाल पहुंचे हैं। दोनों शवों को जल्द बंगाल लाने की कोशिश की जा रही है। इस बीच, दो अन्य पर्वतारोही रमेश राय और रुद्र प्रसाद हलदर, जिन्होंने माउंट कंचनजंगा पर चढ़ने का प्रयास करते हुए गंभीर शीतदंश का सामना किया था, दोनों शुक्रवार तड़के अपने कैंप में लौट आए थे।